MP Election Survey 2023: मध्य प्रदेश में किसकी बन रही सरकार, देखें न्यूजट्रैक/इलेक्शन चस्का सर्वे

MP Assembley Election Survey 2023: तमाम कारकों और घटकों का विश्लेषण करने के बाद भविष्यवाणी है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला है। इसके चलते काफी नजदीकी नतीजे आएंगे लेकिन कांग्रेस ज्यादा सीटें ले कर टॉप पर रहेगी।

Written By :  Yogesh Mishra
Written By :  Neel Mani Lal
Update:2023-11-27 18:57 IST

MP Assembley Election Survey 2023

MP Election 2023 Result Survey 2023: मध्य प्रदेश में चुनाव संपन्न हो चुके हैं और वोटों की गिनती का इंतज़ार है। नतीजा तो 3 दिसंबर को आयेगा लेकिन न्यूज़ट्रैक ने अपने एक सर्वेक्षण में जनता की फैसले की टोह ली है। इस बार राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है । लेकिन मामला करीबी होगा। सर्वे बता रहा है कि कांग्रेस को 122 सीटें तथा भाजपा को 94 सीटें मिलने की संभावना है। 14 सीटों पर मामला फंसा हुआ है।

मध्य प्रदेश में 2018 के चुनाव परिणामों ने संकेत दिया था कि भाजपा को प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर से कोई नुकसान नहीं हुआ है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में शिवराज चौहान की सफलता का श्रेय तत्कालीन भाजपा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के राज्य में प्रचार को दिया गया।

सर्वे के अनुसार यह पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 25 फीसदी लोग मौजूदा सरकार से खुश हैं,जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 45 फीसदी का पाया गया है।

जहाँ तक सरकार से नाखुशी की बात है तो ग्रामीण क्षेत्रों में 70 फीसदी लोग सरकार से नाराज हैं। शहरी क्षेत्रों में ये आंकड़ा 55 फीसदी का है। इस आधार पर यह साफ़ है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा को ज्यादा नुकसान होने की संभावना है।

सर्वे में जब लोगों से यह पूछा गया कि वे किस पार्टी को जीतते हुए देखना चाहते हैं तो 43 फीसदी लोगों ने कहा कि वे भाजपा को जीतते हुए देखना चाहते हैं। वहीं 48 फीसदी लोगों ने कांग्रेस की जीत की बात कही। जबकि 9 फीसदी ने अन्य की जीत की बात कही।

न्यूज़ट्रैक/ इलेक्शन चस्का का अनुमान (MP Election Survey 2023)

तमाम कारकों और घटकों का विश्लेषण करने के बाद भविष्यवाणी है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला है। इसके चलते काफी नजदीकी नतीजे आएंगे लेकिन कांग्रेस ज्यादा सीटें ले कर टॉप पर रहेगी।

क्षेत्रवार नतीजों की संभावना बताएं तो चम्बल/ग्वालियर क्षेत्र की 31 सीटों में कांग्रेस को 21 और भाजपा को 10 सीटें मिलती दिख रहीं हैं। इस क्षेत्र में सपा-बसपा को कुछ नहीं मिलने वाला।

विन्ध्य क्षेत्र की 30 सीटों के बारे में अनुमान है कि कांग्रेस के खाते में 16 सीटें जायेंगी जबकि भाजपा को 14 मिल सकती हैं। यहाँ भी सपा- बसपा खाली हाथ रहेंगी।


मालवा/निमाड़ क्षेत्र की 70 सीटों में कांग्रेस 37 सीटें पा सकती है जबकि भाजपा को 33 मिलने का अनुमान है। यानी इस क्षेत्र में काफी कांटे की टक्कर है। सपा-बसपा का यहाँ भी खाता नहीं खुल सकेगा।

मध्य जिलोंमें 32 सीटें हैं, जिनमें से कांग्रेस 32 निकाल लेगी। जबकि भाजपा 17 सीटों पर जीतती दिख रही है। सपा-बसपा यहाँ भी शून्य रहने का अनुमान है।

