Harpreet Kaur Babla: कौन हैं हरप्रीत कौर बाबला, जिन्होंने AAP को हरा चंडीगढ़ मेयर सीट पर किया कब्ज़ा
Harpreet Kaur Babla: बीजेपी की हरप्रीत कौर बबला चंडीगढ़ मेयर चुनाव जीत गईं हैं।;
Harpreet Kaur Babla: चंडीगढ़ मेयर चुनाव बीजेपी जीत चुकी है। इस चुनाव में विपक्ष के दम पर बीजेपी की हरप्रीत कौर बाबला मेयर सीट पर कब्ज़ा कर चुकी है। बता दें कि 16 पार्षद वाली बीजेपी अपना मेयर बनवाने में कामयाब रही है। इस चुनाव में आप आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा है। जबकि उनके गठबंधन में कांग्रेस सांसद का एक वोट, कांग्रेस पार्षद के छह वोट और AAP के 13 वोट मिले है। लेकिन इतने वोट मिलने के बाद भी गठबंधन इस चुनाव को हार गई। वहीं अगर इस चुनाव में बीजेपी की बात की जाए तो उसे इसमें कुल 19 वोट मिले हैं जिससे बीजेपी ने मेयर चुनाव जीत लिया है। बता दें कि इस मेयर चुनाव में सभी 35 पार्षदों और एक संसद ने अपने मत का प्रयोग किया था।
बता दें कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कुछ पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की, जिससे बीजेपी 16 पार्षदों के बावजूद मेयर बनाने में सफल रही। कांग्रेस सांसद समेत कुल 20 वोट होने के बावजूद गठबंधन हार गया। सीक्रेट बैलेट के कारण क्रॉस वोट करने वालों की पहचान स्पष्ट नहीं हो सकी।
कौन हैं हरप्रीत कौर बाबला?
हरप्रीत कौर बबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता हैं, जिन्होंने हाल ही में चंडीगढ़ के मेयर पद का चुनाव जीता है। वह एक सेवानिवृत्त कर्नल की बेटी हैं और उनके पति, देविंदर सिंह, पूर्व पार्षद रह चुके हैं। इस चुनाव में हरप्रीत कौर का मुकाबला आम आदमी पार्टी की प्रेम लता से था। चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग के कारण भाजपा को 19 वोट मिले, जबकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन को 17 वोट प्राप्त हुए।
मेयर चुनाव से पहले सिटिंग मेयर कुलदीप कुमार को जमानत
चंडीगढ़ मेयर चुनाव से पहले सिटिंग मेयर कुलदीप कुमार को बड़ी राहत मिली, जब पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी। भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे कुलदीप कुमार ने अदालत से अग्रिम जमानत और चुनाव में वोट डालने की अनुमति मांगी थी, जिसे मंजूरी मिल गई। चुनाव से कुछ घंटे पहले ही कुलदीप कुमार और उनके साले राहुल के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया। उन पर सफाईकर्मी की नौकरी दिलाने के नाम पर एक व्यक्ति से 75,000 रुपये लेने का आरोप है। शिकायतकर्ता रवि ने चंडीगढ़ क्राइम ब्रांच में शिकायत दी थी, जिसके बाद जांच में सबूत मिलने पर एफआईआर दर्ज की गई। इस घटनाक्रम के बावजूद कुलदीप कुमार ने चुनाव में हिस्सा लिया और वोट डाला।