भारत के अरबपति भगौड़े: मोदी सरकार नहीं छोड़ने वाली किसी को, CBI कर रही जांच

सत्र के पहले दिन वित्त मंत्रालय ने संसद को बताया कि एक जनवरी 2015 से 31 जनवरी 2019 के बीच विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी समेत 38 लोग देश छोड़कर भाग चुके हैं।

Update: 2020-09-14 12:57 GMT
भारत के अरबपति भगौड़े: मोदी सरकार नहीं छोड़ने वाली किसी को, CBI कर रही जांच

नई दिल्ली: सदन के कोरोना संकट के बीच आज यानी 14 सितंबर से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हो चुकी है। इस बार कोरोना वायरस के चलते सत्र में कई बदलाव किए गए हैं। इस बार लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अलग-अलग चलेगी। वहीं इस बार प्रश्नकाल को भी हटा दिया गया है। वहीं सत्र के शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों से चीन सीमा के मुद्दे पर एक स्वर में सैनिकों के साथ खड़े होने की बात कही।

चार साल में देश छोड़कर भागे 38 लोग

इसके अलावा सत्र के पहले दिन वित्त मंत्रालय ने संसद को बताया कि एक जनवरी 2015 से 31 जनवरी 2019 के बीच विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी समेत 38 लोग देश छोड़कर भाग चुके हैं। इन सभी लोगों के खिलाफ वित्तीय अनियमितता के मामले दर्ज हैं, जिसकी केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI) जांच कर रही है।

रिटायर्ड जस्टिस काटजू ने नीरव मामले में दी गवाही (फोटो- सोशल मीडिया)

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रिटायर्ड जस्टिस काटजू ने नीरव मामले में दी गवाही

इधर, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने शुक्रवार को हीरा कारोबारी भगोड़े नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के मामले में नीरव की ओर से गवाही दी थी, जिसको भारत सरकार द्वारा अभियोजन पक्ष ने चुनौती दी है। मार्कंडेय काटजू ने कहा था कि नीरव मोदी को भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिलेगा।

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तीन नवंबर को होगी अगली सुनवाई

वहीं जस्टिस सैमुअल गूजी ने पांच दिन की सुनवाई के आखिरी दिन मार्कंडेय काटजू की विस्तृत गवाही सुनने के बाद मामले की सुनवाई को तीन नवंबर तक स्थगित कर दी है। अब इस मामले की अगली सुनवाई तीन नवंबर को होगी। इस दौरान वह भारतीय अधिकारियों की ओर से पेश सबूतों की स्वीकार्यता से जुड़े तथ्यों पर सुनवाई करेंगे।

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विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका खारिज (फोटो- सोशल मीडिया)

विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका खारिज

वहीं भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। बता दें कि माल्या ने साल 2017 के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को अवमानना को दोषी पाया था। इस मामले पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 27 अगस्त को सुप्रीम फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह पूरा मामला वित्तीय लेन-देन से संबंधित है।

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लोन ना चुकाना माल्या के लिए बना मुसीबत

दरअसल कोर्ट ने विजय माल्या को बैंकों का लोन चुकाने का आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने बैंक लोन चुकाने की जगह पैसा अपने बेटे के अकाउंट में डाल दिया था। माल्या पर 40 मिलियन डॉलर ट्रांसफर करने के आरोप हैं। कोर्ट के फैसले के बाद भी बैंका का लोन न चुकाना देश से फरार विजय माल्या के लिए मुसीबत बन गया है।

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