बुंदेलखंड क्षेत्र में 29 सीटें हैं जिनमें से 18 सीटें कांग्रेस के पास जाने का अनुमान है जबकि 11 सीटें भाजपा पा सकती है। इस क्षेत्र में मुमकिन है कि सपा एक सीट जीत ले।

महाकौशल क्षेत्र में 38 सीटें हैं जिनमें से 18 सीटें कांग्रेस जीत सकती है जबकि भाजपा 20 सीटें ले सकती है। इस क्षेत्र में भी सपा-बसपा खाली रहेंगी।

मध्य प्रदेश की राज्य विधान सभा

इस राज्य का गठन 1 नवंबर 1956 को हुआ था। यह मध्य भारत, विंध्य प्रदेश, भोपाल, महाकोशल और मध्य प्रदेश (एमपी) राज्यों के क्षेत्रों को मिलाकर किया गया था। पहली विधान सभा 1 नवंबर 1956 से 5 मार्च 1957 तक चली। पुनर्गठन के बाद पहला चुनाव वर्ष 1957 में हुआ। राज्य में विधान सभा में 230 सीटें हैं।



 क्या है न्यूज़ट्रैकः इलेक्शन चस्का सर्वे का अनुमान

इस बार विभिन्न विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में क्या स्थिति रहेगी इसका विश्लेषण न्यूज़ट्रैक/ इलेक्शन चस्का ने किया है.

- भोपाल : कांग्रेस और भाजपा के खाते में तीन-तीन सीटें जा सकतीं हैं जबकि एक सीट पर कडा मुकाबला होगा।

- रायसेन क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा को दो-दो सीटें मिलने का अनुमान है।

- राजगढ़ क्षेत्र में कांग्रेस को तीन और भाजपा को दो सीटें मिलने का अनुमान है।

- सेहोर क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा को दो - दो सीटें मिलने की उम्मीद है।

- विदिशा क्षेत्र में कांग्रेस को तीन और भाजपा को दो सीटें मिलने का अनुमान है।

- अशोक नगर क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा को एक एक सीट मिलने का अनुमान है जबकि एक सीट पर कड़ा मुकाबला है।

- शिवपुरी क्षेत्र में कांग्रेस को तीन और भाजपा को दो सीट मिलने का अनुमान है।

- दतिया क्षेत्र में कांग्रेस को दो और भाजपा को एक सीट मिलने का अनुमान है।

- गुना में कांग्रेस और भाजपा को दो दो सीट मिलने का अनुमान है।

- ग्वालियर क्षेत्र में कांग्रेस को चार और भाजपा को दो सीट मिलने का अनुमान है।

- हरदा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा को एक एक सीट मिलने की उम्मीद है।

- बेतुल क्षेत्र में कांग्रेस तीन और भाजपा दो सीट जीत सकती है।

- मुरैना क्षेत्र में कांग्रेस को चार सीटें और भाजपा को दो सीट मिलने का अनुमान है।


- श्योपुर क्षेत्र में कांग्रेस दो सीटें जीत सकती है। भाजपा का खाता नहीं खुलेगा।

- भिंड क्षेत्र में कांग्रेस तीन और भाजपा दो सीटें जीत सकती है।

- बुरहानपुर क्षेत्र में कांग्रेस दोनों सीटें जीत सकती हैं।

- धार में कांग्रेस चार सीटें और भाजपा दो सीट जीत सकती है जबकि एक सीट पर कडा मुकाबला हैं।

- इंदौर में कांग्रेस के खाते में चार और भाजपा को तीन सीटें मिलती दिख रहीं हैं जबकि दो सीट फंसी हुईं हैं।

- झाबुआ क्षेत्र में कांग्रेस दो सीट और भाजपा एक सीट जीत सकती है।

- खंडवा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा दो दो सीटें जीत सकतीं हैं।

