Newborn Baby Death Case: जानें कब कब हुई नवजात शिशु की मौत, क्या थी मौत की मुख्य वजह

Newborn Baby Death Case: पिछले कुछ सालों में अस्पतालों में नवजात शिशुओं की मौत के मामले बढ़ते जा रहे हैं।आइये समझते हैं कि किन सालों में कितने नवजात शिशुओं की मौत हुई और उनकी वजह क्या थी।

Written By :  AKshita Pidiha
Update:2024-11-16 18:18 IST

जानें कब कब हुई नवजात शिशु की मौत, क्या थी मौत की मुख्य वजह: Photo- Social Media

Newborn Baby Death Case: उत्तर प्रदेश में झांसी के सरकारी मेडिकल कॉलेज के नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट यानी कि एनआईसीयू में शुक्रवार को आग लगने से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने इस घटना की जांच के लिए कमिश्नर और डीआईजी के नेतृत्व में दो सदस्य जांच कमेटी बनाई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर सरकार ने मरने वाले शिशुओं के माता-पिता को 5 लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। वहीं घायल शिशुओं के परिवार को 50000 रुपये दिए जाएंगे।

इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 नवजात शिशु की भीषण आग में हुई मौत पर शोक व्यक्त कर आश्वासन देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की निगरानी में स्थानीय प्रशासन राहत एवं बचाव के द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहे हैं। बता दें कि झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु इकाई में शुक्रवार की देर रात आग लग गई थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच करने के आदेश दे दिए हैं। अधिकारियों को आग के कारण का पता लगाने और जवाबदेही का आकलन करने के लिए बहुत सारी जांच शुरू कर दी गई है। इस बीच समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया है कि शुक्रवार दोपहर को भी मशीनरी में शॉर्ट सर्किट हुआ था जिसे अस्पताल के अधिकारियों ने अनदेखा कर दिया था।

पिछले कुछ सालों में अस्पतालों में नवजात शिशुओं की मौत के मामले बढ़ते जा रहे हैं।आइये समझते हैं कि किन सालों में कितने नवजात शिशुओं की मौत हुई और उनकी वजह क्या थी।

25 मई 2024

यह साल आधा भी नही बीता था कि 25 मई 2024 को दिल्ली के विवेक विहार स्थित एक अस्पताल में आग लगने से 7 नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है। पुलिस के अनुसार यह बेबी केयर अस्पताल अवैध रूप से चल रहा था और इसमें सिर्फ पांच बेड थे जबकि क्षमता से ज्यादा 12 बच्चों को भर्ती किया गया था ।इसमें वजह शॉर्ट सर्किट से आग लगना बताई गयी।यह अस्पताल रिहायशी इलाके के पास एक कमर्शियल बिल्डिंग में स्थित था। इस इमारत में एक बैंक भी था और अस्पताल का पिछला हिस्सा रिहायशी कॉलोनी से जुड़ा हुआ था।पुलिस ने जब जांच की तो यह पता चला कि अस्पताल में एमबीबीएस डॉक्टर की जगह बीएएमएस यानी की आयुर्वेदिक डॉक्टर को नियुक्त किया गया था। साथ ही साथ इस अस्पताल का लाइसेंस 31 मार्च को ही खत्म हो गया था।दो मंजिला इमारत का यह अस्पताल था इसमें कोई आपातकालीन द्वार नहीं था।इसमें सिर्फ 20 सिलेंडर रखने की अनुमति थी पर अस्पताल में 32 सिलेंडर थे।

राजकोट गेम ज़ोन अग्निकांड

अस्पताल के अलावा भी बच्चों की मौत हुई जिसका कारण भीषण आग थी ।25 मई 2024 के दिन ही गुजरात के राजकोट में एक गेम जोन में भीषण आग लग गई जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई। जिसमें 9 बच्चे भी शामिल थे।सब इतनी बुरी तरह से जल गए थे कि उनकी पहचान के लिए डीएनए टेस्ट करवाना पड़ा ।मई में गर्मी की छुट्टियां होती है। बड़ी संख्या में बच्चे और परिजन गेम जोन में आते हैं इस हादसे के बाद गेम के प्रबंधक सहित 6 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304, 308, 337 ,338 और 114 के तहत मामला दर्ज किया गया था। प्रारंभिक जांच में फायर सेफ्टी को लेकर लापरवाही का मामला दर्ज किया था।

