मोदी सरकार का बड़ा एक्शन, भारत आतंकी संगठन जैश पर डोजियर कर रहा तैयार

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार एक बड़ी रणनीति पर काम कर रही है। खबर है कि भारत आतंकी संगठन जैश पर डोजियर तैयार कर रहा है। इस काम में खुफिया एजेंसियां काम कर रही हैं।

Update: 2019-02-17 05:08 GMT

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार एक बड़ी रणनीति पर काम कर रही है। खबर है कि भारत आतंकी संगठन जैश पर डोजियर तैयार कर रहा है। इस काम में खुफिया एजेंसियां काम कर रही हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जैश, आईएसआई और तहरीके-ए-तालिबान के खिलाफ डोजियर तैयार हो रहा है। इस डोजियर में पाकिस्तानी एजेंसियों का जिक्र होगा। जिनकी मदद से पाकिस्तान में आतंकवाद फल-फूल रहा है। पाकिस्तानी एजेंसियां पाकिस्तान के ही प्रमुख आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को समर्थन देती हैं। इस दस्तावेज में जैश-ए-मोहम्मद की ओर से भारत में कराए गए सभी आतंकी हमलों का जिक्र होगा।

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पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ((FATF) को यह बताया जाएगा कि किस तरह पाकिस्तानी संस्थाएं आतंकी संगठनों को फंड मुहैया कराती हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि एफएटीएफ की अगली बैठक में भारत, पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने के लिए भी दबाव डालेगा, ताकि पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। एफएटीएफ की प्लेनरी और वर्किंग ग्रुप मीटिंग पेरिस में अगले सप्ताह होगी।

पाकिस्तान अगर एफटीएफ की ब्लैकलिस्ट में आता है तो इसका यह मतलब होगा कि पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिग और टेरर फंडिंग के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में साथ नहीं निभा रहा है। साथ ही इस ब्लैकलिस्टिंग के साथ पाकिस्तान को इंटरनेशन मॉनिटरी फंड, वर्ल्ड बैंक, एडीबी, यूरोपियन यूनियन से मिलने वाली वित्तीय मदद प्रभावित होगी. ब्लैक लिस्टिंग के बाद तीन बड़ी क्रेडिट रेटिंग संस्थानों (मूडीज, एस एंड पी, और फिच) की रेटिंग में गिरावट आएगी।

वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर पुलवामा हमले को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि पुलवामा हमले को लेकर 57 देशों ने कड़ी निंदा की है और आतंकवाद को खत्म करने के लिए भारत के समर्थन में भी खड़े हो गए हैं।

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FATF की निगरानी में आने से क्या होता नुकसान?

FATF एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो गैरकानूनी फंड के खिलाफ मानक तय करती है। पाकिस्तानी अधिकारियों और पश्चिमी राजनयिकों का मानना ​​है कि FATF की निगरानी में शामिल होने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा सकता है। इससे विदेशी निवेशकों और कंपनियों को पाकिस्तान में बिज़नेस करने में काफी दिक्कत होगी। इसके अलावा पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय कर्ज बाजारों से पैसा उधार लेना भी मुश्किल होगा।

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