Majuli Island: माजुली द्वीप: सौ से ज़्यादा क़िस्म के पैदा होते हैं चावल, शाऊली का ज़रूर लें स्वाद
Majuli Island: माजुली द्वीप 2016 में दुनिया के सबसे बड़े नदी द्वीप के रूप में घोषित होने के बाद भारतीय पर्यटन में लोगों की पसंदीदा जगह बन गई है।
Majuli Island: द्वीप का नाम सुनते ही आप सोचते होंगे समुद्र के बीच कोई टापू। जी नहीं आज आपको दुनिया के सबसे बड़े नदी द्वीप की सैर कराएंगे। यह द्वीप है भारत के असम राज्य में ब्रह्मपुत्र नदी पर स्थित माजुली द्वीप। असम के जोरहाट शहर से करीब 20 किमी और राजधानी गुवाहाटी से 347 किमी दूर स्थित है। यह द्वीप क्रमशः 1250 वर्ग किमी के कुल क्षेत्रफल में फैला हुआ है ।
आदिवासियों द्वारा बसाए गए इस द्वीप पर दुनिया भर से पर्यटक खींचे चले आते हैं । माजुली द्वीप 2016 में दुनिया के सबसे बड़े नदी द्वीप के रूप में घोषित होने के बाद भारतीय पर्यटन में लोगों की पसंदीदा जगह बन गई है।
माजुली द्वीप में वातावरण अनुकूल होने के कारण देश विदेश के कई प्रकार के पक्षियों को यहां देखा जा सकता है। इसलिए यह जगह पक्षी प्रेमी पर्यटकों के लिए यह स्वर्गिक आनंद देता है।
इसके अलावा यहां नौका विहार का भी आनंद लिया जा सकता है। माजुली द्वीप में लगभग 100 से ज्यादा किस्म के चावल की खेती की जाती है , इसलिए अगर आप इसकी यात्रा पर जाएं तो प्रमुख किस्म के चावल कोमल शाऊल का स्वाद जरूर लें ।
16 वीं शताब्दी में इसे असमिया सभ्यता की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता था। वैष्णववाद में हिंदू धर्म के एकेश्वरवादी रूप के प्रचारक शंकरदेव ने मठों और धर्मोपदेशों की स्थापना की, और यह इसका प्रमुख केंद्र बन गया।
माजुली की इमारतों में राजा रानी के शासन के दौरान की असमिया स्थापत्य शैली का जीता जागता उदाहरण देखने को मिलता है। फूलों और जानवरों के चित्रों से सजे द्वारों को दखिनपाट सतरा असमिया स्थापत्य शैली में देखा जा सकता है। असम के प्रसिद्ध अहोम वास्तुकला को तेंगापानिया स्मारक में देखा जा सकता है।
इस द्वीप पर कई खूबसूरत पर्यटक स्थल हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
कमलाबाड़ी सातरा:
यह माजुली द्वीप के पर्यटक स्थलों में से एक है। इस जगह कला, संस्कृति, साहित्य और शास्त्रीय अध्ययन से संबंधित कई लेख मौजूद हैं। इस जगह पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है जिसमें देशभर से पर्यटक देखने आते हैं।
दखिनपाट सातरा :
यह जगह प्राचीन काल में अहोम शासकों का संरक्षित क्षत्रप था। इस क्षत्रप के छत्रछाया में राज्य के कई महान कलाकारों ने जन्म लेकर संस्कृति को आगे बढ़ाया। यहां असम राज्य का एक प्रमुख त्योहार रसोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है , जिसमे भारी संख्या में पर्यटक देश के कई हिस्सों से शामिल होते है। दरअसल, यह त्योहार पूर्णिमा की रात में मनाया जाता है जिसमें रासलीला का प्रदर्शन किया जाता है।
गरमुर सातरा :
यह भी माजुली द्वीप के शाही क्षत्रपों में से एक है। यह एक प्रमुख तीर्थस्थल है । इसकी स्थापना राजा जय हरिदेव ने वर्ष 1656 में की थी। यहां पर साल भर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
तेंगपनिया माजुली :
यह जगह ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर और माजुली द्वीप में स्थित है और एक खूबसूरत पिकनिक स्पॉट है। यहां नदी के किनारे की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। अहोम वास्तुकला शैली में बनी एक स्वर्ण मंदिर की संरचना पर्यटकों को काफी लुभाती है।
औनाती सात्र:
यह जगह अपने अप्सरा और पलनाम नृत्य के लिए मशहूर है। इसकी स्थापना 1653 ईसवी में अहोम शासक सुल्तानला ने की थी। इस क्षत्रप में जगन्नाथ पुरी से लाई गई भगवान् कृष्ण जी की मूर्ति जिसे गोविंदा के नाम से भी जाना जाता है कि पूजा की जाती है । यहां के संग्रहालय में पारंपरिक असमिया बर्तन, आभूषण और हस्तशिल्प का एक विशाल संग्रह भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहता है।
कैसे पहुंचें ?
माजुली द्वीप पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जोरहाट है, जो माजुली द्वीप से लगभग 22 किमी दूर है। इस हवाई अड्डे पर उतरने के बाद नाव या बोट से माजुली द्वीप जा सकते हैं।
इसका निकटतम रेलवे स्टेशन जोरहाट में है, जो देश के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा है । यह स्टेशन शहर से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचकर माजुली द्वीप जाने के लिए नाव या बोट ले सकते हैं।
माजुली द्वीप जाने के लिए गर्मियों के मौसम को छोड़कर बाकी सभी मौसम अच्छे हैं। मानसून में भी आप बारिश का आनंद ले सकते हैं। सर्दियों का मौसम बहुत सुहावना होता है इसलिए पर्यटकों के लिए यह पसंदीदा मौसम होता है।
पर्यटक यादगार के रूप में माजुली द्वीप पर बनने वाले सुंदर मिट्टी के बर्तन और हथकरघा के समान खरीद सकते हैं। सर्दियों के मौसम आने वाले हैं तो क्यों न इस जगह घूमने की प्लानिंग अभी से शुरू कर दें।