- खरगोन में कांग्रेस और भाजपा दो दो सीटें जित सकतीं हैं जबकि एक सीट फंसी हुई है।

- अलीराजपुर में कांग्रेस और भाजपा के एक एक सीट जीतने का अनुमान है।

- बालाघाट में कांग्रेस चार और भाजपा दो सीट जीत रहीं हैं।

- जबलपुर में कांग्रेस चार और भाजपा तीन सीट जीत सकती है।

- कटनी में कांग्रेस 2 और भाजपा भी 2 सीट जीत सकती है।

- मंडला क्षेत्र में कांग्रेस को 2 और भाजपा को 1 सीट मिलने का अनुमान है।

- नरसिंहपुर में कांग्रेस और भाजपा को 2-2 सीट मिलने का अनुमान है।

- सिवनी में भी कांग्रेस और भाजपा को 2 – 2 सीट मिलने का अनुमान है।

- रीवा में कांग्रेस को 3 और भाजपा को 5 सीट मिलने का अनुमान है।

- सतना में कांग्रेस और भाजपा को 3-3 सीट मिलने का अनुमान है।

- सीधी में कांग्रेस 2 जबकि भाजपा 1 सीट जीत सकती है।

- सिंगरौली में कांग्रेस और भाजपा 1-1 सीटें जीत रहीं हैं।

- शहडोल में कांग्रेस को 2 और भाजपा को 1 सीट मिलने का अनुमान है।

- उमरिया में कांग्रेस और भाजपा को 1-1 सीट मिलने का अनुमान है।

- डिंडोरी में कांग्रेस और भाजपा को 1-1 सीट मिलने का अनुमान है।

- अनूपपुर में कांग्रेस को 1 और भाजपा को 1 सीट मिलने का अनुमान है।

- देवास में कांग्रेस को 2 और भाजपा को 3 सीट मिलने का अनुमान है।

- मंदसौर में कांग्रेस और भाजपा को 2-2 सीट मिलने का अनुमान है।

- नीमच में कांग्रेस को 2 और भाजपा 1 सीट जीत सकती है।

- रतलाम में कांग्रेस 2 और भाजपा 3 सीट जीत सकती है।

- शाजापुर में कांग्रेस 1 और भाजपा 2 सीट जीत सकती है।

- उज्जैन में कांग्रेस 3 और भाजपा के 4 सीट जीतने का अनुमान है।

- आगर मालवा में कांग्रेस और भाजपा 1-1 सीट जीत सकती है।

- सागर में कांग्रेस और भाजपा 4-4 सीटें जीत सकती हैं।

- दमोह में कांग्रेस 2 और भाजपा 1 सीट जीत सकती है।

- पन्ना में कांग्रेस और भाजपा 1-1 सीट जीत सकती है।

- छतरपुर में कांग्रेस 4 और भाजपा 2 सीटें जीत सकती है।

- तिमागढ़ में कांग्रेस 2 और भाजपा 1 सीट जीत सकती है।

- निवाड़ी में कांग्रेस को 1 सीट मिलने का अनुमान है।

- छिंदवाड़ा में कांग्रेस के 4 और भाजपा के 3 सीट जीतने का अनुमान है।

- नर्मदापुरम में कांग्रेस के 3 और भाजपा के 1 सीट जीतने का अनुमान ह।

- बड़वानी में कांग्रेस और भाजपा के 2-2 सीट जीतने का अनुमान है।

प्रमुख घटक

राज्य में भाजपा पर कई तरह के घोटाले करने का आरोप लगा है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार ने नियमों को दरकिनार कर विभिन्न शहरों में आरएसएस को 500 करोड़ रुपये की जमीन आवंटित की है। यही नहीं, शिवराज सरकार पर व्यापम, अवैध रेत खनन, 2500 करोड़ का सिंहस्थ घोटाला, बांध और तालाब घोटाला, मध्याह्न भोजन घोटाला आदि सहित कई घोटालों का आरोप लगाया गया है।

