भोपाल : मध्यप्रदेश विधानसभा में मॉनसून सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर किसानों की समस्याओं, आंदोलन के दौरान पुलिस कार्रवाई में छह किसानों की मौत और आत्महत्याओं जैसे मुद्दों पर चर्चा चल रही है।
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विधानसभा के दूसरे दिन प्रश्नकाल खत्म होते ही नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरण शर्मा से आग्रह किया कि वह कांग्रेस की ओर से दी गई स्थगन सूचनाओं पर चर्चा कराएं। इस पर अध्यक्ष ने निर्धारित कार्य निपटाने के बाद स्थगन पर विचार और चर्चा की बात कही। वहीं सत्तापक्ष की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्थगन पर चर्चा कराने पर सहमति जताई।
विधानसभा अध्यक्ष शर्मा ने चर्चा शुरू करने से पहले बताया कि कांग्रेस की ओर से कुल 47 स्थगन सूचनाएं आई हैं, जो किसानों से संबंधित है। कांग्रेस की एक सूचना को पढ़ते हुए शर्मा ने चर्चा की शुरुआत की।कांग्रेस की सूचनाओं को शर्मा ने पढ़ा, जिसमें सरकार पर किसान विरोधी होने, किसानों की हालत दिन प्रतिदिन खराब होने की बात कही गई। साथ ही कर्ज से परेशान किसानों की आत्महत्या और अन्य तरह से परेशान किए जाने का जिक्र था।
कांग्रेस की ओर से कहा गया कि मंदसौर में छह जून को पुलिस ने आंदोलन कर रहे किसानों पर गोली चलाकर छह किसानों को मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं, गोली किसके आदेश पर चलाई गई, यह आज तक पता नहीं चल पाया है और आरोपी अफसरों पर थाने में प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की गई, उल्टा किसानों को अफीम तस्कर बताकर मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
इस पर गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि मंदसौर घटना की न्यायिक जांच चल रही है। इस आंदोलन को हिंसक बनाने के पीछे कुछ असामाजिक तत्व थे। पुलिस को मजबूरी में गोली चलाना पड़ी।
कांग्रेस की ओर से डॉ. गोविंद सिंह ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह किसान विरोधी है, किसानों को खाद, बिजली, बीज और उपज का बाजिव दाम नहीं मिल रहा है। कर्ज के कारण किसान आत्महत्या कर रहे हैं। वहीं जून माह में आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली से छह किसानों की जान गई।
उन्होंने कहा कि सरकार किसान हितैषी होने का दावा करती है, मगर हकीकत एकदम अलग है। सरकार के दावे के अनुसार, अगर खेती फायदे का धंधा बन चुकी है, तो किसानों का बुरा हाल क्यों है। वे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं।
वहीं सरकार की ओर से पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि राज्य के किसानों की हर संभव मदद की जा रही है, राज्य की सिंचाई क्षमता, समर्थन मूल्य, बिजली की आपूर्ति में भाजपा शासनकाल में बड़ा इजाफा हुआ है। सरकार किसानों को शून्य प्रतिशत दर पर कर्ज दे रही है, इतना ही नहीं खाद-बीज खरीदी पर 10 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है। फसल की पैदावार बढ़ी है। सरकार किसानों के हितों में फैसले लेती रही है। इसका उदाहरण आठ रुपये किलो प्याज की खरीदी है।