Mission 2024: बिहार में राजद और कांग्रेस के बीच कैसे बनेगी बात, डिमांड के मुताबिक सीटें देने को लालू यादव की पार्टी तैयार नहीं

Mission 2024:तीन घंटे तक चली इस बैठक में बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने मंथन किया।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-12-27 10:06 IST

Rahul Gandhi Nitish Kumar and Lalu Prasad Yadav (photo: social media )

Mission 2024: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस हाईकमान विभिन्न राज्यों के नेताओं के साथ बैठक करने में जुटा हुआ है। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने मंगलवार को बिहार कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक की। तीन घंटे तक चली इस बैठक में बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने मंथन किया। बिहार में कांग्रेस की अपेक्षा 10 लोकसभा सीटों की है। हालांकि पार्टी का कहना है कि वह इसके लिए अनावश्यक दबाव नहीं बनाएगी।

बैठक के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि यदि हमें राज्य में 8 या 9 सीटें मिल जाएं तो भी ठीक है। एकाध सीट से कुछ होता नहीं है। बस सबसे जरूरी बात यह है कि गठबंधन बरकरार रहना चाहिए। दूसरी ओर बिहार में लालू प्रसाद यादव की पार्टी रागद कांग्रेस को चार से अधिक सीटें देने के लिए तैयार नहीं है। इस कारण बात बनती हुई नजर नहीं आ रही है। बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर 29 दिसंबर को गठबंधन के नेताओं की बातचीत होने वाली है और अब सबकी निगाहें 29 को होने वाली इस बैठक पर लगी हुई हैं।

बिहार पर कांग्रेस ने किया लंबा मंथन

राजधानी दिल्ली में हुई बैठक के दौरान बिहार की 40 लोकसभा सीटों के समीकरण और संभावनाओं पर गहराई से चर्चा की गई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने उन सीटों की विशेष रूप से चर्चा की जहां पर कांग्रेस की जीत की संभावना दिख रही है। बिहार कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी चुनावी समीकरण पर अपनी राय रखी। बैठक में बिहार के करीब 35 नेता मौजूद थे और सबने अपनी बात रखी।

खड़गे और राहुल गांधी ने राज्य कांग्रेस के नेताओं की बातों को सुनने के साथ ही महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। बैठक में राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल, बिहार प्रभारी मोहन प्रकाश, सह प्रभारी अजय कपूर के साथ बिहार से शकील अहमद खान, अनिल शर्मा, कौकब कादरी, डा. अशोक राम, विजय शंकर दूबे, प्रेमचंद्र मिश्रा, कन्हैया कुमार आदि उपस्थित थे।

29 की बैठक में होगी सीटों पर चर्चा

बैठक के बाद बिहार के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस बिहार में पूरी रणनीति के साथ चुनावी अखाड़े में उतरेगी। बिहार में पार्टी की सियासी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए हमने एक विशेष कार्ययोजना तैयार की है और हम इसी पर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में हमारा रुख काफी सकारात्मक और लचीला होगा।

पिछले बार हमने राजद और वामदलों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था मगर अब जदयू भी महागठबंधन में शामिल है। हमें गठबंधन में शामिल दलों के साथ तालमेल करके ही चुनाव लड़ना है। उन्होंने कहा कि 29 दिसंबर को गठबंधन समिति की बैठक होने वाली है और इस बैठक के दौरान सीटों के बंटवारे पर राजद और जदयू के साथ चर्चा की जाएगी।

बिहार में इतनी सीटों पर कांग्रेस की नजर

बिहार में कांग्रेस की अपेक्षा 10 सीटों की है मगर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हमें 8 या 9 सीटें मिल जाएं तो भी ठीक है। सबसे जरूरी चीज गठबंधन है और यह बरकरार रहना चाहिए। हम सहयोगी दलों के साथ तालमेल करके 29 दिसंबर को होने वाली बैठक में अपनी बात रखेंगे। बिहार में राजद जदयू लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन सत्ता में है।

बिहार कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष खड़गे ने सोशल मीडिया पर कहा कि बिहार के लोगों की उम्मीद के मुताबिक गठबंधन सरकार पूरी मजबूती से कम कर रही है और कांग्रेस के कार्यकर्ता राज्य के लोगों की अपेक्षाओं पर खरे उतरने के लिए तैयार हैं।

राजद सिर्फ चार सीटें देने के लिए तैयार

वैसे बिहार में कांग्रेस की अपेक्षाओं के मुताबिक गठबंधन होना काफी मुश्किल माना जा रहा है क्योंकि बिहार में राजद सहयोगी दलों को सिर्फ 6 सीटें देने के लिए तैयार है। दरअसल राजद और जदयू की ओर से राज्य की 17-17 लोकसभा सीटों पर लड़ने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में सिर्फ छह सीटें बच रही हैं जो सहयोगी दलों को दी जा सकती हैं।

राजद ने इनमें से दो सीटें सीपीआई और सीपीआई-एमएल को देने की बात कही है। ऐसे में कांग्रेस को बिहार में सिर्फ चार सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है। जानकारी के मुताबिक रागद की ओर से इस बाबत कांग्रेस नेतृत्व को सूचित भी कर दिया गया है। अब ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि 29 दिसंबर की बैठक में सीटों के बंटवारे पर क्या सहमति बनती है।

अब बदल गए हैं राज्य के सियासी हालात

यदि 2019 के लोकसभा चुनाव को देखा जाए तो उस समय राजद को 20, कांग्रेस को नौ, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को पांच, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और वीआइपी को तीन-तीन सीटें मिली थीं। उस समय गठबंधन का यही स्वरूप था। बाद में राजद ने अपनी आरा की सीट भाकपा-माले के लिए छोड़ दी थी। 2019 का चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ किशनगंज सीट पर जीत हासिल हुई थी। शेष 39 सीटों में से 17 पर भाजपा, 16 पर जदयू और छह पर लोजपा को जीत मिली थी।

अब बिहार में गठबंधन का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है। बिहार के विपक्षी गठबंधन में अब जदयू, राजद और कांग्रेस के अलावा तीनों वाम दल (माकपा, भाकपा और माले) शामिल हैं। विपक्षी गठबंधन में जदयू के शामिल होने के बाद स्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं और ऐसे में कांग्रेस की डिमांड पूरी होना मुश्किल माना जा रहा है।

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