Munawwar Rana: मुनव्वर के हिस्से में माँ तो आई, पर भारत माँ नहीं!
Munawwar Rana: मुनव्वर बताते हैं कि उनके हिस्से में हाड़ मांस की माँ आई। उनके हिस्से में भारत माँ नहीं आई। गंगा माँ नहीं आई। गाय माता नहीं आई। आती भी क्यों ?
Munawwar Rana: बहुत दिनों से सोच रहा था कि मुनव्वर राना पर कुछ भी लिखना कलम गंदा करना है। पर बाद में ख़्याल आया कि यदि नहीं लिखा तो आने वाले समय में मुनव्वर राना का जो मूल्यांकन किया जायेगा वह कहीं ग़लत न हो जाये। क्योंकि हमारे यहाँ तो अकबर व अशोक दोनों को महान बताया गया है। इसलिए ज़रूरी है कि मुनव्वर के बारे में सच लिखा जाये।
मुनव्वर जी को हमने गन्ना संस्थान के दो अलग अलग समय के जलसों में मायावती व अखिलेश यादव की चारणगिरी करते सुन चुका हूँ। पर माफ़ कीजिएगा चारण शब्द भी उनके लिए छोटा है। …….। मायावती व अखिलेश के चरणों में अपनी समूची शायरी को अपने देह पर लपेट कर लेटते हुए देखा है। सोनिया गांधी को लेकर जो कविता मुनव्वर भाई ने लिखी है , वह आप पढ़ें, उनके सच को जानें-
रुख़सती होते ही मां-बाप का घर भूल गयी।
भाई के चेहरों को बहनों की नज़र भूल गयी।
घर को जाती हुई हर राहगुज़र भूल गयी,
मैं वो चिडि़या हूं कि जो अपना शज़र भूल गयी।
मैं तो भारत में मोहब्बत के लिए आयी थी,
कौन कहता है हुकूमत के लिए आयी थी।
नफ़रतों ने मेरे चेहरे का उजाला छीना,
जो मेरे पास था वो चाहने वाला छीना।
सर से बच्चों के मेरे बाप का साया छीना,
मुझसे गिरजा भी लिया, मुझसे शिवाला छीना।
अब ये तक़दीर तो बदली भी नहीं जा सकती,
मैं वो बेवा हूं जो इटली भी नहीं जा सकती।
आग नफ़रत की भला मुझको जलाने से रही,
छोड़कर सबको मुसीबत में तो जाने से रही,
ये सियासत मुझे इस घर से भगाने से रही।
उठके इस मिट्टी से, ये मिट्टी भी तो जाने से रही।
सब मेरे बाग के बुलबुल की तरह लगते हैं,
सारे बच्चे मुझे राहुल की तरह लगते हैं।
अपने घर में ये बहुत देर कहाँ रहती है,
घर वही होता है औरत जहाँ रहती है।
कब किसी घर में सियासत की दुकाँ रहती है,
मेरे दरवाज़े पर लिख दो यहाँ मां रहती है।
हीरे-मोती के मकानों में नहीं जाती है,
मां कभी छोड़कर बच्चों को कहाँ जाती है?
