LPG भूल जाओ, महंगा होता जा रहा गैस सिलेंडर, अब बिजली से खाना बनाओ

मंत्री नितिन गडकरी ने सुझाव दिया है कि सरकार को परिवारों को रसोई गैस के लिए सब्सिडी देने के बजाए बिजली से चलने वाले खाना पकाने के उपकरण खरीदने को लेकर सहायता देनी चाहिए।

Update:2021-02-20 18:55 IST

नीलमणि लाल

नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों के बीच सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सुझाव दिया है कि सरकार को परिवारों को रसोई गैस के लिए सब्सिडी देने के बजाए बिजली से चलने वाले खाना पकाने के उपकरण खरीदने को लेकर सहायता देनी चाहिए।

रसोई गैस के दाम पहुंचे आसमान

गो इलेक्ट्रिक अभियान शुरू किए जाने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा - आखिर हम बिजली से खाना पकाने वाले उपकरणों के लिये सब्सिडी क्यों नहीं देते? हम रसोई गैस पर सब्सिडी पहले से दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिजली से खाना पकाने की प्रणाली साफ-सुथरी है और इससे गैस के लिए आयात पर निर्भरता भी कम होगी।

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खाना पकाने वाले बिजली उपकरणों के इस्तेमाल की सलाह

वैसे 2016 में नीति आयोग के वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने बिजली को एलपीजी के विकल्प के तौर पर सुझाया था। उन्होंने कहा था कि बिजली, सस्ती, उत्सर्जन मुक्त ऊर्जा है जो प्रदूषण भी कम करेगी और भारत की पेट्रोलियम आयात पर निर्भरता को भी घटाएगी।

नीति आयोग के वाइस चेयरमैन ने बिजली को LPG के विकल्प के तौर पर सुझाया

पनगढ़िया ने एक ब्लॉग में लिखा था कि - देश का मकसद 2022 तक यूनिवर्सल इलेक्ट्रिफिकेशन को हासिल करना है। सैद्धांतिक तौर पर, अगर बिजली के चूल्हे का इस्तेमाल किया जाए, तो यूनिवर्सल इलेक्ट्रिफिकेशन से यूनिवर्सल क्लीन कुकिंग पर भी पहुंचा जा सकता है। इस ब्लॉग के सह-लेखक नीति आयोग के एनर्जी एडवाइजर अनिल जैन थे।

यूनिवर्सल क्लीन कुकिंग

इस ब्लॉग में कहा गया है कि यूनिवर्सल क्लीन कुकिंग के लिए कोई टारगेट ईयर नहीं तय किया गया है। इसमें कहा गया है - इस टास्क की विशालता को देखते हुए, सुधरे हुए चूल्हे के जरिए लिक्विड पेट्रोलियम गैस और एफीशिएंट बायोमास कुकिंग को बढ़ावा देने की मौजूदा स्ट्रैटेजी में कुछ वक्त लग सकता है ताकि इस अहम मकसद को पूरा किया जा सके।

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भारत अपनी एलपीजी की जरूरत का 50 फीसदी आयात करता है और जिस तरह से गैस के दाम बढ़ते चले जा रहे हैं उसमें खाना बनाने के लिए बिजली का इस्तेमाल एक प्रभावी तर्क बन सकता है।

एनर्जी खपत के वक्त उत्सर्जन मुक्त

ब्लॉग में कहा गया है कि यह एनर्जी खपत के वक्त उत्सर्जन मुक्त है। इस वजह से ब्लैक कार्बन की दिक्कत नहीं होती है, जिसका सामना ज्यादातर भारतीय घर कर रहे हैं। इसके अलावा, बिजली की उपलब्धता की कोई समस्या नहीं है, यह बड़े स्तर पर सस्ती है, इसका आयात से जुड़ा कोई पहलू नहीं है और यह पहले से ही अगले छह साल के भीतर सबको उपलब्ध हो जाएगी।

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