नई दिल्ली: दुनिया में कई काम केवल इसलिए किया जाता है कि वो पहले से होता आया है। हम अपनी जिंदगी में पुरानी धारणाओं को ही मानते रहते हैं। वैसे होना यह चाहिए कि अच्छे और जागरूक इंसान को पुरानी मान्यताओं व धारणाओं को परखना चाहिए। जानते हैं उन कुछ बातों के बारे में जिन्हें जानकर आप अपने जीवन में ही नहीं बल्कि दूसरों के जीवन में भी बदलाव ला सकते हैं।
पुरानी धारणाओं को परखें : भारत में कई ऐसे पुरानी धारणाएं है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रहीं है, लेकिन लोग उसके पीछे के सत्य को नहीं जानते हैं। आप एक जागरूक नागरिक होने के नाते उन बातों को जानने की कोशिश करें। उसे परखें और वो सही लगे तो स्वीकार करें,नहीं हो तो खारिज कर दें।
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काउंटर विश्वास प्रणाली बनाएं : जब भी आप पुरानी मान्यता के विपरीत कुछ भी करने की कोशिश करते हैं, तो यह केवल ताॢकक समझ के कारण होता है जो आपको उस काम के लिए प्रेरित करती है। यह तार्किक समझ फिर भावनाओं में बदल जाती है। यह अहसास वे भावनाएं और अनुभव हैं जो आपकी जिंदगी के हर पहलू से जुड़े हुए हैं। यही अहसास आपकी राय में तब्दील हो जाते हैं। इस तरह आप अपने जीवन में हर चीज के बारे में राय लेते हैं, चाहे वह आपका काम, परिवार, मित्र या कुछ भी हो। जब आप एक समान प्रकार की पुनरावृत्तियों के अनुभवों से गुजरते हैं, तो यह दृढ़ विश्वास में बदल जाता है। जब लंबे समय तक इस तरह की धारणाओं से जुड़े रहते हैं तो समय के साथ ये परम सत्य बन जाती हैं।
पड़ता है सकारात्मक असर : अगर आप विपरीत संदर्भ एकत्र करना शुरू कर देते हैं तो व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आशावादी व्यक्ति नई विश्वास प्रणाली को बनाता है। उसे दीवार का छेद प्रकाश लाने का माध्यम दिखता है जबकि निराशावादी व्यक्ति पुरानी मान्यताओं से चिपका रहता है और इसे एक दरार कहता है। यह वही सोच है जो लीजेंड्स को हारे हुए लोगों से अलग करती है। पुराने तरीकों से, पुरानी मान्यताओं से जुड़े रहना, पुरानी बातों पर विश्वास करना, सीमाओं में बंधकर रहना, जो दिखाई दे रहा है उससे परे नहीं सोचना,अधिकांश युवाओं का यही हाल है।
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सफल लोगों का उदाहरण लें : दुनिया भर में लाखों कहानियां और प्रसिद्ध बातें हैं जो पुरानी मान्यताओं से आपको चिपके रहने के लिए उकसाती रहती हैं। लेकिन सफल लोगों का इतिहास आइन्स्टीन, एडिशन और विंस्टन चॢचल जैसे लोगों से भरा है। नोबेल पुरस्कार विजेता चर्चिल यूनाइटेड ङ्क्षकगडम के दो बार निर्वाचित प्रधानमंत्री बने। आपको जानकर हैरानी होगी कि वे छठी कक्षा में फेल हो गये थे और सार्वजनिक कार्यालय के लिए हर चुनाव में पराजित हो गए थे, पर अंत में 62 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बन गए। अगर वह पुरानी बातों पर विश्वास कर रहे होते तो आज हम उनके बारे में बात नहीं कर रहे होते।