IMD On Monsoon : इस बार मानसून आने में होगी देरी, जानें केरल में कब दे रहा दस्तक?
IMD On Monsoon: दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य तौर पर 1 जून को केरल में प्रवेश करता है। इस बार आमतौर पर मानसून में देरी की संभावना है। अमूमन 7 दिनों की देरी या जल्दी होती रही है।
Monsoon Update : देश भर में बढ़ती गर्मी के बीच लोगों को मानसून का इंतजार है। देशवासियों के मन में ये जिज्ञासा जरूर रहती है कि, मानसून उनके इलाके में कब दस्तक देगा। आपको बता दें, इस साल केरल (Kerala) में दक्षिण-पश्चिम मानसून (South West Monsoon) के आगमन में थोड़ी देरी की संभावना है। मौसम विभाग कार्यालय ने 16 मई को बताया कि, मानसून (Monsoon 2023) के 4 जून को दस्तक देने की संभावना है।
ज्ञात हो कि, दक्षिणी राज्य में मानसून क्रमशः 2022 में 29 मई को, 2021 में 3 जून को और 2020 में 1 जून को केरल पहुंचा था। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पिछले महीने ही कहा था कि, अल नीनो (Al Nino) की स्थिति के बावजूद भारत में मानसून के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद है।
केरल के ऊपर मानसून के आरंभ से होता है चिन्हित
गौरतलब है कि, देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून का आगे बढ़ना केरल के ऊपर मानसून के आरंभ से चिन्हित होता है। यह एक गर्म तथा शुष्क मौसम से वर्षा के मौसम में रूपांतरण को निरुपित करने वाला एक महत्वपूर्ण संकेत है। अतः जैसे-जैसे मानसून उत्तर दिशा की तरफ आगे बढ़ने लगता है, इन क्षेत्रों को चिलचिलाती गर्मी के तापमान से राहत मिलने लगती है। हालांकि, अभी देश के कई राज्य भीषण गर्मी की चपेट में हैं।
Heatwave की संभावना नहीं, लेकिन बढ़ेगा तापमान
आईएमडी अधिकारी कुलदीप श्रीवास्तव (IMD officer Kuldeep Srivastava) ने बताया कि, 'मई के पहले दो हफ्तों में लू (Heatwave) की स्थिति पश्चिमी विक्षोभ (western disturbance) के कारण कम गंभीर थी। हीटवेव ने उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों को जरूर प्रभावित किया। कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, अगला पश्चिमी विक्षोभ (WD) उत्तर-पश्चिम भारत में आ रहा है। अगले सात दिनों तक, हम वहां हीटवेव की स्थिति की उम्मीद नहीं कर रहे हैं, लेकिन तापमान अधिक रहेगा। पारा 40 डिग्री सेल्सियस के करीब रहेगा।'
'हवाएं सतह से धूल उठा रही हैं'
IMD अधिकारी कुलदीप श्रीवास्तव ने आगे कहा, कि 'वातावरण शुष्क है। गर्मी की वजह से मिट्टी ढीली हो गई है। इसलिए 40 से 45 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाएं सतह से धूल उठा रही हैं। ये धूल वायुमंडल में फैल रही हैं। ये मुख्य रूप से ये 1 से 2 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैल रही हैं।'