हर दुःखी दिल से मुहब्बत है बहू का जिम्मा,
हर बड़े-बूढ़े से मोहब्बत है बहू का जिम्मा
अपने मंदिर में इबादत है बहू का जिम्मा।
मैं जिस देश आयी थी वही याद रहा,
हो के बेवा भी मुझे अपना पति याद रहा।
मेरे चेहरे की शराफ़त में यहाँ की मिट्टी,
मेरे आंखों की लज़ाजत में यहाँ की मिट्टी।
टूटी-फूटी सी इक औरत में यहाँ की मिट्टी।
कोख में रखके ये मिट्टी इसे धनवान किया,
मैंन प्रियंका और राहुल को भी इंसान किया।
सिख हैं,हिन्दू हैं मुलसमान हैं, ईसाई भी हैं,
ये पड़ोसी भी हमारे हैं, यही भाई भी हैं।
यही पछुवा की हवा भी है, यही पुरवाई भी है,
यहाँ का पानी भी है, पानी पर जमीं काई भी है।
भाई-बहनों से किसी को कभी डर लगता है,
सच बताओ कभी अपनों से भी डर लगता है।
हर इक बहन मुझे अपनी बहन समझती है,
हर इक फूल को तितली चमन समझती है।
हमारे दुःख को ये ख़ाके-वतन समझती है।
मैं आबरु हूँ तुम्हारी, तुम ऐतबार करो,
मुझे बहू नहीं बेटी समझ के प्यार करो।
मुनव्वर जी की शायरी बताती है कि उनके हिस्सें में केवल उनकी माँ आई।
ज़रा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाये,
दिये से मेरी माँ मेरे लिए काजल बनाती है
छू नहीं सकती मौत भी आसानी से इसको
यह बच्चा अभी माँ की दुआ ओढ़े हुए है
यूँ तो अब उसको सुझाई नहीं देता लेकिन
माँ अभी तक मेरे चेहरे को पढ़ा करती है
वह कबूतर क्या उड़ा छप्पर अकेला हो गया
माँ के आँखें मूँदते ही घर अकेला हो गया
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
सिसकियाँ उसकी न देखी गईं मुझसे 'राना'
रो पड़ा मैं भी उसे पहली कमाई देते
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
लबों पे उसके कभी बददुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की 'राना'
माँ की ममता मुझे बाँहों में छुपा लेती है
गले मिलने को आपस में दुआएँ रोज़ आती हैं
अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माँएँ रोज़ आती हैं
ऐ अँधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
लिपट को रोती नहीं है कभी शहीदों से
ये हौंसला भी हमारे वतन की माँओं में है
ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है
यारों को मसर्रत मेरी दौलत पे है लेकिन
इक माँ है जो बस मेरी ख़ुशी देख के ख़ुश है
तेरे दामन में सितारे होंगे तो होंगे ऐ फलक़
मुझको अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
घेर लेने को जब भी बलाएँ आ गईं
ढाल बनकर माँ की दुआएँ आ गईं
'मुनव्वर' माँ के आगे यूँ कभी खुलकर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती
मुझे तो सच्ची यही एक बात लगती है
कि माँ के साए में रहिए तो रात लगती है
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई,
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई।
मुनव्वर बताते हैं कि उनके हिस्से में हाड़ मांस की माँ (munawwar rana maa shayari) आई। उनके हिस्से में भारत माँ नहीं आई। गंगा माँ नहीं आई। गाय माता नहीं आई। आती भी क्यों ? माँ भी तो उनके हिस्से में केवल शायरी में आई। माँ की शायरी (munawwar rana maa shayari), ग़ज़लों से मंच लूटा, मुशायरा लूटा।पर राना को कभी भी वसीम बरेलवी, निदा फ़ाज़मी, वशीर बद्र व राहत इंदौरी के क़द तक पहुँचने का मौक़ा नहीं मिला।
उत्कृष्ट शायरी (munawwar rana shayari) में कभी भी शुमार नहीं किये गये। राना को जितना लोग शायरी के नाते जानते हैं, उससे ज़्यादा लोग उन्हें विवादों के चलते जानते हैं। अपने परिवार में वह विवादों के जनक हैं। उन्हें लोकतंत्र पसंद नहीं तभी तो लोकतंत्र से चुनी गयी दो बार की मोदी सरकार हो या योगी सरकार दोनों के खिलाफ ज़हर उगलने से खुद को रोक नहीं पाते हैं।
