PM मोदी : मन की बात में जल-संरक्षण पर बोलें- 'जब जन-जन जुड़ेगा, जल बचेगा'

लोकसभा चुनाव में दोबारा जनादेश मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को पहली बार देशवासियों के साथ रेडियो पर 'मन की बात' करते हुए कहा कि चुनावों की आपाधापी के बीच आपसे मन की बात नहीं कर सका।

Update:2019-06-30 12:25 IST
pm modi

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव में दोबारा जनादेश मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को पहली बार देशवासियों के साथ रेडियो पर 'मन की बात' करते हुए कहा कि चुनावों की आपाधापी के बीच आपसे मन की बात नहीं कर सका। चुनाव खत्म होने के बाद मन किया कि इसे शुरू कर दूं लेकिन फिर क्रम नहीं तोड़ना चाहता था इसलिए संडे का इंतजार किया और आज आपके साथ हूं।

प्रधानमंत्री ने बताया कि कई सन्देश पिछले कुछ महीनों में आये हैं जिसमें लोगों ने कहा कि वो मन की बात को मिस कर रहे हैं। ‘जब मैं पढता हूँ, सुनता हूँ मुझे अच्छा लगता है। मैं अपनापन महसूस करता हूँ। कभी-कभी मुझे ये लगता है कि ये मेरी स्व से समष्टि की यात्रा है।

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पीएम मोदी- मन की बात

जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों का, स्वयं सेवी संस्थाओं का, और इस क्षेत्र में काम करने वाले हर किसी का, उनकी जो

जानकारी हो, उसे आप जनशक्ति साथ शेयर करें ताकि उनका एक डाटाबेस बनाया जा सके।

हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं। मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को शेयर करने का आग्रह करता हूं।

मेरा पहला अनुरोध है – जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया। आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें। देशवासियों से मेरा दूसरा अनुरोध है। हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं। मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को शेयर करने का आग्रह करता हूं।

जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है। इससे पानी से संबंधित सभी विषयों पर तेज़ी से फैसले लिए जा सकेंगे।

मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे इस बात की ख़ुशी है कि हमारे देश के लोग उन मुद्दों के बारे में सोच रहे हैं, जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के लिए भी बड़ी चुनौती है। जो भी पोरबंदर के कीर्ति मंदिर जायें वो उस पानी के टांके को जरुर देखें। 200 साल पुराने उस टांके में आज भी पानी है और बरसात के पानी को रोकने की व्यवस्था है, ऐसे कई प्रकार के प्रयोग हर जगह पर होंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा आग्रह किया है की हम स्वागत सत्कार में फूलों के बजाय किताबें दें. उनके इस आग्रह पर काफ़ी जगह लोग अब उन्हें किताबें देने लगे हैं।

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इस चुनाव में महिलाओं और पुरुषों का मतदान % करीब-करीब बराबर था। इसी से जुड़ा एक तथ्य यह है कि आज संसद में रिकॉर्ड 78 महिला सांसद हैं। मैं चुनाव आयोग को,और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को, बहुत-बहुत बधाई देता हूँ व भारत के जागरूक मतदाताओं को नमन करता हूं।

दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित मतदान केंद्र भारत में है। यह मतदान केंद्र हिमाचल प्रदेश के लाहौल- स्पीति क्षेत्र में 15000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

अरुणाचल प्रदेश के एक रिमोट इलाके में, महज एक महिला मतदाता के लिए पोलिंग स्टेशन बनाया गया था।

मतदान के लिए पूरे देश में करीब 10 लाख पोलिंग स्टेशन, 40 लाख से ज्यादा EVM मशीन, 17 लाख से ज्यादा VVPAT मशीनों का इंतेज़ाम किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके, कि कोई मतदाता अपने मताधिकार से वंचित ना हो।

लोकतंत्र पर बात

लोकतंत्र के इस महायज्ञ को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए जहां अर्द्धसैनिक बलों के करीब 3 लाख सुरक्षाकर्मियों ने अपना दायित्व निभाया, वहीँ अलग-अलग राज्यों के 20 लाख पुलिसकर्मियों ने भी, परिश्रम की पराकाष्ठा की, कड़ी मेहनत के फलस्वरूप इस बार पिछली बार से अधिक मतदान हुआ'।

2019 का लोकसभा चुनाव अब तक इतिहास में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव था. इस प्रकार के चुनाव संपन्न कराने में बड़े स्तर पर संसाधनों और मानवशक्ति की आवश्यकता पड़ती है। लाखों शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों की दिन-रात मेहनत से चुनाव संभव हो पाया।

2019 में हुए लोकसभा चुनाव पर प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत में 61 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट दिए, दुनिया के हिसाब से चीन को छोड़ कर किसी भी देश की आबादी से ज्यादा लोगों ने वोट किया। यह हमारे लोकतंत्र की विशालता और व्यापकता का परिचय कराता है।

हमें जो लोकतंत्र मिला है वह बहुमूल्य एवं महान है और इस लोकतंत्र को हमारी रगों में सदियों की साधना, पीढ़ी-दर-पीढ़ी के संस्कार और विशाल व्यापक मन की अवस्था से जगह मिली है।

हमें जो लोकतंत्र मिला है वह बहुमूल्य एवं महान है और इस लोकतंत्र को हमारी रगों में सदियों की साधना, पीढ़ी-दर-पीढ़ी के संस्कार और विशाल व्यापक मन की अवस्था से जगह मिली है।

