Sri Krishna Janmabhoomi Case: कृष्ण जन्मभूमि मामला, फिलहाल नहीं होगा ईदगाह का सर्वेक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने स्टे बढ़ाया

Sri Krishna Janmabhoomi Case: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अप्रैल के लिए टल गई है. फिलहाल विवादित शाही ईदगाह के सर्वे पर रोक जारी रहेगी

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-01-29 14:41 IST

सुप्रीम कोर्ट (सोशल मीडिया)

Sri Krishna Janmabhoomi Case: श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले में फिलहाल संबंधित ईदगाह में कोई सर्वे नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद के लिए एक आयोग नियुक्त करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक बढ़ाने का फैसला किया है। यह स्टे अगली निर्धारित सुनवाई तक प्रभावी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित मामले की सुनवाई अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच शाही ईदगाह पर दिए गए स्टे और मुस्लिम पक्ष की केस ट्रांसफर करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह पक्ष की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट कमिश्नर द्वारा सर्वे करने पर 16 जनवरी को स्टे दिया था। हिंदू पक्ष को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। कोर्ट ने हिंदू पक्ष द्वारा हाई कोर्ट में दाखिल किए गए जवाब पर भी सवाल खड़े किए थे और कहा था कि कमिश्नर की नियुक्ति पर एक अस्पष्ट आवेदन दायर नहीं कर सकते। इस मामले में आज सुनवाई हुई थी।

क्या हुआ हाई कोर्ट में

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इससे पहले 14 दिसंबर, 2023 को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर स्थित शाही ईदगाह मस्जिद के विवादित स्थल पर सर्वे की मंजूरी दी थी। कोर्ट ने इसके साथ ही चल रहे विवाद पर कमिश्नर नियुक्त करने के लिए कहा था। बेंच कुल 18 सिविल वादों की सुनवाई कर रही है। "भगवान श्री कृष्ण विराजमान" और 7 अन्य लोगों ने वकील हरि शंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडे और देवकी नंदन के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सर्वे की मांग की गई थी.। याचिका में दावा था कि भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे है और वहां कई संकेत हैं जो स्थापित करते हैं कि मस्जिद एक हिंदू मंदिर था।

सुप्रीम कोर्ट में मामला

5 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद स्थल को कृष्ण जन्मभूमि के रूप में मान्यता देने की मांग वाली एक याचिका खारिज कर दी थी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा था कि वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करना नहीं चाहती। बेंच ने कहा था, ''हम दिए गए फैसले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं और इसलिए विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।''

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