NDA को मजबूत बनाने की कवायद, 18 को दिल्ली में होगी बड़ी बैठक, चिराग,सुखबीर बादल और चंद्रबाबू नायडू भी ले सकते हैं हिस्सा

NDA Meeting: भाजपा की ओर से 18 जुलाई को एनडीए की बड़ी बैठक आयोजित की गई है। दिल्ली के अशोका होटल में होने वाली इस बैठक में अकाली दल का शामिल होना तय माना जा रहा है।

Update:2023-07-06 18:10 IST
NDA Meeting (Image: Social Media)

NDA Meeting: देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा एनडीए का कुनबा मजबूत बनाने की कोशिश में जुट गई है। विपक्षी दलों की ओर से की जा रही एकजुटता की कवायद के बाद भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सक्रिय हो गया है। भाजपा की ओर से 18 जुलाई को एनडीए की बड़ी बैठक आयोजित की गई है। दिल्ली के अशोका होटल में होने वाली इस बैठक में अकाली दल का शामिल होना तय माना जा रहा है।

लोजपा (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे। एनडीए की इस बड़ी बैठक में टीडीपी के भी शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। इन तीनों के अलावा कुछ नए दलों के नेता भी इस महत्वपूर्ण बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहुंच सकते हैं। उत्तर प्रदेश में सुभासपा से गठबंधन की चर्चाएं भी आखिरी दौर में हैं। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान टीडीपी, जदएस और अकाली दल ने एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया था। अब लोकसभा चुनाव के दौरान भी माना जा रहा है कि ये तीनों दल भाजपा के साथ हाथ मिलाकर चुनाव मैदान में उतरेंगे।

अकाली दल से भाजपा का गठबंधन होना तय

दरअसल विपक्षी दलों की एकजुटता को जवाब देने के लिए भाजपा ने भी कमर कसनी शुरू कर दी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास के बाद से ही भाजपा ने भी इस पहल शुरू कर दी थी। भाजपा की ओर से पुराने सहयोगियों को जोड़ने के साथ ही नए सहयोगियों से भी लगातार चर्चा की जा रही है।

पंजाब की सियासत में अकाली दल भाजपा का पुराना सहयोगी रहा है। मोदी सरकार की ओर से लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के बाद अकाली दल और भाजपा के रिश्ते बिगड़ गए थे और अकाली दल ने एनडीए से बाहर जाने का ऐलान कर दिया था। हालांकि उसके बाद अकाली दल पंजाब में अपनी ताकत दिखाने में कामयाब नहीं हो सका। अब अकाली दल और भाजपा के बीच एक बार फिर गठबंधन होना तय माना जा रहा है। जानकार सूत्रों के मुताबिक अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने 18 जुलाई को होने वाली एनडीए की महत्वपूर्ण बैठक में हिस्सा लेने पर रजामंदी जाहिर की है।

चिराग के जरिए समीकरण साधेगी भाजपा

बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होकर राजद से हाथ मिलाने के बाद भाजपा नीतीश कुमार से हिसाब चुकाने की कोशिश में जुटी हुई है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी पहले ही एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर चुके हैं। बिहार में मांझी के अलावा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के भी एनडीए में जल्द ही शामिल होने की उम्मीद है।

दलित वोटों का समीकरण साधने के लिए भाजपा पशुपति पारस के साथ ही चिराग पासवान को भी गठबंधन में शामिल करने की कोशिश में जुटी हुई है। सूत्रों के मुताबिक 18 जुलाई को होने वाली बैठक में चिराग पासवान ने भी शामिल होने पर सहमति दे दी है। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी की बिहार में 30 लोकसभा सीटों पर लड़ने की तैयारी है जबकि 10 लोकसभा सीटें हैं सहयोगी दलों को दी जाएगी।

टीडीपी और जद एस का मिलेगा साथ

तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू की भी हाल में गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात हुई थी। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर नायडू एनडीए से अलग हो गए थे मगर उनके जल्द ही एक बार फिर एनडीए में शामिल होने की उम्मीद है। नाडु के भी 18 जुलाई की बैठक में हिस्सा लेने की संभावना है।

कर्नाटक में हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को कांग्रेस के हाथों भारी हार का सामना करना पड़ा था। कर्नाटक की हार के साथ भाजपा का दक्षिण भारत में एकमात्र दुर्ग भी ढह गया। अब लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में भाजपा और जनता दल सेक्युलर के बीच गठबंधन की चर्चाएं सुनी जा रही हैं।

हालांकि दोनों पार्टियों की ओर से अभी तक इस बाबत आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है मगर जदएस के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने पिछले दिनों बड़ा बयान देकर इस दिशा में संकेत किया था। उनका कहना था कि एक भी ऐसी पार्टी का नाम बताइए जो कभी भाजपा के साथ न रही हो। जदएस के नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के बयान से भी ऐसे संकेत मिले हैं कि कर्नाटक में भाजपा और जद एस के बीच गठबंधन हो सकता है।

अजित पवार के साथ आने से महाराष्ट्र में मजबूती

अगले लोकसभा चुनाव में अब एक साल से भी कम का वक्त बचा है और इसलिए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व लगातार मंथन करने में जुटा हुआ है। शीर्ष नेतृत्व की ओर से हाल में पंजाब, तेलंगाना, झारखंड और आंध्र प्रदेश में नए प्रदेश अध्यक्षों की तैनाती की गई है। जानकारों का कहना है कि जल्द ही पार्टी की ओर से छह और प्रदेशों में नए अध्यक्षों की तैनाती की जा सकती है।

महाराष्ट्र में भाजपा की सियासी संभावनाएं मजबूत हो गई हैं क्योंकि पार्टी को शिंदे गुट के अलावा अजित पवार के रूप में एक और पार्टनर मिल गया है। सियासी जानकारों का मानना है कि एनसीपी में बगावत के बाद महाविकास अघाड़ी गठबंधन अब कमजोर दिख रहा है। भाजपा इसका सियासी फायदा उठाने में जुट गई है।

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