प्राइवेट और सरकारी नौकरी में सबसे बड़ा फर्क यह होता है कि सरकारी नौकरी में कोई नया काम आते- आते आता है जबकि प्राइवेट नौकरी में घंटे भर में कोई नया प्रोजेक्ट लॉन्च हो जाता है और कर्मचारियों को सीमित घंटों या दिनों में उसको पूरा करने का दबाव आ जाता है। ऐसे में एक बेहतर कर्मचारी को बहुत धैर्य के साथ उस प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी एकत्रित करनी होती है तय समय-सीमा में काम पूरा करना होता है। आइये जानें कुछ विशेष बातें जो अचानक से मिले कार्य या जिम्मेदारी के समय एक कुशल कर्मचारी को अपनानी चाहिएं।
रखें नजर हर एक बारीकी पर
आज के प्रतिस्पर्धी दौर में जरूरी नहीं कि आपको हर बार वही काम दिया जाये जिसमें आप पारंगत हों। कई बार कंपनी आपको और आपकी टीम को परखने के लिए कुछ ऐसी जिम्मेदारियां दे देती है जिसमें आपने पहले कभी काम नहीं किया है, ऐसे में आवश्यक है कि आप काम से जुड़ी सभी बातों और पहलुओं पर बारीक नजर रखें। प्रोजेक्ट अगर नया है तो उसे समझने की कोशिश करें, आपकी नजर में अगर कोई और कर्मचारी उस क्षेत्र का जानकार है तो बेहिचक सुझाव लेने से पीछे न हटें। अगर कुछ पहलुओं पर स्थिति स्पष्ट नहीं है तो बॉस से सीधे बात करें। ऐन वक्त पर कुछ गलती हो इसलिए सजग रहें।
धैर्यवान बने रहें
अकसर ऐसा होता है कि अलग कोई काम मिलने से हम परेशान हो जाते हैं। कोसने लगते हैं कि ये काम मेरे पास ही क्यों आया? एक कुशल कर्मचारी की यह पहचान होती है कि वह विपरीत परिस्थिति में धैर्य न खोये। विलियम शेक्सपियर ने कहा कि वे लोग कितने निर्धन हैं जिनके पास धैर्य नहीं है। नीति में भी यह कहा गया है कि- ‘षडेव तु गुणा: पुंसा न हातव्या: कदाचन। सत्यं दानमनालस्यमनसूया क्षमा धृति:।’
इसका तात्पर्य यह है कि मनुष्य को कभी भी सत्य, दान, कर्मण्यता, अनसूया (गुणों में दोष दिखाने की प्रवृत्तिका अभाव), क्षमा तथा धैर्य, इन छ: गुणों का त्याग नहीं करना चाहिए। इसलिए कभी भी कोई काम मिले पहले उसे समझे और धैर्य रखें। हो सकता है आप नयी मिली इस जिम्मेदारी के बाद एक क्षेत्र में भी पारंगत हो जाएं।
रिसर्च करना न भूले
नयी जिम्मेदारी से आप बिलकुल भी अनभिज्ञ हैं इसलिए उससे जुड़ समस्त जानकारी इकठ्ठा करें। आधिकारिक वेबसाइट से जानकारी लें या उस विषय से जुड़ी कोई किताब पढ़ें। आपको जिन-जिन स्रोतों से विषय सम्बन्धी सूचना मिल सके वहां-वहां से उसे एकत्रित करें। इसका फायदा जरूरी नहीं कि प्रोजेक्ट के प्रेजेंटेशन के समय ही मिले बल्कि आगे जब कभी आपको उस क्षेत्र से जुड़ी कोई जिम्मेदारी मिलेगी आप खुद को सहज महसूस करेंगे।
काम को समय से पहले करें पूरा
हमारे शास्त्रों में कहा गया है की कोई भी काम समय से पहले पूरा करने से दिमाग को शान्ति मिलती है और गलतियां होने की संभावना भी बहुत कम हो जाती है। विदुर नीति में एक श्लोक है - ‘षड् दोषा: पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छित, निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता’ अर्थात, ऐश्वर्य या उन्नति चाहने वाले पुरुषों को नींद, तन्द्रा, भय, क्रोध, आलस्य और दीर्घसूत्रता (जल्दी हो जाने वाले कामों में ज्यादा समय लगाने की आदत) इन छ: दुर्गुणों को त्याग देना चाहिए। ऐसा करने से आपके पास पर्याप्त समय रहेगा और आप अच्छी तरह से खुद के काम को रिव्यु कर सकेंगे।
प्रभात दीक्षित
करियर एक्सपर्ट