Patanjali Advertisement: पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन चलाने के लिए दो मीडिया घरानों को नोटिस

Patanjali Advertisement: प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने बाबा रामदेव के पतंजलि समूह की दवाओं का भ्रामक विज्ञापन चलाने के लिए दो प्रमुख मीडिया घरानों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2022-12-21 10:15 GMT

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन चलाने के लिए दो मीडिया घरानों को नोटिस: Photo- Social Media

Patanjali Advertisement: प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (Press Council of India) ने बाबा रामदेव (Baba Ramdev) के पतंजलि समूह की मधुमेह, रक्तचाप और अन्य बीमारियों के इलाज का दावा करने वाली दवाओं का भ्रामक विज्ञापन चलाने के लिए दो प्रमुख मीडिया घरानों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

ये मीडिया हाउस राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर के हैं। इनको कारण बताओ नोटिस केरल के एक आरटीआई कार्यकर्ता व नेत्र विशेषज्ञ डॉ. के वी बाबू द्वारा दायर की गई शिकायतों पर जारी किया गया है। शिकायत में उन विज्ञापनों पर आपत्ति जताते हुए दावा किया गया था कि वे ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम का उल्लंघन करते हैं। ये विज्ञापन पतंजलि समूह (Patanjali Group) की विपणन शाखा दिव्या फार्मेसी ने जारी किये थे।

पतंजलि द्वारा नियमों का उल्लंघन

प्रेस काउंसिल के कार्रवाई से पहले, उत्तराखंड राज्य ड्रग कंट्रोलर और केंद्र सरकार के अधिकारियों ने पतंजलि द्वारा नियमों के उल्लंघनों को गंभीरता से लिया था। उत्तराखंड सरकार ने दवाओं के उत्पादन पर रोक भी लगा दी थी लेकिन ये बैन जल्द ही हटा लिया गया।

डॉ बाबू ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि उन विज्ञापनों ने पत्रकारिता आचरण, 2020 के मानदंडों का उल्लंघन किया है, जो कहता है कि ऐसे विज्ञापन जो 2002 में संशोधित डीएमआर (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम के प्रावधानों या किसी अन्य कानून का उल्लंघन करते हैं उन्हें अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए, लेकिन कई प्रिंट मीडिया संस्थानों द्वारा इसका उल्लंघन जारी है।

मीडिया घरानों को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय

बहरहाल, मीडिया घरानों को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। दिव्य फार्मेसी ने दिल की बीमारियों और अन्य बीमारियों के इलाज के रूप में दिव्य लिपिडोम, दिव्य लिवोग्रिट, दिव्य लिवामृत एडवांस, दिव्य मधुनाशिनी वटी और दिव्य मधुंशिनी टैबलेट का विज्ञापन किया था। इन दवाओं और उनके विज्ञापनों के खिलाफ डॉ के वी बाबू लगातार शिकायत करते रहे हैं।

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