करगिल का 'बहादुर' जब 'हवा में उड़ता ताबूत' नाम से हो गया कुख्यात

भारत की सुरक्षा में तैनात हीरो लड़ाकू विमान मिग-27 की खूबियां और इतिहास में इसका योगदान हर कोई याद करेंगा। एक वो दौर था जब आसमान में मिग 27 ने उड़ान भरी तो करगिल ने जीत का इतिहास लिख दिया।

Update: 2019-12-27 10:25 GMT

भारत की सुरक्षा में तैनात हीरो लड़ाकू विमान मिग-27 की खूबियां और इतिहास में इसका योगदान हर कोई याद करेंगा। एक वो दौर था जब आसमान में मिग 27 (Mig 27) ने उड़ान भरी तो करगिल ने जीत का इतिहास लिख दिया। लेकिन बीते सालों के आँकडों पर नजर डालें तो ये उड़ता फिरता ताबूत बन कर रह गया। दुश्मनों के खात्में के लिए बना विमान भारतीय जवानों की मौत का भी सबब बना। जी हाँ, मिग 27 की खूबियाँ कम नहीं, लेकिन कमियों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

पाकिस्तान के खिलाफ करगिल युद्ध का हीरो लड़ाकू विमान मिल-27 शुक्रवार को वायुसेना से रिटायर हो गया। मिग 27 ने राजस्थान के जोधपुर एयरबेस में अपनी आखिरी उड़ान भरी। तीन दशकों से वायुसेना की सेवा करने वाले मिग 27 को सेना के बड़े अधिकारियों ने विदाई के दौरान सलामी दी।

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इसलिए ख़ास है मिल-27

भारतीय वायुसेना का खजाना बनने वाला लड़ाकू विमान मिग 27 सेना के बेड़े में साल 1985 में शामिल किया गया। यह लड़ाकू विमान बेहद सक्षम था, जो कि ज़मीनी हमले की क्षमता का आधार रहा है। वायु सेना के सभी प्रमुख ऑपरेशन्स में भाग लेने के साथ मिग-27 नें 1999 के कारगिल युद्ध में भी एक अभूतपूर्व भूमिका निभाई थी।

ये मिग 27 की खूबी ही थीं कि वायुसेना में स्क्वाड्रन 29 यूनिट में अब तक शामिल रहा और इस यूनिट ने विमान के अपग्रेड वैरिएंट का अब तक इस्तेमाल किया। जबकि मिग सीरीज के अन्य वैरिएंट, मिग-23 BN और मिग-23 MF और विशुद्ध मिग 27 पहले ही भारतीय वायु सेना से रिटायर हो चुके हैं।

ऑपरेशन सफ़ेद सागर के बाद मिली 'बहादुर' की उपाधि:

मिग 27 करगिल युद्ध में भारत का दमदार साथी बना और दमदार भूमिका निभाई। 1999 में 'ऑपरेशन सफ़ेद सागर' में शामिल होकर दुश्मनों के पोजीशन और सप्लाई पर हमला बोल दिया और पड़ोसी देश की कमर तोड़ दी। इस दमदारी के बाद सेना ने विमान को 'बहादुर' की उपाधि भी दी।

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ये हुआ था नुकसान

हमला करने में सबसे बेहतरीन कहा जाने वाला मिग 27 अपनी खूबियों के साथ ही अपनी कमियों की वजह से भी चर्चा में रहा। दरअसल, इसके क्रैश होने के किस्से भी आम हैं। इस विमान के इंजन की खराबी इसकी सबसे बड़ी कमी बनी थी।

'रंग दे बसंती' मिग-27 की घटनाओं पर आधारित:

इंजन की तकनीकी खामी कभी पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकी। यहीं कारण था कि विमान के क्रैश होने की घटनाएँ आम हो गयीं। आंकड़ों के मुताबिक़, पिछले दस सालों में हर साल दो विमान हादसे हुए। इसी के चलते इस विमान को हीरो के साथ ही 'हवा में उड़ता ताबूत' नाम दिया गया। ध्यान दें कि बॉलीवुड फिल्म 'रंग दे बसंती' मिग 27 के हादसों पर ही आधारित थी।

रूस ने 1985 से मिग 21 का प्रोडक्शन बंद कर चुका है। 2018 तक वायु सेना के पास करीब 120 मिग 21 थे जिनमें से अधिकतर क्रैश हो गए हैं। सरकार ने 2021-22 तक सेवा से बाहर कर दिया गया है।

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मिग-27 की आखिरी उड़ान

आज मिग 27 ने वायुसेना से रिटायरमेंट ले लिया है। बड़े अधिकारियों की मौजूदगी में मिग 27 की विदाई की गयी।

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