Supreme Court: मुकेश अंबानी और उनके परिवार को विदेश में भी मिलेगी Z+ सुरक्षा, SC ने इस शर्त के साथ दिया निर्देश
Mukesh Ambani News: देश के दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनका परिवार विदेश में भी जेड प्लस सुरक्षा कवर में रहेंगा। हालांकि, उसके लिए अंबानी परिवार को खर्च खुद उठाना होगा ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है।
Mukesh Ambani News: देश के दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी को देश के साथ विदेश में भी जेड प्लस सिक्योरिटी कवर मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने भारत और विदेशों में मुकेश अंबानी और उनके परिवार के सदस्यों को Z+ सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि Z+ सुरक्षा कवर प्रदान करने की पूरी लागत उद्योगपति मुकेश अंबानी को वहन करनी पड़ेगी।
2013 से जेड श्रेणी सुरक्षा
इससे पहले सरकार ने पिछले साल सितंबर में अंबानी के सुरक्षा कवर को बढ़ाकर ‘जेड प्लस’ कर दिया था। यह देश में टॉप कैटेगरी की सुरक्षा है। केंद्रीय खुफिया एवं सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अंबानी पर खतरे की समीक्षा किए जाने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया गया था। अंबानी को पहली बार 2013 में भुगतान आधार पर सीआरपीएफ कमांडो का जेड श्रेणी का सुरक्षा कवर दिया गया था। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन की पत्नी नीता अंबानी कोवाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है। जिसमें कमांडो की संख्या कम होती है। ब्लूमबर्ग इंडेक्स के अनुसार मुकेश अंबानी दुनिया के 10वें सबसे धनी व्यक्ति हैं।
सुनवाई की कोई जरूरत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनके परिवार को दी गई सुरक्षा बनाए रखने की 22 जुलाई 2022 को अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा हाई कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया था, जिसमें इस सुरक्षा पर सवाल उठाया गया था। हाई कोर्ट के आदेश में केंद्रीय गृह मंत्रालय के सक्षम अधिकारी को पेश होने और मुकेश अंबानी के परिवार को सुरक्षा देने की जरूरत पर सफाई देने को कहा गया था।
मुकेश अंबानी का ये मामला
उद्योगपति मुकेश अंबानी की सुरक्षा पर खतरे को देखते हुए उन्हें देश में Z+ श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। जबकि उनके परिवार के कुछ सदस्यों को Y+ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान दी गई है। जिसे एक जनहित याचिका के जरिए त्रिपुरा हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उस याचिका को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से अंबानी परिवार को खतरे को लेकर किए गए आकलन का ब्यौरा देने के लिए कहा था। जिसके साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि गृह मंत्रालय मंत्रालय के अधिकारी व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जानकारी दें।