पहले जगहों के नाम पर रखे जाते थे वाइरस के नाम

वैसे पहले कई बीमारियों का ऐसा नाम रखा गया जो बहुत भ्रामक था। मिसाल के तौर पर 1918 में फैला स्पेनिश फ्लू स्पेन में नहीं जन्मा था। दरअसल उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था और बहुत से देशों ने इस महामारी की जानकारी दबा दी।

Update:2020-03-23 14:28 IST

नील मणि लाल

लखनऊ: भले ही प्रेसिडेंट ट्रम्प ने कोरोना वाइरस का नाम ‘चाइनीज़ वाइरस’ रख दिया है लेकिन ये सच्चाई है कि 2015 से पहले वाइरस के नाम जगहों के नाम पर रखे जाते थे। 2015 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इनसानों में फैलने वाले नए संक्रामक रोगों के नामकरण की नई गाइड लाइंस जारी कीं। इन गाइड लाइंस का उद्देश्य था कि किसी भी देश या लोगों पर किसी तरह का नेगेटिव प्रभाव नहीं पड़े।

बीमारी का नामकरण उसके लक्षण के आधार पर हो

स्वास्थ्य और चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञों और संस्थानों का भी कहना था कि किसी स्थान, पशु, खाद्य पदार्थ आदि पर बीमारी का नाम नहीं रखा जाना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि किसी बीमारी का नामकरण उस बीमारी के लक्षण के आधार पर किया जाय या जिस विषाणु के कारण बीमारी हो रही है उस विषाणु के नाम पर किया जाये।

वैसे पहले कई बीमारियों का ऐसा नाम रखा गया जो बहुत भ्रामक था। मिसाल के तौर पर 1918 में फैला स्पेनिश फ्लू स्पेन में नहीं जन्मा था। दरअसल उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था और बहुत से देशों ने इस महामारी की जानकारी दबा दी। विश्व युद्ध में स्पेन भाग नहीं ले रहा था सो उस पर युद्धकालीन सेंसरशिप लागू नहीं थी।

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एच1एन1 वाइरस ने भी महामारी का रूप ले लिया था

ऐसे में स्पेन ने उस महामारी की खबर सार्वजनिक कर दी। इस कारण ये भ्रम बन गया कि फ्लू की महामारी स्पेन में पैदा हुई थी और इसका नाम स्पेनिश फ्लू रख दिया गया। 2009 में एच1एन1 वाइरस ने महामारी का रूप ले लिया था। ये वाइरस उत्तरी अमरीका से निकला था लेकिन इसका नाम अमरीकन फ्लू नहीं रखा गया। पहले इसे स्वाइन फ्लू कहा गया लेकिन बाद में एच1एन1 पुकारा गया।

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