National Broadcasting Day 2023: दूरसंचार ही भारत में एक बड़ी क्रांति लाया है, जानिए राष्ट्रीय दूरसंचार दिवस का इतिहास
National Broadcasting Day 2023: ष्ट्रीय प्रसारण दिवस (National Broadcasting Day) भारत में हर साल 23 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय संचार और प्रसारण उद्यम के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक दिन माना जाता है। इस दिन को याद करके भारतीय टेलीविजन, रेडियो और डिजिटल मीडिया के विकास को गुणांकित किया जाता है।
National Broadcasting Day 2023: राष्ट्रीय प्रसारण दिवस (National Broadcasting Day) भारत में हर साल 23 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय संचार और प्रसारण उद्यम के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक दिन माना जाता है। इस दिन को याद करके भारतीय टेलीविजन, रेडियो और डिजिटल मीडिया के विकास को गुणांकित किया जाता है। राष्ट्रीय प्रसारण दिवस का इतिहास 23 जुलाई 1927 को ताजा दिल्ली स्थित आल इंडिया रेडियो (All India Radio) के प्रसारण के पहले दिन के रूप में माना जाता है। इस दिन राजा जोरावर सिंग के द्वारा राष्ट्रीय प्रसारण का उद्घाटन हुआ था। रेडियो प्रसारण का शुभारंभ हिंदी भाषा में भी किया गया था। इसलिए, राष्ट्रीय प्रसारण दिवस को भी हिंदी में विशेष महत्व दिया जाता है।
यह दिन मीडिया उद्यम के संदर्भ में एक अवसर है जब रेडियो और टीवी चैनल, समाचार पत्रिकाएं, न्यूज़ चैनल और डिजिटल मीडिया आदि ने नवाचारी कार्यक्रम और समाचार प्रसारण को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित काम किया जाता है। यह दिन समाचारकर्मियों, रेडियो और टेलीविजन के कर्मचारियों के योगदान को सम्मानित करने का भी एक अवसर है। इस दिवस पर विशेष आयोजन और समारोहों का आयोजन होता है जो मीडिया उद्यम के संबंधित लोगों को एक साथ लाते हैं और इस उत्सव को साझा करते हैं। इस दिन, समाचार संस्थान और रेडियो और टीवी चैनलों द्वारा विशेष कार्यक्रम, डॉक्यूमेंट्री, और प्रसारण का आयोजन किया जाता है।
भारत में मीडिया इंडस्ट्री का विकास और उन्नति महत्वपूर्ण रूप से इस महत्वपूर्ण दिन के पश्चात हुई है और राष्ट्रीय प्रसारण दिवस इस उन्नति के लिए एक अवसर के रूप में मनाया जाता है।
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस का इतिहास
23 जुलाई 1927 को ही भारतीय संचार के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना हुई थी, जब भारत में रेडियो के प्रसारण का शुभारंभ हुआ था। इस दिन दिल्ली स्थित आल इंडिया रेडियो के प्रसारण का उद्घाटन राजा जोरावर सिंग द्वारा किया गया था। इस दिन को राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के रूप में नामित किया गया। इस दिवस का महत्वपूर्ण प्रसारण आयोजन राजा जोरावर सिंग के द्वारा 23 जुलाई 1927 को किया गया था। रेडियो प्रसारण का उद्घाटन हिंदी भाषा में ही किया गया था और इससे भारत में रेडियो के प्रसारण का संचार क्रांतिकारी बदलाव हुआ। इसके बाद रेडियो भाषाएँ बदलती रही और इससे भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भाषाई सांस्कृतिक भिन्नता को बढ़ावा मिला।
इस उत्सव को मनाकर भारतीय मीडिया उद्यम के प्रत्याशा और योगदान को सम्मानित किया जाता है। इस दिन पर रेडियो, टेलीविजन, और डिजिटल मीडिया संस्थान विशेष कार्यक्रम, समारोह और शोभायात्रा आयोजित करते हैं जो लोगों को रेडियो और टीवी जगत के पीछे की कुल्हाड़ी का अनुभव देते हैं। राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के माध्यम से, भारतीय मीडिया उद्यम का विकास, प्रगति और उन्नति को गुणांकित किया जाता है और लोगों को संचार के माध्यम से सूचना, मनोरंजन और शिक्षा के लाभ पहुंचाने में उनके योगदान को प्रशंसा की जाती है।
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस का महत्त्व
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस, भारतीय संस्कृति और समाज के माध्यम से समाज के लोगों के बीच संचार की महत्वपूर्ण भूमिका को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। यह दिन रेडियो और टीवी जैसे माध्यमों के उदघाटन के लिए एक विशेष अवसर होता है। राष्ट्रीय प्रसारण दिवस को भारतीय प्रसारण संस्थान (दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो) के स्थापना दिवस के रूप में 23 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन, भारतीय प्रसारण संस्थान की स्थापना 23 जुलाई 1927 में बॉम्बे (अब मुंबई) में प्रारंभ हुई थी। पहले यह संस्थान 'इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी लिमिटेड' के नाम से जाना जाता था और बाद में इसे 'एल-इंडिया रेडियो' बनाया गया। इसके बाद 1957 में 'डुर्दर्शन' का भी शुभारंभ हुआ।
इस दिवस को मनाकर, हम उन सभी प्रोफेशनल्स को सम्मानित करते हैं जो प्रसारण और मीडिया क्षेत्र में अपना योगदान देते हैं। यह दिवस हमें यह भी स्मरण दिलाता है कि संचार का यह माध्यम जनता तक समाचार, जानकारी, शिक्षा, मनोरंजन, और संस्कृति को पहुंचाने में कितना महत्वपूर्ण है। इससे लोग विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों, और क्षेत्रों के बारे में अधिक जान सकते हैं और एक-दूसरे के साथ बेहतर समझदारी और समरसता का माहौल बना सकते हैं।
