North east Election 2023: ये थे चुनावी मैदान के सबसे गरीब उम्मीदवार, एक की कुल संपत्ति महज 700 रूपए

North east Election 2023: तीन राज्यों के चुनावों में जहां करोड़पति उम्मीदवारों की कोई कमी नहीं थी, वहीं कुछ ऐसे उम्मीदवार भी थे, जिनकी कुल संपत्ति हजारों तक ही सिमटी दिखाई दी।

Written By :  Dhanish Srivastava
Update:2023-03-02 19:58 IST

North east Election 2023 poorest candidate Hiramuni Debbarma (Social Media)

North east Election 2023: चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे के मुताबिक तीनों राज्यों में कई ऐसे उम्मीदवार दिखाई दिए, जिनकी संपत्ति तो हजारों तक ही सिमटी हुई थीं लेकिन उनके हौंसले करोड़पति उम्मीदवारों से कम नहीं थे। उन्होंने नामांकन करके खूब चुनाव प्रचार भी किया, हालांकि जनता ने इन्हें नकार दिया और नतीजे आने पर इन सभी को हार का सामना करना पड़ा। तीनों राज्यों के चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों में से सबसे गरीब उम्मीदवार त्रिपुरा पश्चिम की मंडई बाजार सीट पर दिखाई दिए। यहां से निर्दलीय चुनाव लड़े हीरामुनि देबबर्मा ने चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्ति मात्र 700 रुपए घोषित की। इसी क्रम में दूसरे गरीब प्रत्याशी इसी राज्य के नागेंद्र चंद्र शील दिखाई दिए, खोवाई जिले की सीट से लड़े नागेंद्र ने अपनी कुल संपत्ति महज 1200 रुपए की बताई।

मेघालय, नागालैंड में भी हजारपति उम्मीदवारों ने ठोंकी ताल

मेघालय की अमलारेम सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े अरबियंगकम ने अपनी संपत्ति मात्र 9,000 रुपए बताई। उनके अलावा रक्समग्रे सीट से रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के थोसेनगचीबा संगमा ने कुल संपत्ति महज 22000 की घोषित की। इसी तरह नागालैंड में कोन्याक फोमिंग सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी गामपाई कोन्याक ने चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में कुल संपत्ति मात्र 5,251 रुपए जताई है। इस लिहाज से वो नागालैंड के सबसे गरीब उम्मीदवार रहे। इस राज्य के गरीब उम्मीदवारों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर एनपीएफ के चिंगसाक कोन्याक हैं, वो भी चिंगसाक फोमिंग सीट से चुनाव लड़े थे और उन्होंने अपनी कुल संपत्ति सिर्फ 25 हजार रुपए जताई है।

इन सभी उम्मीदवारों को मिली हार

700 से 25000 तक की संपत्ति घोषित करने वाले इन सभी छह उम्मीदवारों को जनता से काफी उम्मीदें थीं। उन्होंने चुनाव प्रचार भी खूब किया, लेकिन उनकी नीतियां शायद आम लोगों को पसंद नहीं आईं। लोगों को लगा कि उनके मुद्दों को उठाने के लिए यह उनके जनप्रतिनिधि बनने योग्य नहीं हैं, तभी ये सभी छह उम्मीदवार चुनाव हार गए। हालांकि उनका मनोबल कम नहीं हुआ है। ऐसे ही कुछ प्रत्याशी लोकसभा चुनाव लड़ने का मन भी बना रहे हैं।

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