इस साल NEET में अब सभी के लिए एक जैसे होंगे प्रश्न पत्र

अब मेडिकल कोर्सों जैसे एमबीबीएस और बीडीएस में एडमिशन के लिए आयोजित होने वाली नैशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) के पेपर एक जैसे होंगे। अब तक क्षेत्रीय भाषाओं में पेपर के अलग सेट होते थे लेकिन गुरुवार को सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस साल से अब सभी के लिए एक ही सेट होगा। उसे ही अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा।

Update:2018-01-28 11:10 IST

नई दिल्ली: अब मेडिकल कोर्सों जैसे एमबीबीएस और बीडीएस में एडमिशन के लिए आयोजित होने वाली नैशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) के पेपर एक जैसे होंगे।

अब तक क्षेत्रीय भाषाओं में पेपर के अलग सेट होते थे लेकिन गुरुवार को सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस साल से अब सभी के लिए एक ही सेट होगा। उसे ही अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा।

छात्रों का था आरोप

छात्रों का आरोप था कि नीट 2017 के लिए क्षेत्रीय भाषाओं के प्रश्न पत्र इंग्लिश और हिंदी के मुकाबले अधिक कठिन थे। परीक्षा को रद्द करने के लिए छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की थीं। छात्रों ने यह भी आरोप लगाया था कि क्षेत्रीय भाषाओं में कुछ सवाल गलत थे एंट्रेंस एग्जाम में पास होने का उनका मौका कम हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सीबीएसई के इस कदम को अतार्कित बताया जिसके बाद सीबीएसई को यह फैसला लेना पड़ा।

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एस.अब्दुल नजीर की बेंच के सामने सीबीएसई के वकील तारा चंद्र शर्मा ने कहा कि सभी स्टूडेंट्स के लिए एक ही प्रश्न पत्र होगा और क्षेत्रीय भाषाओं का चयन करने वाले छात्रों को इसका अनुवाद उपलब्ध कराया जाएगा। छात्रों को 10 भाषाओं में परीक्षा देने की अनुमति है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर अलग-अलग प्रश्न पत्र कराए जाएंगे तो समानता नहीं होगी। कोर्ट ने सीबीएसई से एक ही प्रश्न पत्र को अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद कराने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने कहा था, 'यह एक अतार्किक प्रक्रिया है। जब छात्रों के प्रश्न पत्र अलग होंगे तो आप उनकी क्षमताओं का मूल्यांकन कैसे करेंगे? अलग-अलग प्रश्न पत्र की कोई जरूरत नहीं है। हिंदी, इंग्लिश और अन्य भाषाओं में एक ही प्रश्न पत्र होने चाहिए।'

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