लखनऊ/दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव की तीन साल की सजा बरकरार रखी है। उन पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप था। कहा गया था कि उन्होंने नोएडा में गलत तरीके से प्लॉट का आवंटन किया था। नीरा यादव 1994 से 1995 तक इलाके की चेयरपर्सन और सीईओ रही थीं। उन्हें 20 नवंबर 2012 को तीन साल की सजा सुनाई गई थी।
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नोएडा उद्यमी एसोसिएशन ने 1997 को न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट अथॉरिटी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया था। इसके बाद 1998 में सीबीआई ने इसकी जांच शुरू की थी। सीबीआई ने इस मामले से जुड़े करीब 36 मामलों की जांच के बाद नीरा यादव और आईएएस अधिकारी राजीव कुमार के खिलाफ 2002 में चार्जशीट दाखिल की थी।
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इसके बाद नीरा यादव ने गाजियाबाज की सीबीआई कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद कोर्ट ने यादव को डासना जिला जेल भेजने का आदेश दिया था, जिससे कि वो अपनी बाकी की सजा पूरी कर सकें।
गौरतलब है कि 2005 में समाजवादी पार्टी की सत्ता के दौरान नीरा यादव प्रदेश की पहली महिला मुख्य सचिव बनी थीं।
इसके बाद 2008 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी।
इन आरोपों से चर्चा में रहीं नीरा यादव
-नीरा यादव को सुप्रीम कोर्ट ने जब 2005 में भ्रष्टाचार के आरोप के चलते चीफ सेक्रेटरी के पद से हटाया तब उनका नाम चर्चा मे रहा।
-1971 बैच की नीरा यादव पूर्व आइपीएस व राजनीतिज्ञ महेंद्र यादव की पत्नी हैं।