भुवनेश्वर : भाजपा ने मोदी लहर पर सवार होकर पूरे देश में प्रचंड जीत हासिल की वहीं ओडिशा में सीएम नवीन पटनायक ने मोदी लहर का मजबूती से सामना किया। लोगों का विश्वास जीतने के कारण ही नवीन पटनायक पांचवीं बार ओडिशा के सीएम पद की शपथ लेने में कामयाब हुए।
ओडिशा में इस बार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक ही साथ हुए। इस बार नवीन पटनायक के सामने एक तो सत्ता विरोधी लहर और मोदी-लहर के रूप में दो-दो मुख्य चुनौतियां थीं। हालांकि नवीन ने फोनी चक्रवाती तूफान के बाद मोदी सुनामी का भी डटकर सामना किया। पटनायक की अगुवाई में बीजू जनता दल ने विधानसभा चुनाव में कमाल दिखाया। बीजेडी ने इस बार दो प्रतिशत अधिक वोट शेयर हासिल किया। प्रदेश की 146 विधानसभा सीटों में से बीजेडी को 112 सीटें मिली हैं। यह बात दूसरी है कि बीजेपी पहले से मजबूत हुई और उसने 23 सीटें जीतकर दूसरा स्थान हासिल किया। वैसे बीजेपी की कोशिशों के बावजूद पटनायक के वोट बैंक पर खास असर नहीं पड़ा। कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और वह राज्य में 9 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही। अगर लोकसभा चुनावों की करें तो कुल 21 में से बीजेडी ने 12, जबकि बीजेपी ने 8 सीटें जीती। कांग्रेस केवल एक सीट जीत सकी।
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काम के प्रति समर्पित रहने का नतीजा
नवीन पटनायक को करीब से जानने वाले लोग उनकी राजनीतिक प्रवृति और समर्पण को बेहतर तरीके से समझते हैं। पटनायक हमेशा अपने सहयोगियों को हड़बड़ी में काम करो-फुर्सत से पछताओ की चेतावनी देते रहते हैं। पुरी सीट से भाजपा प्रत्याशी संबित पात्रा को हराने वाले सांसद पिनाकी मिश्र काम के प्रति पटनायक के समर्पण को रेखांकित करते हुए कहते हैं कि उन्होंने राजनीति में आने के बाद पिछले 22 सालों से एक भी छुट्टी नहीं ली है। ओडिशा के लोगों के प्रति उनके समर्पण का कोई भी मुकाबला नहीं है।
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पंचायत चुनावों की विफलता के बाद हुए सतर्क
ऐसा नहीं है कि नवीन पटनायक की सरकार को लेकर आरोप नहीं लगे। बीजेडी का पिछला कार्यकाल भ्रष्टाचार के आरोपों, कृषि क्षेत्र की समस्या, पार्टी में अंदरुनी कलह से ग्रस्त रहा। इसी कारण दो साल पहले हुए ग्राम पंचायत चुनावों में बीजेडी की हालत पस्त रही। इन नतीजों से सबक लेते हुए पटनायक ने जनता से फिर जुड़ाव स्थापित करने का प्रयास किया और इसमें कामयाबी हासिल की। हॉकी विश्वकप और फिर इन्वेस्टमेंट मीट के सफल आयोजन से भी नवीन की छवि को फायदा हुआ। पंचायत चुनावों में प्रचार अभियान से दूरी बनाए रखने वाले नवीन पटनायक ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए हर ब्लॉक पर अपनी पहुंच बनाना शुरू किया। चुनाव से पहले अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए नवीन कई सामाजिक योजनाएं लेकर आए। इसमें किसानों के लिए कालिया स्कीम से लेकर महिलाओं के लिए बीजू स्वास्थ्य योजना शामिल रही। अमा गांव-अमा विकास (हमारा गांव-हमारा विकास) योजना के तहत नई वार्ड समितियां बनाई गईं, जिसमें पंचायत प्रतिनिधियों और जमीनी कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया गया। इन योजनाओं से बीजद को मजबूती मिली।
पटनायक ने अकेले संभाला मोर्चा
ओडिशा में इस बार मोदी व शाह ने विशेष रूप से फोकस किया। मोदी ने जहां 10 रैलियां कीं वहीं अमित शाह ने 18 दौरे किए, लेकिन फिर भी नवीन पटनायक बाजी मार ले गए। बीजद की ओर से नवीन पटनायक ने अकेले ही मोर्चा संभाले रखा और नारा दिया कि अगर आप मुझसे खुश हैं तो बीजेडी को वोट करें। इस नारे का सकारात्मक असर हुआ और पटनायक लोगों का विश्वास जीतने में कामयाब रहे।