2015 के बाद से राना को उत्तर प्रदेश के दादरी में हुई एक घटना के बाद विवादास्पद नज़्म लिखने पर विवादों में उलझा हुआ देखा गया, जिसके लिए सोशल मीडिया पर उनकी भारी आलोचना हुई। इसके बाद मुनव्वर ने उसी साल साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया और कहा कि वह भविष्य में कोई भी सरकारी पुरस्कार स्वीकार नहीं करेंगे। दादरी लिंचिंग घटना पर राना ने एक शेर लिखा था – "लगाया था जो पेड़ भक्तों ने वो पेड़ फल देने लगा, मुबारक हो हिंदुस्तान में अफवाहों से क़त्ल होने लगा।"
2021 में अफगानिस्तान मामले में मुनव्वर(Munawwar Rana in Afghanistan case) ने कहा था कि "अफगानिस्तान में जितनी क्रूरता है, हमारे यहां भी उतनी ही क्रूरता है।"उन्होंने कहा कि "उत्तर प्रदेश में भी तालिबानी कम हैं, यहां मुसलमान ही नहीं, हिंदू तालिबान भी हैं।" मुनव्वर राना ने कहा था कि जितनी क्रूरता अफगानिस्तान में है, उससे ज्यादा क्रूरता तो हमारे यहां पर ही है। पहले रामराज था । लेकिन अब सब बदलकर कामराज है।
उन्होंने कहा कि जितनी एके-47 उनके पास नहीं होंगी, उतनी तो हिन्दुस्तान में माफियाओं के पास है। तालिबानी तो हथियार छीनकर और मांगकर लाते हैं । लेकिन हमारे यहां माफिया खरीदते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी थोड़े बहुत तालिबानी हैं, यहां सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि हिंदू तालिबानी भी होते हैं।
अगर वाल्मीकि रामायण लिख देते हैं, तो देवता हो जाते
टीवी चैनल न्यूज नेशन से एक बातचीत में मुनव्वर(munawwar rana on valmiki) ने कहा था कि अगर वाल्मीकि रामायण लिख देते हैं, तो देवता हो जाते हैं, उससे पहले वह डाकू होते हैं। उन्होंने कहा कि इंसान का किरदार और इंसान का कैरेक्टर बदलता रहता है। हमें आज अफगानी अच्छे लगते हैं, दस साल बाद वह वाल्मीकि होंगे। आपके मजहब (हिन्दू धर्म) में किसी को भी भगवान कह दिया जाता है। वाल्मीकि एक लेखक थे। उनका जो किरदार था, उसे अदा किया। उन्होंने रामायण लिखकर बड़ा काम किया।
मुनव्वर ने यूपी चुनाव से पहले एक बार कहा था कि योगी जी का जिन्ना से खानदानी रिश्ता(munawwar rana yogi jinnah relation) होगा। अब अगर योगी दोबारा हुकूमत में आते हैं तो हमें पलायन करना पड़ेगा। उन्होंने कहा था कि पिछले दिनों हमें सत्ता ने काफी परेशान किया। उन्होंने कहा कि कोई बात बोलना और सच बोलने पर एफआईआर दर्ज कर जाती है।
मुनव्वर राना ने गृह मंत्री अमित शाह के बारे में कहा था कि अगर अमित शाह (munawwar rana amit shah) गिन सकते हैं तो गिनें, उन्हें पता चल जाएगा कि यूपी से बहुत सारे मुसलमान अब तक पलायन कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि सियासत से मेरा कोई ताल्लुक नहीं, मेरा सियासत से उतना ही ताल्लुक है जितना महात्मा गांधी का खराब औरतों से। मैं रूलिंग पार्टी की हमेशा आलोचना ही करता रहा हूं।
फ्रांस में स्कूल टीचर की गला रेतकर हत्या करने की घटना को राना ने जायज ठहराया था। मुनव्वर राना ने तर्क देते हुए कहा था कि अगर मजहब मां के जैसा है, अगर कोई आपकी मां का, या मजहब का बुरा कार्टून बनाता है या गाली देता है तो वो गुस्से में ऐसा करने को मजबूर हैं।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों को चिढ़ाने के लिए ऐसा कार्टून (munawwar rana cartoon) बनाया गया। किसी को इतना मजबूर न करो कि वो कत्ल करने पर मजबूर हो जाए। उनके इस बयान पर खूब विवाद हुआ था। इस बयान पर उनके खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। हालांकि, बाद में उन्होंने इस पर सफाई भी दी थी।
