Dulari Devi: कौन हैं मधुबनी कलाकार दुलारी देवी, जिनकी तोहफे में दी साड़ी पहन निर्मला सीतारमण ने पेश किया बजट
Dulari Devi: मधुबनी चित्रकार पद्मश्री दुलारी देवी ने यह साड़ी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को तोहफे में दिया था और यह इच्छा जाहिर की थी वह इस साड़ी को पहनकर संसद में बजट 2025 पेश करें।;
Dulari Devi: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आम बजट 2025 पेश किया। बजट के साथ ही एक चीज जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। वह थी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की साड़ी। संसद में बजट पेश करने के दौरान निर्मला सीतारमण में मधुबनी कला से सजी हुई क्रीम कलर की साड़ी पहनी हुई थी। उनकी यह साड़ी बिहार की मशहूर मधुबनी चित्रकार पद्मश्री दुलारी देवी ने तैयार की है। इस साड़ी पर भारत की अद्भुत कलाकृति को पेश करती है। आइए जानते हैं कौन हैं पद्मश्री दुलारी देवी।
कौन हैं मधुबनी चित्रकार पद्मश्री दुलारी देवी
जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मिथिला कला संस्थान में क्रेडिट आउटरीच के लिए मधुबनी के दौरे पर पहुंची थीं। मधुबनी चित्रकार पद्मश्री दुलारी देवी ने यह साड़ी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को तोहफे में दिया था और यह इच्छा जाहिर की थी वह इस साड़ी को पहनकर संसद में बजट 2025 पेश करें। बजट सत्र के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह साड़ी पहनकर कलाकार की कला को सम्मान दिया है।
क्रीम कलर की साड़ी अद्भुत मधुबनी कलाकारी बनाने वाली दुलारी देवी का जीवन संघर्षो से भरा रहा। दुलारी देवी मधुबनी जिले के मछुआरा समुदाय से ताल्लुक रखती है। जहां महिलाओं को इस कला से कोई भी संबंध नहीं होता है। आम मछुआरों के जीवन की तरह दुलारी देवी ने भी कभी नहीं सोचा था कि वह मधुबनी कलाकार बन जायेंगी। बल्कि उनके जीवन के संघर्षो और परिस्थितियों ने उन्हें इस कला से पहचान करायी और सफलता के मुकाम तक पहुंचाया।
दुलारी देवी ने जीवन में संघर्षो का किया सामना
मधुबनी कलाकार दुलारी देवी का जीवन संघर्ष और सफलता की जीता जगाता मिसाल है। उनका विवाहद कम उम्र में ही कर दिया गया था। जब उनका विवाह हुआ तब उनकी आयु महज 16 साल थी। शादी के कुछ ही सालों बाद पति ने उन्हें छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने अपने बच्चे को भी खो दिया। पति के छोड़ने और बच्चे को खो देने के बाद दुलारी टूट चुकी थीं। उन्होंने जीवन यापन के लिए घरों में काम करना शुरू कर दिया। वह 16 साल तक घरेलू नौकरानी बन अपना जीविकोपार्जन करती रहीं। लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था। वह जिस घर का काम करती थीं वहां मशहूर मधुबनी चित्रकार कर्पूरी देवी रहती थीं।
उनके साथ रहकर दुलारी देवी को भी मधुबनी चित्रकारी सीखने की इच्छा जाहिर की। जिसके बाद वह इस कला को सीखने लगी और देखते ही देखते ही सफलता की रास्ते में आगे बढ़ने लगी। मेहनत और लगने के दम पर वह इस कला के दम पर राष्ट्रीय स्तर की मधुबनी चित्रकार बन गयीं। वह पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित हुईं। वह अब तक दस हजार से ज्यादा मधुबनी पेंटिंग्स बना चुकी हैं। जिनमें भ्रूण हत्या, एड्स जागरूकता, बाल विवाह समेत कई समाज के जुड़े मुद्दों पर कलाकारी बना चुकी है। इसके साथ ही वह एक हजार से ज्यादा युवाओं को मधुबनी चित्रकारी का प्रशिक्षण भी दे चुकी हैं।