115 साल से मुस्लिम कर रहे राम दरबार की आरती, है मुहर्रम-रामलीला का एक ही मंच
कानपुर: मुहर्रम जुलूस व रामबारात की शोभा यात्रा के दौरान बीते दिनों दो समुदायों के बीच जमकर बवाल हुआ। दर्जनों वाहनों में आग लगा दी गई और पथराव में कई लोग घायल भी हुए। इतना कुछ होने के बाद भी इसी शहर से एक ऐसी तश्वीर निकल कर आई, जिसने लोगों के गुस्से को शांत कर दिया। रामलीला के मंच पर सलीम चाचा राम-लक्ष्मण की आरती कर रहे हैं और मंच पर ही हुसैन की ताजिया भी रखी जाती है। पूरा गांव इस पर्व को हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है।
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बिधनू थाना क्षेत्र के कठारा गांव जहां पर 115 सालों से चली आ रही रामलीला के मंच पर मुश्लिम समुदाय के लोग भगवान राम और लक्ष्मण की पूजा आरती करते हैं, तो हिंदू समाज के लोग उनके ताजियों को मंच पर रखकर हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करते हैं। इस वर्ष जहां कानपुर शहर के रावतपुर व परमपुरवा में सांप्रदायिकता की आग जल रही थी, लोग घरों में कैद थे, वहीं कठारा गांव में दोनों समुदायों के लोग आपस में मिलकर दशहरा और मोहर्रम के पर्व को शांति से मना रहे थे।
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रामलीला कमेटी के कोषाध्यक्ष राहुल तिवारी के मुताबिक हमारा गांव और यह राम लीला कमेटी 115 साल पुरानी है। इस कमेटी में होने वाली रामलीला के दौरान मुस्लिम समुदाय द्वारा भागवान राम की पूजा आरती की जाती है। बीते सोमवार को गांव में रामलीला का आयोजन था, जिसमें राम विवाह और धनुष भंग का कार्यक्रम था, राम लीला शुरू होने से पहले सलीम चाचा ने राम दरबार की आरती की। इसके बाद रामलीला का शुभारंभ हुआ।
इस रामलीला का आयोजन उनके पूर्वज कराया करते थे, तभी से यह क्रम चलता आ रहा है। काठारा गांव में हिंदू-मुस्लिम की संयुक्त आबादी है, इस प्रोग्राम में मुस्लिम समाज का भी अहम योगदान रहता है। दोनों ही समुदाय के लोग मिल-जुलकर सभी पर्व को मनाते हैं।
मंच पर भगवान राम की आरती कर रहे मोहम्मद इश्तियाक उर्फ़ सलीम चाचा ने बताया कि आज के दिन का हम लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं, जिसमें जहां एक तरफ हमारे हुसैन के ताजिये रामलीला के मंच पर दिखते हैं, वहीं हम सब लोग ईद व दशहरा दीपावली साथ में मनाते हैं। यहां के बुजुर्गों ने कहा कि यह परंपरा और संस्कार हम अपने बच्चों को भी दे रहे हैं ताकि गांव में सदा खुशहाली बनी रहे।
सलीम चाचा ने बताया कि हम लोग उन फिरकापरस्त ताकतों को बता देना चाहते हैं कि हम एक हैं। जो लोग माहोल ख़राब करते हैं, उनके खिलाफ कठोर कार्यवाई होनी चाहिए। हम अपने रामलीला के माध्यम से समाज को संदेश देना चाहते हैं कि हुसैन भी हमारे हैं और भागवान राम भी हमारे हैं। हम लोगो में कुछ बंटा नहीं है, हम हिंदुस्तान गुलिस्ता के फूल हैं, हम बिखरेंगे नहीं।