INDIA Bloc: ममता के पक्ष में विपक्ष के बड़े नेताओं की गोलबंदी, राहुल गांधी के लिए पैदा हुई बड़ी चुनौती

INDIA Bloc: इंडिया गठबंधन की लीडरशिप को लेकर टीएमसी की ओर से कांग्रेस को बड़ी चुनौती मिल रही है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-12-11 13:33 IST

INDIA Bloc

INDIA Bloc: विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में नेतृत्व को लेकर तकरार लगातार बढ़ती जा रही है। इंडिया गठबंधन की लीडरशिप को लेकर टीएमसी की ओर से कांग्रेस को बड़ी चुनौती मिल रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से इंडिया गठबंधन के नेतृत्व की दावेदारी किए जाने के बाद उनकी पार्टी खुलकर मैदान में आ गई है। टीएमसी के नेता ममता बनर्जी के स्ट्राइक रेट का हवाला देते हुए उन्हें नेतृत्व सौंपने की मांग कर रहे हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार ने ममता के दावे को और मजबूती प्रदान कर दी है।

दूसरी ओर इंडिया गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है और कांग्रेस को राहुल गांधी के अलावा किसी और का नेतृत्व मंजूर नहीं है। वैसे राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए संकट की स्थिति पैदा होती दिख रही है क्योंकि विपक्ष के बड़े नेता शरद पवार, लालू प्रसाद यादव, उद्धव ठाकरे और अखिलेश यादव की ओर से ममता बनर्जी के नाम की वकालत की जा रही है। विपक्ष के इन बड़े नेताओं के खुलकर मैदान में आ जाने के कारण राहुल गांधी के लिए ममता बनर्जी बड़ा खतरा बनती दिख रही हैं।

टीएमसी नेता खुलकर ममता के पक्ष में उतरे

ममता बनर्जी को नेतृत्व सौंपने की मांग को लेकर टीएमसी नेता खुलकर बैटिंग करने लगे हैं। उनका कहना है कि ममता बनर्जी सात बार की एमपी, चार बार की केंद्रीय मंत्री और पिछले तीन कार्यकाल से लगातार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं। टीएमजी की सांसद सुष्मिता देव का कहना है कि इतनी मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि के साथ ममता बनर्जी की दावेदारी को नकारा नहीं जा सकता।

सुष्मिता ने कहा कि सुशासन का उनका शानदार रिकॉर्ड रहा है और उन्हें अपना बायोडाटा बताने की जरूरत नहीं है। आमने-सामने की लड़ाई में उन्होंने भाजपा को कई बार हराया है। यही कारण है कि देशभर के नेताओं की ओर से उनके नाम की वकालत की जा रही है।


सुष्मिता से पहले टीएनसी सांसद कीर्ति आजाद भी ममता के स्ट्राइक रेट का हवाला देते हुए उन्हें नेतृत्व सौंपने की मांग कर चुके हैं। उनका कहना है कि भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के मुकाबले ममता का स्ट्राइक रेट जबर्दस्त रहा है। इस कारण वे नेता बनने की स्वाभाविक हकदार हैं।

लालू के बयान से ममता की दावेदारी मजबूत

ममता के पक्ष में उल्लेखनीय बात यह है कि उन्हें एनसीपी के मुखिया शरद पवार और राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव का समर्थन भी हासिल हो चुका है। लालू यादव ने मांग की है कि इंडिया गठबंधन का नेतृत्व राहुल गांधी की जगह ममता बनर्जी के हाथों में सौंपा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के आपत्ति जताने भर से कुछ नहीं होता।

गठबंधन के साथी नेतृत्व में बदलाव चाहते हैं और उन्होंने इस बाबत चर्चा भी शुरू कर दी है। गठबंधन की बेहतरी के लिए नेतृत्व में बदलाव जरूरी है और इसे गलत नहीं माना जा सकता। अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव भी ममता के नेतृत्व की तरफदारी कर चुके हैं।

शरद पवार,उद्धव और अखिलेश भी ममता के पक्ष में

लालू यादव से पहले एनसीपी मुखिया शरद पवार और शिवसेना यूबीटी के मुखिया उद्धव ठाकरे भी ममता बनर्जी की तरफदारी कर चुके हैं। इन दोनों नेताओं ने हाल में कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में चुनाव लड़ा था जिसमें भाजपा की अगुवाई में महायुति ने बड़ी जीत हासिल की थी। शरद पवार ने ममता को विपक्ष का बड़ा चेहरा बताते हुए कहा कि उन्हें नेतृत्व सौंपने में किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए। शरद पवार का यह रुख इसलिए महत्वपूर्ण है कि जब ममता ने कांग्रेस के बिना विपक्ष का गठबंधन बनाने की बात कही थी तो उन्होंने कांग्रेस को बड़ी पार्टी बनाते हुए ममता के प्रस्ताव का विरोध किया था।


नेतृत्व की लड़ाई में ममता भारी

विपक्ष के बड़े नेताओं का समर्थन मिलने के बाद इंडिया गठबंधन के नेतृत्व की लड़ाई में ममता बनर्जी राहुल गांधी पर भारी पड़ती हुई दिख रही हैं। हालांकि कांग्रेस नेताओं की ओर से दलील दी जा रही है कि राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं जबकि ममता बनर्जी का प्रभाव सिर्फ पश्चिम बंगाल तक ही सीमित है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इंडिया गठबंधन को भाजपा के खिलाफ पूरे देश में लड़ाई लड़नी है और ऐसे माहौल में राहुल गांधी ममता बनर्जी पर भारी पड़ते हैं।

कांग्रेस का प्रभुत्व मानने को तैयार नहीं कई दल

दरअसल हरियाणा के बाद महाराष्ट्र की हार ने नेतृत्व के मामले में कांग्रेस का पक्ष कमजोर बना दिया है। विपक्ष के नेता अब कांग्रेस को लगातार मिल रही हर की नजर देने लगे हैं। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भी विपक्षी दल और अलग-अलग सुर अलापते हुए दिखे।

कांग्रेस की ओर से अडानी मुद्दे पर जोर दिए जाने के बाद कांग्रेस और सपा ने किनारा कर लिया और दूसरे मुद्दों को उठाने पर जोर दिया। इससे साफ हो गया है कि विपक्षी दल अब कांग्रेस के प्रभुत्व को मानने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं।

विपक्ष में चल रही इस खींचतान से भाजपा को फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में यह खींचतान और बढ़ सकती है। अब जल्द ही दिल्ली के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इस चुनाव में कांग्रेस को भाजपा ही नहीं बल्कि आप का भी मुकाबला करना है। दिल्ली के चुनाव नतीजे के बाद राहुल के नेतृत्व को लेकर उठ रहा सवाल और गंभीर हो जाएगा।

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