Murshidabad Ka Itihas: कभी ट्रेड सेंटर हुआ करता था मुर्शिदाबाद, जानिये क्या है यहां का इतिहास और हालात
Murshidabad Bengal History: मुर्शिदाबाद नवाबी युग के दौरान बंगाल की राजधानी थी और इसका मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से जुड़ा एक समृद्ध इतिहास है।;
Murshidabad Bengal History (Photo - Social Media)
Murshidabad City History In Hindi: वक्फ बिल के विरोध में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में भारी बवाल (Murshidabad Violence) हुआ है। आगजनी, तोड़फोड़ और हिंसा में तीन लोग मारे गए हैं और केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करना पड़ा है। बांग्लादेश की सीमा से सटे मुर्शिदाबाद में हिंसा (Murshidabad Hinsa) और साम्प्रदायिक बवाल का पुराना इतिहास रहा है। क्या है मुर्शिदाबाद, जानते हैं इसके बारे में।
क्यों है संवेदनशील?
मुर्शिदाबाद नवाबी युग के दौरान बंगाल की राजधानी थी और इसका मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से जुड़ा एक समृद्ध इतिहास है। लेकिन भारत के कई क्षेत्रों की तरह, मुर्शिदाबाद में भी विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव (Communal Tension) रहा है। आज़ादी से पहले से लेकर अब तक यहां अलग अलग मुद्दों पर तनाव भड़कते रहे हैं, जिससे यह क्षेत्र सांप्रदायिक हिंसा या अशांति के प्रति संवेदनशील बना रहता है। यहां की आबादी का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है और 2011 की जनगणना के अनुसार, मुर्शिदाबाद जिले में मुसलमानों की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। जिले की लगभग 66.6% आबादी मुस्लिम थी। उस समय लगभग 71 लाख की कुल आबादी को देखते हुए, इसका मतलब है कि मुर्शिदाबाद में 2011 में लगभग 4.7 मिलियन मुसलमान थे। आज की स्थिति क्या है, कुछ पता नहीं।
विभाजन और मुर्शिदाबाद (Partition and Murshidabad)
1947 में विभाजन के दौरान मुर्शिदाबाद का भारत में शामिल होना ब्रिटिश भारत के व्यापक राजनीतिक और ऐतिहासिक परिदृश्य के संदर्भ में समझा जा सकता है। मुर्शिदाबाद नवाबी युग के दौरान बंगाल की राजधानी थी और इसका मुगल साम्राज्य से जुड़ा एक समृद्ध इतिहास रहा है। भारत का विभाजन मुख्य रूप से धार्मिक आधार पर हुआ था, जिसमें मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को पाकिस्तान (Pakistan) को आवंटित किया गया था और हिंदू बहुल क्षेत्र भारत में बने रहे। मुर्शिदाबाद में एक महत्वपूर्ण मुस्लिम आबादी होने के बावजूद, पश्चिम बंगाल के बाकी हिस्सों के साथ इसके भौगोलिक और प्रशासनिक संबंधों के कारण इसे भारत में शामिल किया गया था।
विभाजन के समय का विवाद
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
1947 के विभाजन के दौरान मुर्शिदाबाद किधर जाएगा, भारत में कि पाकिस्तान में, इस पर भ्रम भी था और विवाद भी। लेकिन इसे आधिकारिक तौर पर पूर्वी पाकिस्तान को नहीं दिया गया था। दरअसल, बंगाल के विभाजन का निर्णय ब्रिटिश वकील सर सिरिल रेडक्लिफ के नेतृत्व में रेडक्लिफ आयोग द्वारा लिया गया था। इसी आयोग को भारत-पाकिस्तान सीमा खींचने का काम सौंपा गया था। मुर्शिदाबाद एक मुस्लिम बहुल जिला था जहाँ 1941 की जनगणना में लगभग 60 से 70% मुस्लिम थे। इसकी जनसंख्या की स्थिति और राजशाही जैसे अन्य मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से निकटता के कारण मुर्शिदाबाद को पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में शामिल करने पर विचार किया गया था। हालाँकि, 17 अगस्त, 1947 को घोषित अंतिम सीमा फैसले में मुर्शिदाबाद को भारत में रखा गया। यह निर्णय क्षेत्रीय और आर्थिक हितों को बैलेंस करने के लिए एक रणनीति का हिस्सा था। मुर्शिदाबाद को भारत में शामिल करने से भागीरथी-हुगली नदी पर भारत का कंट्रोल सुनिश्चित हुआ। ये नदियाँ कोलकाता को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण जलमार्ग हैं। रणनीति के तौर पर ही हिंदू बहुल खुलना जिले और जेसोर के कुछ हिस्सों को पूर्वी पाकिस्तान को आवंटित कर दिया गया, रेडक्लिफ का मानना था कि इससे जनसंख्या और क्षेत्रीय बैलेंस को लगभग बराबर किया जा सकेगा।
बहरहाल, मुर्शिदाबाद के भाग्य के बारे में शुरुआती अस्पष्टता और गलत सूचना थी, क्योंकि रैडक्लिफ लाइन के विवरण को देर से घोषित किया गया था। कहा जाता है कि मुर्शिदाबाद के लोकल नेताओं और निवासियों ने कुछ समय के लिए यह माना कि मुर्शिदाबाद के कुछ हिस्से पूर्वी पाकिस्तान में जा सकते हैं, इसी बात से लोगों में चिंता और पलायन बढ़ गया। कुछ समय तक अफरातफरी रही लेकिन अंततः मुर्शिदाबाद का कोई भी हिस्सा आधिकारिक तौर पर पूर्वी पाकिस्तान को नहीं दिया गया। पूरा मुर्शिदाबाद जिला भारत में बना रहा। अंतर्राष्ट्रीय सीमा को इस जिले के पूर्वी और उत्तरी किनारों के करीब खींचा गया, जिससे यह पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से सटा एक सीमावर्ती जिला बन गया।
क्या रहा है इतिहास (Murshidabad Ka Itihas)?
