मोदी कैबिनेट का फैसला, रेल बजट को आम बजट में मिलाने का प्रस्ताव किया पारित
नई दिल्लीः पीएम मोदी ने बुधवार को हुए कैबिनेट मीटिंग में एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। कैबिनेट ने रेल बजट को आम बजट में मिलाने के प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी है। संसद से मंजूरी मिलने के बाद अगले साल से एक ही बजट पेश किया जाएगा।
पिछले 92वें साल से चली आ रही रेल बजट पेश करने की परंपरा खत्म कर दी गई है। अब संसद में सिर्फ आम बजट ही अगले वित्तीय वर्ष से पेश किया जाएगा। अब रेल मंत्रालय का लेखा जोखा भी आम बजट में होगा जैसे दूसरे मंत्रालय को रखा गया है। इस प्रस्ताव पर रेलमंत्री ने पहले ही अपनी सहमति दे दी थी।
अभी बाकी है मंत्रालयों का बंटवारा
रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि रेल मंत्रालय का बजट अब वित्त मंत्रालय तय करेगा। वैसे अभी दोनों मंत्रालयों के अधिकारों का बटंवारा नहीं हुआ है। वित्त मंत्रालय और रेल मंत्रालय के बीच पेंशन की देनदारी, रेलवे को वित्त मंत्रालय से मिलने वाले ग्रॉस बजटरी सपोर्ट, डिवीडेंड और किराया तय करने का अधिकार जैसे मसले पर अभी आखिरी फैसला लेना बाकी है।
ये है रेलवे का बजट प्लान
-रेलवे को 2016-17 में कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए लगभग 70 हजार करोड़ रुपए चाहिए।
-गाड़ियों में ईधन बिजली के लिए 23 हजार करोड़ रुपए चाहिए।
-रिटायर्ड कर्मचारियों के पेंशन देने के लिए 45 हजार करोड़ रुपए।
-सरकार को डिवीडेंड देने के लिए 5500 करोड़ रुपए चाहिए।
रेलमंत्रालय मर्जर के बाद भी कर सकेगा परियोजनाओं का ऐलान
रेल का किराया बढ़ाने के मामले पर वित्त और रेल मंत्रालय के बीच इस बात पर सहमति जताई है कि किराया बढ़ाने और घटाने के लिए रेल टैरिफ अथॉरिटी बनाई जाएगी। रेल बजट के आम बजट में मर्जर के बाद भी रेलमंत्रालय नई रेलगाड़ियों और परियोजनाओं का ऐलान कर सकेगा।
इससे होगी 10 हजार करोड़ की बचत
अगर रेल बजट को आम बजट में मिला दिया जाता है तो इससे नकदी की कमी से जूझ रही रेलवे को हर साल तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी। क्योंकि रेल मंत्रालय को यह रकम डिविडेंड यानी लाभांश के तौर पर देना पड़ता है।