संसद को गिरा कर खेत बनाने की बात
जब किसान आंदोलन ज़ोरों पर था, तो मुनव्वर राना ने ट्विटर पर एक शेर लिखा था, "जिसमें उन्होंने संसद को गिरा कर खेत बनाने की बात कही थी।" जब इस पर विवाद ने तूल खींचा तो उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था।
मुनव्वर राना ने एक बार ट्वीट किया था जिसमें भाजपा नेता संबित पात्रा को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा है कि भारत में 35 करोड़ इंसान और 100 करोड़ जानवर रहते हैं। मुनव्वर राना ने लिखा - डियर संबित, कांग्रेस की जवानी में तो आप गब्हे पे रहे होंगे (गब्हे का मतलब आप उड़ीसा में नहीं यूपी में पूछना)।
मैं झूठ के दरबार में सच बोल रहा हूं
लेकिन करोना पर सरकार की नाकामी ने मेरी इस बात को सही साबित किया कि भारत में 35 करोड़ इंसान और 100 करोड़ जानवर रहते हैं, जो सिर्फ वोट देने के काम आते हैं। अपने इस ट्वीट पर एक कमेंट में मुनव्वर राना ने लिखा है,"मैं झूठ के दरबार में सच बोल रहा हूं, हैरत है कि सर मेरा क़लम क्यूं नहीं होता।"
मुनव्वर राना ने कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में सेना के इस्तेमाल पर सवाल उठाया था और सीधे सीडीएस बिपिन रावत से सवाल किया था। उन्होंने ट्वीट कर लिखा था कि कोरोना वॉरियर्स का सम्मान तो हम सभी कर रहे हैं। लेकिन रावत साहब! कोरोना वायरस पुलवामा नहीं है, ये तो दवाओं से ही ख़त्म होगा। इतनी फ़ौज की ताक़त और करोड़ों रुपये बर्बाद करने से क्या फ़ायदा? कोरोना के ख़िलाफ़ फौजी अस्पतालों के डॉक्टर्स को पूरी सुविधाओं के साथ मैदान में उतारिये।
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले (munawwar rana Ram Janmabhoomi-Babri Masjid) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए मुनव्वर राणा ने कहा था कि यह न्याय नहीं था, यह एक आदेश था। इस मामले में कहीं न कहीं हिंदुओं का पक्ष लिया गया।राना ने सेवानिवृत्ति के बाद गोगोई के राज्यसभा के लिए नामांकन पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि गोगोई की राज्यसभा सीट की स्वीकृति बहुत खराब स्वाद में थी। उन्होंने गोगोई पर अयोध्या का फैसला सुनाने के लिए कथित तौर पर 'खुद को बेचने' का आरोप लगाया।
मुसलमान पहले मुसलमान हैं, फिर और कुछ
देश भर में जब सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे उस वक्त मुनव्वर राना ने कहा था कि उन्हें योगी के राज में यूपी में डर लगने लगा है। उन्होंने आरोप लगाया था कि बीजेपी का मकसद मुल्क को हिंदू राष्ट्र बनाना है।उनकी बेटी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध करते हुए, तीन पड़ोसी इस्लामिक देशों-पाकिस्तानी, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को सताए जाने के लिए भारतीय नागरिकता को फास्ट ट्रैक करने की मांग की थी, जिसमें कहा गया था कि मुसलमान पहले मुसलमान हैं, फिर और कुछ।
मुनव्वर ने कहा था कि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता मुसलमानों को बाँट कर उनको बर्बाद करते हैं। उन्होंने ओवैसी की तुलना जिन्ना से करते हुए कहा था कि भारत के मुस्लिम एक और जिन्ना को पनपने नहीं देंगे।उत्तर प्रदेश के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा बड़े पैमाने पर धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ करने पर राना ने कहा था कि एटीएस को 1000 से अधिक की गिनती नहीं आती है, इसलिए उन्होंने यह आंकड़ा दिया, अन्यथा, वे दावा करते कि अब तक 4000 लोगों का धर्म परिवर्तन किया जा चुका है।
