Manmohan Singh: जब राहुल गांधी ने फाड़ दिया था मनमोहन सरकार का अध्यादेश, PM पद से देना चाहते थे इस्तीफा मगर इस तरह माने

Manmohan Singh: सितंबर 2013 में मनमोहन सिंह की सरकार ने एक अध्यादेश पारित करके सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले को निष्क्रिय कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि सांसदों और विधायकों के दोषी पाए जाने पर उनकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी।;

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-12-27 10:49 IST

Rahul Gandhi and Manmohan Singh (photo: social media )

Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन के बाद 2013 के एक घटनाक्रम की भी खूब चर्चा हो रही है। दरअसल उस समय कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह सरकार का एक अध्यादेश प्रेस कॉन्फ्रेंस में फाड़ कर फेंक दिया था। प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह उस समय अमेरिका के दौरे पर थे। राहुल गांधी की ओर से दोषी राजनेताओं को चुनाव लड़ने की अनुमति देने के लिए अध्यादेश लाने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की प्रति फाड़ने के बाद सिंह ने लगभग इस्तीफा देने का मन बना लिया था।

इस घटनाक्रम से मनमोहन सिंह काफी दुखी और नाराज हुए थे और उन्होंने इस्तीफा देने के संबंध में योजना आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से चर्चा भी की थी। हालांकि अहलूवालिया ने उन्हें समझाया था कि उन्हें नहीं लगता कि इस मुद्दे पर उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए। बाद में मनमोहन सिंह मान गए थे। हालांकि उनकी सरकार ने इस अध्यादेश को वापस ले लिया था। इस घटनाक्रम को लेकर भाजपा कांग्रेस और राहुल गांधी पर आज तक हमला बोलती रही है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश

दरअसल सितंबर 2013 में मनमोहन सिंह की सरकार ने एक अध्यादेश पारित करके सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले को निष्क्रिय कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि सांसदों और विधायकों के दोषी पाए जाने पर उनकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। मनमोहन सरकार के इस अध्यादेश का भाजपा,वामदलों और कई अन्य विपक्षी पार्टियों ने तीखा विरोध किया था।

विरोध करने वाले दलों का कहना था कि इस अध्यादेश से दागी नेताओं को बढ़ावा मिलेगा। विपक्षी दलों के तीखे विरोध के बावजूद मनमोहन सरकार ने अपने कदम वापस नहीं खींचे और यह अध्यादेश पारित हो गया था। हालांकि बाद में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की ओर से दखल दिए जाने के बाद इस अध्यादेश को वापस ले लिया गया था।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने फाड़ दी थी अध्यादेश की कॉपी

मनमोहन सरकार के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया था। विपक्ष को जवाब देने के लिए कांग्रेस की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी जिसमें अध्यादेश की अच्छाइयों को सबके सामने रखने की तैयारी थी,लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच में राहुल गांधी पहुंच गए और इस अध्यादेश को लेकर उन्होंने अपने ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया।

उन्होंने मनमोहन सरकार के इस अध्यादेश को पूरी तरह बकवास बताते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही अध्यादेश की कॉपी भी फाड़ दी थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस कदम से मनमोहन सरकार के सामने काफी असहज स्थिति पैदा हो गई थी और विपक्षी दलों का तेवर और तीखा हो गया था। विपक्षी दलों ने मनमोहन सरकार को पूरी तरह बेबस और लाचार बताया था।

अध्यादेश को बकवास बताते हुए राहुल गांधी का कहना था कि यह अगर हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़नी है तो हमें इस तरह के छोटे समझौते बंद करने होंगे। इसके साथ ही उन्होंने सरकार के अध्यादेश को पूरी तरह गलत बताया था।

राहुल के विरोध के बाद अध्यादेश वापस

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के अध्यादेश को फाड़कर फेंक दिए जाने के बाद यह मामला सियासी रूप से काफी गरमा गया था। जिस समय राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अध्यादेश को बकवास बता रहे थे, उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमेरिका के दौरे पर थे। अमेरिका दौरे से लौटने के बाद अक्टूबर में इस अध्यादेश को वापस ले लिया गया था।

हालांकि अध्यादेश को वापस लिए जाने के बाद विपक्षी दल प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह की भूमिका पर सवाल खड़े करने लगे थे। विशेष रूप से भाजपा ने इस मुद्दे को काफी प्रमुखता से उठाया था और पार्टी का कहना था कि गांधी परिवार के सामने प्रधानमंत्री पद का भी कोई महत्व नहीं रह गया है।

पार्टी ने ऐसे प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार का अपमान बताया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान भी इस घटनाक्रम का उल्लेख किया था और इसे संविधान का मखौल उड़ाने की घटना बताया था।

इस्तीफा देना चाहते थे मनमोहन सिंह

जिस समय यह घटना हुई थी उसे समय मोंटेक सिंह अहलूवालिया योजना आयोग के उपाध्यक्ष थे। मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने अपनी किताब 'बेकस्टेज : द स्टोरी बिहाइंड इंडियाज हाई ग्रोथ ईयर्स' में इस घटना का जिक्र किया है। उनका कहना है कि अमेरिका से लौटने के बाद मनमोहन सिंह ने मुझसे पूछा था कि क्या मुझे प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए? मनमोहन सिंह के सवाल पर अहलूवालिया ने जवाब दिया कि उन्हें नहीं लगता कि इस मुद्दे पर इस्तीफा देना उचित होगा।

जानकार सूत्रों का कहना है कि इस घटनाक्रम को लेकर मनमोहन सिंह काफी खफा और दुखी थे और उन्होंने इस्तीफा देने का मन बना लिया था। अहलूवालिया ने उन्हें इस्तीफा न देने के लिए कहा था। अहलूवालिया के मुताबिक अध्यादेश को खारिज किए जाने को प्रधानमंत्री पद की गरिमा को कम करने के रूप में देखा गया और मैं इससे सहमत नहीं था। बाद में अहलूवालिया और कुछ अन्य करीबी लोगों के समझाने पर मनमोहन सिंह मान गए थे और उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया था।

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