हाल ही में लोकतंत्र का महापर्व, बहुत बड़ा चुनाव अभियान, हमारे देश में संपन्न हुआ। अमीर से लेकर ग़रीब, सभी लोग इस पर्व में खुशी से हमारे देश के भविष्य का फैसला करने के लिए तत्पर थे।

इस विरासत को लेकर के हम पले-बड़े हैं और इसकी कमी आपातकाल में हमने महसूस की थी। एक पूरा चुनाव अपने हित के लिए नहीं, लोकतंत्र की रक्षा के लिए ,अपने बाकी हक,अधिकारों और आवश्यकताओं की, परवाह ना करते हुए सिर्फ लोकतंत्र के लिए इस देश ने सतत्तर में देखा था

लोकतंत्र की रक्षा के लिए भारत के संविधान ने कुछ व्यवस्थायें की हैं जिसके कारण लोकतंत्र पनपा है। समाज व्यवस्था को चलाने के लिए, संविधान की भी जरुरत होती है,कानून,नियमों की भी आवश्यकता होती है। लोकतंत्र हमारी संस्कृति है,लोकतंत्र हमारी विरासत है

खोये हुए लोकतंत्र की एक तड़प थी। दिन-रात जब समय पर खाना खाते हैं तब भूख क्या होती है इसका पता नहीं होता है वैसे ही सामान्य जीवन में लोकतंत्र के अधिकारों का क्या मज़ा है वो तो तब पता चलता है जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेता है।

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जब देश में आपातकाल लगाया गया तब उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं रहा था, राजनेताओं एवं जेल की सलाखों तक सीमित नहीं रहा था, जन-जन के दिल में एक आक्रोश था ।

प्रधानमंत्री ने अपनी मन की बात में बताया कि उन्हें काफी चिट्ठियां आती हैं, टेलीफोन कॉल आते हैं, सन्देश मिलते हैं, लेकिन उनमें शिकायत का तत्व बहुत कम होता है और किसी ने कुछ अपने लिए माँगा हो, ऐसी बात, गत पांच वर्ष में उनके ध्यान में नहीं आती है।

'मन की बात के इस अल्पविराम के कारण जो खालीपन था, केदार की घाटी में, उस एकांत गुफा में, कुछ भरने का अवसर जरूर दिया, जैसे केदार के विषय में लोगों ने जानने की इच्छा व्यक्त की, वैसे एक सकारात्मक चीजों को बल देने का आपका प्रयास, आपकी बातों में लगातार मैं महसूस करता हूँ'।

‘मन की बात’ के लिए जो चिट्ठियाँ आती हैं, एक प्रकार से वह भी मेरे लिये प्रेरणा और ऊर्जा का कारण बन जाती है। कभी-कभी तो मेरी विचार प्रक्रिया को धार देने का काम आपके कुछ शब्द कर देते हैं "।

प्रधानमंत्री ने बताया कि कई सन्देश पिछले कुछ महीनों में आये हैं, जिसमें लोगों ने कहा कि वो मन की बात को miss कर रहे हैं। ‘जब मैं पढता हूँ, सुनता हूँ मुझे अच्छा लगता है। मैं अपनापन महसूस करता हूँ। कभी-कभी मुझे ये लगता है कि ये मेरी स्व से समष्टि की यात्रा है।

एक लंबे अंतराल के बाद आपके बीच मन की बात, जन-जन की बात, जन-मन की बात इसका हम सिलसिला जारी कर रहे हैं। चुनाव की आपाधापी में व्यस्तता तो ज्यादा थी लेकिन मन की बात का मजा ही गायब था, एक कमी महसूस कर रहा था। हम 130 करोड़ देशवासियों के स्वजन के रूप में बातें करते थे।

चुनावों की आपाधापी के बीच आपसे मन की बात नहीं कर सका। चुनाव खत्म होने के बाद मन किया कि इसे शुरू कर दूं लेकिन फिर क्रम नहीं तोड़ना चाहता था इसलिए संडे का इंतजार किया और आज आपके साथ हूं।

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'मन की बात' कार्यक्रम की शुरुआत

पीएम मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद देशवासियों के साथ नियमित संवाद की परंपरा शुरू करते हुए हर महीने के अंतिम रविवार को रेडियो पर 'मन की बात' कार्यक्रम शुरू किया था।

इसके माध्यम से वह विभिन्न मुद्दों पर लोगों को अपने विचारों से अवगत कराते थे और उनके सुझावों पर भी बात करते थे। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गत फरवरी में उन्होंने इस सिलसिले को बंद करने की घोषणा की थी। पहले कार्यकाल में उन्होंने 53 बार मन की बात कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

प्रधानमंत्री ने उस समय कहा था कि लोकतंत्र की स्वस्थ परंपरा का निर्वहन करते हुए वह अभी इस कार्यक्रम को विराम दे रहे हैं लेकिन मई में चुनाव संपन्न होने के बाद वह इसे दोबारा शुरू करेंगे। इस कार्यक्रम का प्रसारण अपराह्न 11 बजे रेडियो और दूरदर्शन के सभी चैनलों पर किया जाता है। बाद में इसे प्रादेशिक भाषाओं में भी प्रसारित किया जाता है।

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