इस दिवस के अवसर पर, सरकारी और गैर-सरकारी संगठन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जिनमें मीडिया और प्रसारण क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होती है, सेमिनार, कार्यशाला, और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, और प्रसिद्ध प्रस्तुतिकरण और कार्यक्रमों को सम्मानित किया जाता है।
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस का उद्देश्य
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस का प्रमुख उद्देश्य भारतीय संस्कृति, भाषाओं, संस्कृति, शिक्षा, समाचार, मनोरंजन और सांस्कृतिक विरासत को देश और विदेश में बेहतर तरीके से प्रसारित करना है। इस दिन को मनाकर, हमें इस संचार के माध्यम से समाज में जागरूकता, ज्ञान, एकता और समरसता को बढ़ावा देने का मौका मिलता है।
1) समाचार और जागरूकता: राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के माध्यम से, समाचार के विभिन्न पहलुओं को प्रसारित किया जाता है, जो लोगों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों से अवगत करते हैं। यह माध्यम जनता को जागरूक बनाता है और उन्हें विभिन्न मुद्दों पर सचेत रहने में मदद करता है।
शिक्षा और सांस्कृतिक विरासत: राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के अवसर पर, शिक्षा, साहित्य, कला, और सांस्कृतिक विरासत से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इससे भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलती है और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक आदार्शों को प्रसारित किया जाता है।
2) मनोरंजन: राष्ट्रीय प्रसारण दिवस आपसी समरसता और मनोरंजन को प्रोत्साहित करने का भी अवसर प्रदान करता है। इस दिन पर विशेष मनोरंजन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिनसे लोगों को सांस्कृतिक और मनोरंजक अनुभव मिलता है।
3) राष्ट्रीय एकता: राष्ट्रीय प्रसारण दिवस भारतीय एकता और समरसता को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह माध्यम भारत के विभिन्न भागों में विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों और सम्प्रदायों के बीच समरसता को बढ़ावा देता है और राष्ट्रीय अभिवृद्धि के लिए एक मिलीभगत की भावना को बढ़ावा देता है।
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस 2023 थीम
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस भारतीय एकता को बढ़ावा देता है। भारत के विविध समुद्रों, चट्टानों और सम्प्रदायों के बीच समरसता को बढ़ावा देता है और राष्ट्रीय वैभव के लिए एक अलोकप्रियता की भावना को बढ़ावा देता है।
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस से जुड़े तथ्य
1) तारीख: राष्ट्रीय प्रसारण दिवस को हर साल 23 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय प्रसारण संस्थान के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
2) प्रसारण संस्थान: राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के अवसर पर भारतीय प्रसारण संस्थान (दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो) को स्थापित किया गया था।
3) उद्देश्य: इस दिवस का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति, भाषाओं, संस्कृति, शिक्षा, समाचार, मनोरंजन, और सांस्कृतिक विरासत को देश और विदेश में प्रसारित करना है।
4) प्रसारण के शुरुआती दिन: भारतीय प्रसारण के शुरुआती दिन 23 जुलाई 1927 को मुंबई में रेडियो प्रसारण कंपनी के रूप में हुआ था। बाद में इसे एल-इंडिया रेडियो नाम दिया गया।
5) दूरदर्शन की स्थापना: दूरदर्शन, भारतीय टेलीविजन का दूसरा प्रसारण संस्थान, 15 सितंबर 1959 को शुरू हुआ था।
6) राष्ट्रीय प्रसारण दिवस का आयोजन: राष्ट्रीय प्रसारण दिवस पर भारतीय प्रसारण संस्थान और अन्य संबंधित संस्थान विभिन्न कार्यक्रम और समारोह आयोजित करते हैं, जिनमें विशेष कार्यशालाएं, संबोधन, और पुरस्कार वितरण शामिल होता है।
7) प्रसारण के युग: राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के दौरान उत्तराधिकारी तकनीक के साथ-साथ इंटरनेट, डिजिटल मीडिया, और सोशल मीडिया के विकास ने भी मीडिया के क्षेत्र में बदलाव किया है।
8) महत्वपूर्ण कार्यक्रम: राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के अवसर पर, रेडियो और टीवी में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिनमें राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, और मनोरंजक विषयों पर चर्चा होती है।
9) यादगार पल: इस दिवस को यादगार बनाने के लिए प्रसारण संस्थान विभिन्न तारीखों पर देश के इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाओं को दोहराता है जो लोगों के दिलों में सम्मान और राष्ट्रीय भावना का भाव उत्पन्न करते हैं।