लखनऊ से रायपुर जाने वाली ट्रेन पकड़ने के लिए आये प्रवासी मजदूर
ऐसा यूँ ही नहीं हुआ, इसके पीछे का कारण बहुत ही दर्द भरा है। जब अपना बच्चा भूखा सोने को मजबूर हो जाए तो इंसान कोई भी कदम उठाने के लिए तैयार हो जाता है। फिर क्या था हजारों-लाखों कदम सड़कों पर निकल पड़े अपने घर अपने गाँव के लिए।
लखनऊ: लॉक डाउन के चलते देश के हर कोने में प्रवासी मजदूर भाई फंस गए। हालांकि, लॉक डाउन की घोषणा के साथ ही पीएम मोदी ने यह भी एलान किया था कि जो जहां है वो वहीं स्थिति सुधरने तक रुके रहें। लेकिन ऐसा नहीं हो सका और लोग अपने-अपने घर के लिए पैदल ही निकल पड़े।
ऐसा यूँ ही नहीं हुआ, इसके पीछे का कारण बहुत ही दर्द भरा है। जब अपना बच्चा भूखा सोने को मजबूर हो जाए तो इंसान कोई भी कदम उठाने के लिए तैयार हो जाता है। फिर क्या था हजारों-लाखों कदम सड़कों पर निकल पड़े अपने घर अपने गाँव के लिए।
कोरोना ने बढ़ाई मुश्किलें
बहुत सारी घटनाओं के घटने के बाद देश की सरकारों ने इन मजबूर और लाचार मजदूरों की सुधि ली उसके बाद कुछ नियन और शर्तों के साथ ट्रेन और बसों का सञ्चालन शुरू किया। लखनऊ में फंसे लोगों के लिए पहली ट्रेन लखनऊ से रायपुर के लिए आज रवाना की गई । जिसके कारण आज चारबाग रेलवे जंक्शन पर इकट्ठे हुए लोगों की तस्वीरों को हमारे कैमरा मैन आशुतोष त्रिपाठी ने कैद किया जिसमें इनकी लाचारी साफ़ झलकती है लेकिन इरादे अभी भी मजबूत हैं।
1- इन बेबस आँखों में इंतज़ार हैं, अपनों से मिलने का, घर पहुँचने का
2- और लोंगों से खुश नसीब हैं जिनको ये सहायता मिल गई
3- बच्चे के साथ-साथ दुनिया का भी बोझ उठाती है मां
4- मासूमियत भरी आँखों में बहुत सारे सपने
5- अपना परिवार ही सबकुछ
7- बिमारी से बचने के लिए दूरी है जरूरी
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