नैनीताल HC का ऐतिहासिक फैसला, प्रेसिडेंट रूल हटाओ, 29 को फ्लोर टेस्ट

Update:2016-04-21 15:34 IST

नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड से प्रेसिडेंट रूल हटाने का आदेश दिया है। 18 मार्च की स्थिति दोबारा बहाल करने को कहा है। 29 अप्रैल को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होगा। उत्तराखंड में कांग्रेस के नौ विधायकों के बागी होने और राजनीतिक उथल-पुथल के बाद 27 मार्च को प्रेसिडेंट रूल लगाया गया था।

बागियों की सदस्यता खत्म

चीफ जस्टिस के एम जोसफ और वीके बिष्ट की बेंच ने कांग्रेस के बागी नौ विधायकों की विधानसभा सदस्यता भी खत्म कर दी। नौ की सदस्यता खत्म होने के बाद विधानसभा की सदस्य संख्या मनोनीत को मिलाकर 62 हो गई। हालांकि मनोनीत सदस्य वोटिंग में हिस्सा नहीं लेंगे।

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विधानसभा का गणित

नौ बागी सदस्यों की सदस्यता खत्म करने के बाद अब कांग्रेस के सदस्य 27 रह गए हैं। माना जा रहा है कि यूकेडी के एक, तीन निर्दलीय और बसपा के दो सदस्यों का समर्थन कांग्रेस को मिला हुआ है। बीजेपी के 28 विधायक हैं। इनमें भी एक बागी बताया जाता है।विधानसभा में कुल 71 सीटें हैं। इनमें से 70 चुनाव में जीतकर आते हैं, जबकि एक सदस्य मनोनीत हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में 36 कांग्रेस ने जीती, 28 सीटें बीजेपी को मिलीं। दो बीएसपी, एक यूकेडी और तीन निर्दलीय हैं।

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केंद्र सरकार नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। बीजेपी के महासचिव विजय वर्गीज ने कहा, ''इस फैसले से आश्चर्य नहीं हुआ है। बेंच जिस तरह से प्रेसिडेंट को लेकर टिप्पणी कर रहा था, उससे इसी फैसले की उम्मीद की जा रही थी। बीजेपी के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला हुआ है।''

रावत बोले- साबित करेंगे बहुमत

उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने हाईकोर्ट के फैसले को जनता की जीत बताया है। उन्होंने कहा, ''हमारी सरकार फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है और जरूर पास करेगी। केंद्र सरकार से सहयोग की अपील है। हम हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान से स्वागत करते हैं।''

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कांग्रेस ने बताया- न्याय की जीत

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने हाईकोर्ट के फैसले को सच और न्याय की जीत बताया है ।उन्होंनें न्यूज ट्रैक से कहा कि बीजेपी प्रसिडेंट रूल लगाकर संविधान का गला घोटना चाह रही थी।

कोर्ट को किया गया मिसगाइड

कांग्रेस के बागी विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने कोर्ट को मिसगाइड किया है। हरीश रावत सरकार 18 मार्च को ही गिर गई थी।

राष्ट्रपति राजा नहीं, हो सकते हैं गलत

इससे पहले बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रपति कोई राजा नहीं, जिसके फैसले पर रिव्यू न किया जा सके। उक्त टिप्पणी हाईकोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसे सूबे के पूर्व सीएम हरीश रावत ने राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन को चुनौती देते हुए दायर की थी।

और क्या कहा हाईकोर्ट ने

चीफ जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस वीके बिष्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा, हमारे संविधान की यही खूबी है कि राष्ट्रपति के फैसले को भी चैलेंज किया जा सकता है। जैसे कि किसी भी जज के फैसले को रिव्यू किया जा सकता है, वैसे ही राष्ट्रपति के फैसलों को भी चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट ने उक्त बातें उस वक्त कहीं जब केंद्र सरकार ने कहा कि कोर्ट प्रेसिडेंट रूल के फैसले को रिव्यू नहीं कर सकते हैं।

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