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
मूल रूप से मकसूदाबाद (Maksoodabad) के रूप में जाना जाने वाला यह क्षेत्र प्राचीन बंगाल (Ancient Bengal) का हिस्सा था, जहाँ गुप्त काल (4वीं-6वीं शताब्दी ईस्वी की बस्तियों के प्रमाण मिलते हैं। नदी के किनारे स्थित होने के कारण यह एक व्यापार केंद्र था। मुगल शासन के दौरान ये इलाका काफ़ी प्रसिद्ध हुआ। 1704 में मुगल गवर्नर नवाब मुर्शिद कुली खान (Nawab Murshid Quli Khan) ने बंगाल की राजधानी को ढाका से मकसूदाबाद स्थानांतरित कर दिया और इसका नाम अपने नाम पर रख दिया। यह शहर बंगाल, बिहार और उड़ीसा का प्रशासनिक और वित्तीय केंद्र बन गया और खासकर कपड़े और संस्कृति के केंद्र के रूप में फला – फूला।
मुर्शिद कुली खान की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारियों, अलीवर्दी खान और सिराजुद्दौला ने मुर्शिदाबाद से बंगाल पर शासन किया। चूँकि ये शासन का केंद्र था सो यहाँ काफी भव्य मस्जिदें, हमाल और बाग़ थे। 18वीं शताब्दी के दौरान, मुर्शिदाबाद एक समृद्ध शहर था। 1750 के दशक में इसकी जनसंख्या 1,00,000 तक पहुँच गई थी। इस शहर के वैभव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहाँ भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा यूरेशिया के विभिन्न भागों से बैंकिंग और व्यापारी परिवारों का घर था। यही नहीं, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी, डच ईस्ट इंडिया कंपनी और डेनिश ईस्ट इंडिया कंपनी सहित यूरोपीय कंपनियों ने इसी शहर के आसपास व्यापार और कारखाने चलाये। रेशम मुर्शिदाबाद का एक प्रमुख प्रोडक्ट था। यह शहर हाथीदांत मूर्तिकारों, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और मुगल चित्रकला की मुर्शिदाबाद शैली सहित कला और संस्कृति का केंद्र भी था।
1757 में प्लासी की लड़ाई के साथ मुर्शिदाबाद का भाग्य बदल गया। इस लड़ाई में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने नवाब सिराजुद्दौला को हरा दिया और इसी लड़ाई के साथ नवाबी शक्ति का पतन और ब्रिटिश नियंत्रण का उदय हुआ। 1773 तक मुर्शिदाबाद नाममात्र की राजधानी बना रहा,और उस वर्ष अंग्रेजों ने राजधानी को कलकत्ता स्थानांतरित कर दिया। ब्रिटिश शासन के तहत, मुर्शिदाबाद ने अपना राजनीतिक महत्व खो दिया, लेकिन एक सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र बना रहा। पेंशनभोगी बनकर रह गए नवाब इसी शहर में रहते रहे। 1837 में निर्मित हज़ार्डुआरी पैलेस जैसे स्थल इस अवधि के इंडो-यूरोपीय आर्कीटेक्चर की मिसाल हैं। क्लाइव ने तो लिखा भी था कि - मुर्शिदाबाद, लन्दन से भी बड़ा शहर है।
स्वतंत्रता और पार्टीशन के बाद मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल का हिस्सा बन गया। यहाँ का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व हमेशा ही बना रहा और आज भी इमामबाड़ा, कटरा मस्जिद और मुर्शिद कुली खान की कब्र जैसी जगहें टूरिस्टों को आकर्षित करती हैं। आज मुर्शिदाबाद अपने रेशम उद्योग, हस्तशिल्प और पर्यटन के लिए जाना जाता है। दुर्गा पूजा के दौरान भारत भर में पूजा पंडालों में ढाक बजाने वाले कलाकार ज्यादातर मुर्शिदाबाद के ही होते हैं।
खुली सीमा
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल का एकमात्र जिला है, जहां 2011 की जनगणना के अनुसार, 67% मुस्लिम आबादी हिंदू आबादी से काफी अधिक है। काम के लिए लोगों के बड़े पैमाने पर पलायन के कारण, यह राज्य का आर्थिक रूप से गरीब जिला है; यहां बाल विवाह की संख्या पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक है। इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी अधिक होने के आधार पर केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग ने और भी मतभेद पैदा कर दिए हैं। पिछली जुलाई के अंतिम सप्ताह में मुर्शिदाबाद में केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मांगने के लिए रैलियां की गईं। नक्शे पर मुर्शिदाबाद जिला बांग्लादेश के साथ 125.35 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करने वाले एक त्रिकोण की तरह दिखता है, जिसमें से 42.35 किलोमीटर ज़मीन पर है और बाकी नदी है।
पद्मा नदी पूरी पूर्वी सीमा से होकर बहती है, जो मुर्शिदाबाद को बांग्लादेश के राजशाही जिले से अलग करती है। नदी पर करके सैकड़ों किसान रोजाना सीमा के उस पार जाते हैं और शाम को लौट आते हैं। ये एक खुली सीमा है जहाँ बाड़ जैसी कोई चीज नहीं है। मुर्शिदाबाद में सांप्रदायिक झड़पें असामान्य नहीं हैं, दशकों से कभी न कभी ये झगड़े होते आये हैं।