मध्य प्रदेश में किसानों की आत्महत्या का मुद्दा भी बहुत बड़ा है। प्रदेश के 26 लाख से अधिक किसानों ने सहकारी बैंकों से 13,000 करोड़ रुपये का कृषि ऋण लिया है। प्रदेश के किसानों की आत्महत्या दर हर साल बढ़ रही है। विडंबना यह है कि मध्य प्रदेश ने पिछले कुछ वर्षों में रिकॉर्ड 20 प्रतिशत कृषि विकास दर दर्ज की है, जो एक विश्व रिकॉर्ड है। लेकिन ये रिकॉर्ड किसानों के लिए बेकार प्रतीत होते हैं क्योंकि वे आत्महत्या करने को मजबूर हैं।

चौहान सरकार का दावा है कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर का कोई संभावित खतरा नहीं है। , लेकिन हालिया निकाय चुनाव नतीजे कुछ और ही कहानी कहते हैं, जो चौहान सरकार के लिए तनाव पैदा कर सकता है। मध्य प्रदेश के रागोगढ़ नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस को 24 में से 20 सीटें मिलीं, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने चार वार्ड जीते हैं। चित्रकूट में, कांग्रेस उम्मीदवार नीलांशुचतुर्वेदी ने 14,133 वोटों से जीत हासिल की, जो पिछले 14 वर्षों में यहां पार्टी का सबसे बड़ा अंतर है। हालांकि भाजपा 14 साल से मध्य प्रदेश में शासन कर रही है, लेकिन उसने केवल एक बार 2008 में चित्रकूट सीट जीती, वह भी महज 722 वोटों से। और 2013 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा चित्रकूट में फिर से कांग्रेस से 10,970 वोटों से हार गई।

2018 में मध्य प्रदेश के 10 जिलों में कुल 20 नगर निकायों (नगर पालिका परिषद और नगर परिषद) में चुनाव और उपचुनाव हुए। हालांकि बीजेपी ने 13 निकायों में जीत हासिल की, लेकिन नतीजों को चिंताजनक माना जा रहा है क्योंकि राज्य में कांग्रेस की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी के लिए लोकप्रिय चेहरों की अटकलें हैं। मीडिया में अलग-अलग नामों की अटकलें लगाई जा रही हैं लेकिन अभी कांग्रेस के पत्ते सस्पेंस में हैं।

2018 में आखिरी चुनावों के बाद, राज्य में मार्च 2020 के बीच में बदलाव देखा गया जब कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई और भाजपा सिर्फ 15 महीने तक विपक्ष में रहने के बाद सत्ता में वापस आ गई।

दिसंबर 2018 से मार्च 2020 तक की 15 महीने की अवधि को छोड़कर, जब कांग्रेस सत्ता में थी, भाजपा को लगभग चार कार्यकालों की सत्ता-विरोधी लहर से पार पाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

भाजपा को हमेशा से ही हिंदू पार्टी के रूप में चिह्नित किया गया है, और जनसंख्या वितरण के कारण भाजपा के लिए भारत के दिल को जीतना आसान हो गया है। मध्य प्रदेश मुख्यतः एक ग्रामीण राज्य है। 2017 में फसल की विफलता ने किसान संकट को और बढ़ा दिया। पिछले जून में मंदसौर में किसानों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो जाने के बाद यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया था।

शिक्षित बेरोजगार युवाओं की संख्या बढ़ रही है। 2017 की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 14.1 लाख युवा बेरोजगार हैं, जिनमें से लगभग 12.9 लाख शिक्षित हैं। शिक्षित बेरोजगारों का प्रतिशत 2015 में 79.60 प्रतिशत से बढ़कर दिसंबर 2017 के अंत तक 85.74 प्रतिशत हो गया।


 2018 चुनाव

भाजपा -109,कांग्रेस-114

बसपा - 2,सपा-1

2013

भाजपा-165, कांग्रेस- 58, बसपा - 4,सपा - 0

2008

भाजपा - 143,कांग्रेस - 71, बसपा - 7, सपा-1

2003

भाजपा - 173,कांग्रेस- 38 बसपा-2, सपा-7

1998

भाजपा-119 कांग्रेस-72 बसपा-11 , सपा-4

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