EAM: 'चीन के साथ सामान्य रिश्ते असंभव अगर...': भारत-चीन संबंधों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान
S Jaishankar: जयशंकर ने कहा कि मैंने अपने चीनी समकक्ष को समझाया है कि जब तक आप सीमा पर कोई समाधान नहीं ढूंढ लेते, जब तब सेनाएं आमने सामने रहेंगी, इससे तनाव रहेगा।
Foreign Minister S Jaishankar: गलवान घाटी विवाद की वजह से भारत और चीन के बीच दोनों देशों की सीमाओं पर तनाव बीते दो साल से जारी है। तब से गलवान सीमा पर भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने मौजूद हैं। इसको लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को स्पष्ट किया कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद व्यापार, आर्थिक आदि विभिन्न मोर्चों पर दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित करता रहेगा। मैंने बीजिंग को सीधे शब्दों में कहा दिया है कि जब तक सीमा पर कोई ठोस समाधान नहीं निकलेगा और सेनाएं आमने-सामने रहेंगी, तब तक दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य होने की कोई संभावना नहीं है।
चीन सीमा विवाद पर बोले जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर शनिवार को महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित एक टाउनहॉल मंथन कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि मैंने अपने चीनी समकक्ष को समझाया है कि जब तक आप सीमा पर कोई समाधान नहीं ढूंढ लेते, जब तब सेनाएं आमने सामने रहेंगी, इससे तनाव रहेगा, इसलिए आपको यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि सामान्य तरीके से बाकी रिश्ते चलते रहेंगे, जो कि असंभव है।
यूएनएससी की स्थायी सदस्यता पर ये कही जयशंकर ने बात
बातचीत के दौरान जयशंकर ने भारतीय कूटनीति से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने यूएनएससी में सदस्यता हासिल करने के भारत के प्रयास के बारे में भी बात की। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सीट हासिल करने के भारत के प्रयासों के बारे में बात करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि समय के साथ, अधिक देश यूएनएससी के लिए भारत के प्रति अपना समर्थन दिखा रहे हैं।
दुनिया की इच्छा है भारत को स्थायी सदस्य
उन्होंने कहा कि हर गुजरते साल के साथ दुनिया में यह भावना आ रही है कि भारत को यूएनएससी का स्थायी सदस्य होना चाहिए। मैं उस समर्थन को महसूस कर सकता हूं। दुनिया चीजें आसानी से और उदारता से नहीं देती है कभी-कभी आपको इसे लेना पड़ता है।"
क्वाड और ब्रिक्स के भागीदारी पर बोले विदेश मंत्री
क्वाड और ब्रिक्स जैसे समूहों में भारत की भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर एस जयशंकर ने बताया कि विभिन्न देशों के साथ संबंध बनाए रखना कूटनीति में कितना महत्वपूर्ण है। डॉ. एस जयशंकर ने कहा, चूंकि हम स्वतंत्र हैं, इसलिए हमें यह सीखने की जरूरत है कि अलग-अलग लोगों के साथ व्यवहार करके अपने हितों का प्रबंधन कैसे किया जाए।
जानिए क्या है गलवान घटना?
बता दें पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। इसमें भारत के कर्नल संतोष बाबू समेत भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 सैनिक नदी में बह गए थे, लेकिन कई दिनों तक चीन सरकार अपने सैनिकों की मौत कबूली नहीं कर रही थी। बाद में उसने केवल 4 सैनिकों की मौत कबूली, लेकिन सरकार के आकड़ों के हिसाब से चीनी सैनिकों की मौत की संख्या काफी अधिक थी। इससे पहले 21 मई, 2020 को भी दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। भारत और चीन के बीच एलएसी को लेकर सीमा समझौता लागू है, लेकिन उसके बाद भी चीन बार बार सीमा उल्लघंन कर रहा है।