भोपाल नवंबर 2021

2021 नवंबर को भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग में आग लगने से चार बच्चों की मौत हो गयी जबकि तीन बच्चे बुरी तरह से घायल हो गए ।प्रशासन का कहना था कि सिलेंडर में ब्लास्ट या शार्ट सर्किट की वजह से आग लगी हुई थी ।आग लग जाने के बाद इस आग को बुझाने के लिए 8 मंजिला अस्पताल में कोई इंतजाम नहीं था और अस्पताल में हमेशा 400 मरीज भर्ती रहते थे। जब जांच हुई तो पता चला की बिल्डिंग के पास फायर एनओसी भी नहीं थे।जांच में पता चला फायर सेफ्टी ऑडिट नहीं हुआ था और साथ ही साथ अस्पताल में लगे किसी भी तरह के उपकरण आग को काबू पाने लिए काम नहीं कर रहे थे।

जनवरी 2021,महाराष्ट्र

9 जनवरी 2021 को महाराष्ट्र के भंडारा जिले के स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट अस्पताल में आग लगने से की मौत हो गई ।डॉक्टर के हवाले से पता चला किसभी नवजात एक महीने से 3 महीने के बीच थे।

दिसंबर 2011, कोलकाता

दिसंबर 2011 में कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भीषण आग लग गई थी जिसमें कम से कम 90 लोगों की मौत हो गई थी और ज्यादातर लोगों की मौत दम घुटने से हुई थी ।घटना के समय अस्पताल में लगभग 160 मौजूद मरीज मौजूद थे अस्पताल में सबसे ज्यादा मौत उन लोगों की हुई जो इलाज करवाने वहां पर आए हुए थे।जांच में पाया गया कि यह आठ मंजिला इमारत होने के कारण राहत पहुंचाने में भी बहुत देरी हुई। अस्पताल में दाखिल होने के लिए शीशा तोड़कर अंदर जाना पड़ा तब जाकर लोगों को बाहर निकाला जा

इसी साल में आग लगने से दो बड़ी घटनाओं के होने के बाद जून में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फायर सेफ्टी से जुड़े दिशा निर्देश जारी किए थे ।मंत्रालय के अनुसार राज्यों को आग से रोकने के लिए उपयुक्त उपाय लागू करने के आदेश दिए थे जैसे कि ज्वलनशील पदार्थों का सुरक्षित स्टोरेज होना चाहिए और इलेक्ट्रिक सर्किट की नियमित जांच होती रहना चाहिए ।मंत्रालय ने यह भी कहा था कि इन नियमों के कड़ाई से पालन होना चाहिए इन दिशा निर्देशों में निम्न बातें कही गई थी-

1. फायर सेफ्टी के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को अस्पतालों और पीडब्ल्यूडी और स्थानीय फायर डिपार्टमेंट के बीच बेहतर तालमेल करना

जरूरी है ।

2. फायर सेफ्टी और इलेक्ट्रिक सेफ्टी उपायों को लागू किया जाएगा और कड़ाई से इसके नियमित तौर पर जांच की जाएगी।

3. आग लगने से रोकने के लिए नियमित रूप से मानिटरिंग की जाएगी और प्रोटोकॉल को लेकर स्टाफ को लगातार ट्रेनिंग कराई जाएगी।

4. आग लगने से रोकथाम के लिए अलार्म सिस्टम के रख रखाव पर अधिकतम ध्यान दिया जाएगा।

5. सभी अस्पतालों में आग से बचने की तैयारी की पूरी व्यवस्था और एंबुलेंस की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जाए।

6. इन नियमों के अलावा आग लगने से रोकने और हाथ बचाव कार्य की तैयारी के ऊपर विशेष ध्यान देना होगा।

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