Mallikarjun Kharge के सामने कई चुनौतियां: तीन हफ्ते में हिमाचल चुनाव, गुजरात में जूझना भी आसान नहीं

मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष तो बन गए हैं, मगर उनके सामने कई चुनौतियां होंगी। आगामी कई राज्यों में होने वाले चुनाव और पार्टी के अंदर गुटबाजी से निपटना उनके लिए चुनौती होगी।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-10-19 15:25 IST

Mallikarjun Kharge (Social Media)

Mallikarjun Kharge :कांग्रेस में 22 साल बाद हुए अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge New Congress President) विजयी घोषित किए गए हैं। इस चुनाव में खड़गे ने अपने प्रतिद्वंद्वी शशि थरूर (Shashi Tharoor) को करारी शिकस्त दी। गांधी परिवार और पार्टी के कद्दावर नेताओं का समर्थन हासिल होने के कारण खड़गे ने इस चुनाव में आसान जीत तो जरूर हासिल कर ली, मगर सियासी मैदान में उन्हें कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना होगा। हालत यह है कि खड़गे के पास इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होने का भी वक्त नहीं है।

चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh Election 2022) में 12 नवंबर को मतदान की घोषणा कर दी है। इस तरह हिमाचल प्रदेश के चुनाव में सिर्फ तीन हफ्ते का समय बचा है। गुजरात (Gujarat Election 2022) में भी चुनाव कार्यक्रम का जल्द ही ऐलान होने वाला है। इन दोनों ही राज्यों में चुनावी तैयारियों के मामले में बीजेपी, कांग्रेस से काफी आगे निकलती दिख रही है। अगले साल भी राजस्थान (Rajasthan) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में खड़गे की सियासी राह काफी मुश्किलों भरी मानी जा रही है। साथ ही, पार्टी में सभी वर्गों को साथ लेकर चलना भी उनके लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं होगा।

हिमाचल में सिर्फ तीन हफ्ते का समय

मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने के साथ ही दो राज्यों में काफी अहम माने जाने जा रहे विधानसभा चुनाव का सामना करना होगा। हिमाचल प्रदेश में तो चुनाव की तारीखों का ऐलान तक हो चुका है। राज्य में 12 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर खड़गे के सामने चुनाव की तैयारियों के लिए महज तीन हफ्ते का समय बचा है। कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा माने जाने वाले राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) में व्यस्त हैं। ऐसे में खड़गे की हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अग्नि परीक्षा होगी।

हिमाचल में कांग्रेस प्रियंका पर निर्भर  

राहुल गांधी की व्यस्तता के कारण हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रियंका गांधी पर निर्भर नजर आ रही है। प्रियंका ने पिछले शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश के सोलन में चुनावी रैली को संबोधित किया था। दूसरी और भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में पूरी ताकत लगा रखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में हिमाचल प्रदेश के दो दौरे किए हैं जबकि गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने भी राज्य पर फोकस कर रखा है। ऐसे में खड़गे के लिए हिमाचल में भाजपा की चुनौतियों से निपटना आसान नहीं होगा।

गुजरात में बीजेपी की बड़ी चुनौती

इसके साथ ही गुजरात में भी जल्द ही चुनाव कार्यक्रम घोषित किए जाने की संभावना है। हिमाचल प्रदेश और गुजरात में कांग्रेस की चुनौतियां इसलिए भी बढ़ गई हैं, क्योंकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा इन दोनों ही राज्यों में नहीं जाने वाली है। इसलिए कांग्रेस को इन दोनों ही राज्यों में भारत जोड़ो यात्रा से कोई सियासी लाभ होने की संभावना नहीं है। गुजरात में तो कांग्रेस के लिए स्थिति और चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है। हार्दिक पटेल समेत पार्टी के कई बड़े चेहरे भाजपा में शामिल हो चुके हैं। भाजपा ने गुजरात के चुनाव को प्रतिष्ठा की जंग बना रखा है और पार्टी ने राज्य में पूरी ताकत झोंक दी है। हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनावों को लेकर अभी तक आए सर्वे में भी भाजपा की स्थिति कांग्रेस से काफी मजबूत मानी जा रही है।

राजस्थान का सियासी संकट

कांग्रेस में केंद्रीय स्तर से लेकर राज्य इकाइयों तक जबर्दस्त गुटबाजी दिखती रही है। मौजूदा समय में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारे हैं और इन दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर खींचतान चल रही है। राजस्थान में तो पिछले दिनों विधायकों के बागी तेवर के कारण कांग्रेस विधायक दल की बैठक तक नहीं हो सकी थी। मजे की बात यह है कि पार्टी के नए अध्यक्ष चुने गए खड़गे इस दौरान पर्यवेक्षक के रूप में जयपुर में ही मौजूद थे। खड़गे राजस्थान के सियासी हालात को संभालने में नाकाम साबित हुए थे।

राजस्थान कांग्रेस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की मजबूत पकड़ है। विधायकों की बगावत के बाद पार्टी नेतृत्व गहलोत से काफी नाराज था मगर अभी तक उन्हें पद से नहीं हटाया जा सका है। ऐसे में राजस्थान संकट सुलझाना भी खड़गे के लिए आसान नहीं होगा।

पार्टी में जबर्दस्त गुटबाजी

राज्य इकाइयों में पनप रही गुटबाजी से निपटना भी खड़गे के आसान नहीं होगा। इसके साथ ही कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे जी-23 से जुड़े नेता भी लंबे समय से पार्टी की कार्यप्रणाली में बदलाव की मांग करते रहे हैं। असंतुष्ट नेताओं से संतुलन बनाते हुए उनकी शिकवा-शिकायतें दूर करना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं माना जा रहा है।

हाल के दिनों में पार्टी के कई बड़े चेहरे पार्टी छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में कांग्रेस को अगले साल विधानसभा चुनाव लड़ना है। ऐसे में खड़गे के सामने कई बड़ी चुनौतियां खड़ी हैं और अब यह देखने वाली बात होगी कि वे इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं। 

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