राना ने एक इंटरव्यू में कहा था कि गोरखपुर मठ नवाब आसफ-उद-दौला द्वारा दान की गई जमीन पर बनाया गया। मुनव्वर ने यह भी दावा किया था कि जिहाद का मतलब तलवार लेकर चलना नहीं है। इसका अर्थ है स्वयं पर नियंत्रण रखना। उर्दू कवि ने मजाकिया अंदाज में दावा किया कि योगी आदित्यनाथ और हिंदू नेताओं के खिलाफ बोलने का कार्य भी जिहाद का कार्य है।
शायर मुनव्वर राना के बेटे तबरेज राना(Munawwar Rana Son) ने बीते 28 जून को जमीनी विवाद में चाचाओं को फर्जी मामले में फंसाने के लिए स्वयं खुद पर हमले की साजिश रची थी। लखनऊ के हुसैनगंज के लालकुआं स्थित एफआई टॉवर स्थित मुनव्वर के आवास पर छापा मारकर तबरेज राना को गिरफ्तार किया जा सका। तबरेज तिलोई से चुनाव लड़ना चाहता था।
तबरेज के गिरफ़्तारी के लिए हुई पुलिसिया दबिश पर मुनव्वर राना ने कहा कि पुलिस ने उनके घर आकर गुंडागर्दी की। जबकि मुनव्वर राना की बेटी और कांग्रेस नेता फौजिया राना ने प्रशासन पर बदले की कार्रवाई का आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा कि मेरे बीमार पापा को भी परेशान किया गया, प्रशासन हमारे पापा और हम लोगों से बदला ले रही है, पुलिस बिना सर्च वारंट के घर के अंदर घुस गयी।
रायबरेली(Munawwar Rana Birth) में 26 नवंबर , 1952 को जन्मे मुनव्वर राणा उर्दू साहित्यकार(Munawwar Rana Urdu litterateur) कहे जाते हैं।ग़ज़लों और नज़्मों के संग्रह 'शाहदाबा' के लिये उन्हें 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उनके बहुत से नजदीकी रिश्तेदार और पारिवारिक सदस्य देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए।
लेकिन मुनव्वर के पिता ने हिंदुस्तान में रहने का फैसला किया। मुनव्वर की शुरुआती शिक्षा कलकत्ता में हुई थी। राना ने ग़ज़लों के अलावा संस्मरण भी लिखे हैं। उनकी रचनाओं का ऊर्दू के अलावा अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है।राना के 'शहदाबा'में एक कविता सोनिया गांधी पर है। जो तब लिखी गई थी, जब सोनिया गांधी ने प्रचंड बहुमत से जीतने के बावजूद प्रधानमंत्री पद की कुर्सी से इनकार कर दिया था।
केवल एक शायर की तरह जाने पहचाने जायें
राना ने 2015 में देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था।मुनव्वर राणा ने 2014 में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि इसके अध्यक्ष कवि नवाज देवबंदी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, आजम खान से निकटता दिखाते हैं और अकादमी के कामकाज में बाधा डालते हैं। बता दें कि राणा और देवबंदी दोनों को तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने अपने-अपने पदों पर नियुक्त किया था।
इस्तीफा देने के बाद मुनव्वर ने कहा था कि - मुझे इस पद में कभी दिलचस्पी नहीं थी, जो मेरे कद के लिए बहुत छोटा है। हालाँकि, आजम ने मुझसे इसे लेने के लिए तीन बार आग्रह किया। अकादमी में उर्दू का कोई काम नहीं है और देवबंदी तमाम भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त हैं।
राना की प्रतिक्रियाएँ कभी भी किसी भी सवाल पर साहित्यकार सी नहीं रहीं। वह हमेशा एक ऐसे मुसलमान की तरह बोलते आये हैं, जिसका अपने मादरे वतन से कोई लेना देना नहीं हो। राना का कोई भी मूल्यांकन उनके इस समूचे कृतित्व के साथ किया जाना चाहिए । कहीं ऐसा न हो कि वह केवल एक शायर की तरह जाने पहचाने जायें क्यों कि राना को शायर से ज़्यादा शोहरत उनके बयानों व उनसे उपजे विवादों ने दी है।