धांसू फैक्ट्स : जिसने बनाया 'तिरंगा', उसी को नहीं मिला भारत रत्न
हेडलाइन पढ़ कर खोपड़ी खुजाने लगे न, चलो कोई नहीं हम बता देते हैं आखिर वो चीज है क्या, जिसके प्यार के आगे सबका प्यार हार जाता है। तो मेहरबान, कदरदान, थूंक के पान, कर के साफ़ कान। पढ़िए, पढ़िए, पढ़िए...
लखनऊ : हेडलाइन पढ़ कर खोपड़ी खुजाने लगे न, चलो कोई नहीं हम बता देते हैं आखिर वो चीज है क्या, जिसके प्यार के आगे सबका प्यार हार जाता है। तो मेहरबान, कदरदान, थूंक के पान, कर के साफ़ कान। पढ़िए, पढ़िए, पढ़िए...
वो खास चीज है हमारा तिरंगा। हमारा मान, शान और ईमान। क्या आपको पता है इसका आईडिया किसका था? डिजाइन किसने किया था...नहीं पता कोई नहीं जब हम हैं तो क्या गम है।
पिंगली बोले तो ‘पिंगली वेंकैया’ ने दिया है हमको तिरंगा। आज हम उनके बारे में ही पंचायत लगा के बैठे हैं।
1. 2 अगस्त, 1876 को पिंगली आंध्र प्रदेश के भटलापेनुमार्रू में पैदा हुए और 4 जुलाई, 1963 को इन्होंने इस नश्वर दुनिया को छोड़ दिया।
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2. पिंगली बड़े वाले फाइटर थे...अरे फ्रीडम फाइटर और अपने बापू के कर्रे वाले दोस्त भी थे। गांधी से उनकी मुलाकात साउथ अफ्रीका में हुई। दोनों की दोस्ती लगभग 50 सालों तक चलती रही।
3. पिंगली वेंकैया को 31 मार्च 1921 को कांग्रेस के अधिवेशन में ‘राष्ट्रीय झंडे’ को डिज़ाइन करने का काम सौंपा गया।
4. अपने पिंगली ने हां तो कर दी लेकिन काफी समय तक उन्हें समझ में नहीं आया कि आरंभ कहां से करें। इसके बाद उन्होंने 30 देशों के झंडों को बारीकी से परखा और इसके बाद हरे और केसरिया रंग का झंडा पेश किया।
5. गांधी ने इसमें एक सफेद पट्टी और चरखा रखने का सुझाव पेश किया। इसे ‘स्वराज ध्वज’ कहा गया।
6. इसके बाद 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की मीटिंग में तिरंगे में चरखे का स्थान लिया ‘अशोक चक्र’ ने।
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जानिए कुछ पिंगली वेंकैया के बारे में भी:
7. पिंगली की आरंभिक पढ़ाई चल्ल्पल्ली और हिंदू हाई स्कूल मछलीपटनम से हुई। आगे की पढ़ाई कोलंबो में पूरी की। इसके बाद ब्रिटिश आर्मी जॉइन कर ली।
8. पिंगली का स्वर्गवास 4 जुलाई 1963 को हो गया।
9. 2009 में उनके नाम पर पोस्टल स्टैम्प जारी हुआ था।
10. उनकी बेटी को सरकार पेंशन देती है। भारत रत्न की मांग कई बार हुई, लेकिन मिला नहीं।