मोदी ने किसानों से बातचीत का रास्ता खोला, कृषि कानूनों पर गलतफहमी करेंगे दूर

प्रधानमंत्री ने किसानों से सवाल भी पूछा कि वे बताएं कि नए कृषि कानूनों में कमी क्या है और इनके लागू होने पर उनका कौन सा हक छीन गया।

Update:2021-02-11 10:50 IST
मोदी ने किसानों से बातचीत का रास्ता खोला, कृषि कानूनों पर गलतफहमी करेंगे दूर (PC: social media)

नई दिल्ली: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नए कृषि कानूनों पर सरकार का रुख पूरी तरह साफ कर दिया। प्रधानमंत्री ने विपक्ष के आरोपों का तीखे अंदाज में जवाब दिया। वहीं किसानों को वार्ता के टेबल पर बैठकर चर्चा करने और समाधान निकालने का संदेश भी दिया।

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प्रधानमंत्री ने किसानों से सवाल भी पूछा कि वे बताएं कि नए कृषि कानूनों में कमी क्या है और इनके लागू होने पर उनका कौन सा हक छीन गया। नए कृषि कानूनों पर खुलकर अपनी बात रखते हुए पीएम ने साफ किया कि किसी भी कानून का विरोध तब होता है जब वह बाध्यकारी हो। मौजूदा कानून बाध्यकारी नहीं है और इसलिए विरोध की कोई वजह ही नहीं बनती।

मरहम लगाने के साथ तंज भी

राज्यसभा के बाद लोकसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने किसानों को मरहम लगाने की भी कोशिश की। उन्होंने किसानों के आंदोलन को पवित्र बताते हुए कहा कि कुछ आंदोलनजीवी लोग इसे अपवित्र बना रहे हैं।

उन्होंने सवाल किया कि टोल बूथों पर कब्जा किया जाना, मोबाइल टावरों को तोड़ना, जेल में बंद माओवादियों और आतंकियों की रिहाई की मांग करना, यह सब क्या है। ये सब आंदोलन को अपवित्र बनाने के तरीके हैं और यह काम आंदोलनजीवी लोग ही कर रहे हैं।

पुरानी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं

किसानों को आंदोलन की राह छोड़ने का संदेश देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि तीनों कृषि कानून संसद के माध्यम से महीनों पहले लागू हुए, लेकिन क्या इन कानूनों के लागू होने से पुरानी व्यवस्था में कोई बदलाव हुआ? क्या एमएसपी खत्म हो गई? क्या निजी मंडियों का अस्तित्व खत्म हो गया?

उन्होंने कहा कि एमएसपी थी, है और आगे भी बनी रहेगी। सच्चाई तो यह है कि एमएसपी के तहत पहले से भी ज्यादा खरीदारी हुई है। किसानों का हक छीनने का सरकार का कोई इरादा नहीं है।

फायदा लेना-न लेना आपकी मर्जी

लोकसभा में अपने डेढ़ घंटे के भाषण के दौरान पीएम मोदी ने विपक्ष पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विपक्ष की ओर से लगातार यह सवाल पूछा जा रहा है कि जब किसानों ने मांगा ही नहीं था तो दिया क्यों। मैं इस प्रवृत्ति को काफी खतरनाक मानता हूं।

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इसके साथ ही साथ यह भी स्पष्ट कर देना जरूरी है कि ये कानून पूरी तरह वैकल्पिक हैं, बाध्यकारी नहीं। कानून से फायदा लेना, न लेना आपकी मर्जी है। सरकार इस कानून को किसी के गले मढ़ नहीं रही है। उन्होंने कहा कि समाज में सुधार आवश्यक है। इसलिए समय-समय पर कानून बनाए जाते हैं और हमारी सरकार इस रास्ते पर आगे भी चलती रहेगी।

किसानों को मिला अतिरिक्त विकल्प

किसान संगठनों को समझाने के अंदाज में प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने और आत्मनिर्भर भारत के लिए तीनों कृषि कानून बेहद जरूरी हैं। इन कानूनों के जरिए सरकार ने किसानों को अपनी उपज बेचने का अतिरिक्त विकल्प मुहैया कराया है।

सरकार देश की बड़ी आबादी को विकास और आगे बढ़ने के अवसरों से वंचित नहीं रखना चाहती। उन्होंने कहा कि ठहरा हुआ पानी बीमारियां पैदा करता है जबकि बहते हुए पानी से जीवन में उमंग और नए अवसर पैदा होते हैं। यही कारण है कि किसानों की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए हमने तीन नए कृषि कानून बनाए हैं।

सरकार बातचीत के लिए पूरी तरह तैयार

पीएम मोदी ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि सरकार कृषि कानूनों के प्रावधान पर चर्चा करने को पूरी तरह तैयार है। यदि इन कानूनों में कोई कमी है तो उनमें बदलाव किया जा सकता है।

हम किसानों का सम्मान करते हैं और यही कारण है कि सरकार ने लगातार किसान संगठनों से बात की है और आगे भी हम बातचीत करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हम कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने के पक्षधर हैं और यही कारण है कि कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण और इस क्षेत्र में निजी निवेश पर जोर दिया जा रहा है।

विपक्ष को पर्दाफाश होने का डर

लोकसभा में प्रधानमंत्री का राज्यसभा से भी ज्यादा आक्रामक अंदाज दिखा और उन्होंने विपक्ष पर सरकार को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सदन में जो हो हल्ला मचाया जा रहा है, रुकावट डालने की कोशिश की जा रही है, यह सबकुछ एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।

विपक्ष की रणनीति पूरी तरह साफ है। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि किसानों के बीच जो झूठ और अफवाहें फैलाई गई हैं, उनका पर्दाफाश हो जाएगा। ये लोग इस बात को नहीं पचा पा रहे हैं कि जनता तक सच की जानकारी पहुंचे।

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कानून वापस नहीं लेगी सरकार

जानकारों का कहना है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए कृषि कानूनों पर दिए गए जवाब से साफ है कि सरकार इन कानूनों को वापस लेने वाली नहीं है। कृषि मंत्री ने भी अपने भाषण के दौरान कानूनों में बदलाव की बात कही थी और प्रधानमंत्री ने भी साफ कर दिया है कि यदि किसान संगठन हमें इन कानूनों में कोई कमी बताते हैं तो हम उन कमियों को दूर करने के लिए तैयार हैं।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने यह भी साफ कर दिया है कि सरकार ने इस मुद्दे पर कोई अड़ियल रवैया नहीं अपनाया है। किसान संगठनों के आगे आने पर सरकार वार्ता के लिए पूरी तरह तैयार है।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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