अब ऑस्ट्रेलिया ने भी खोला चीन के खिलाफ मोर्चा, सैन्य ताकत बढ़ाकर देगा जवाब

लद्दाख में भारत के साथ सैन्य विवाद में उलझे चीन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरेबंदी तेज होती जा रही है। अब ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

Update: 2020-07-02 05:34 GMT

नई दिल्ली: लद्दाख में भारत के साथ सैन्य विवाद में उलझे चीन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरेबंदी तेज होती जा रही है। अब ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक तेवरों का जवाब देने के लिए देश की रक्षा क्षमताएं बढ़ाई जाएंगी और इसके आधुनिकीकरण पर 270 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर खर्च किया जाएगा। उनका कहना है कि चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए ऑस्ट्रेलिया की ओर से यह कदम उठाया गया है।

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हिंदू प्रशांत क्षेत्र में चीन को देंगे जवाब

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है और इस क्षेत्र में चीन के तेवर आक्रामक दिख रहे हैं। क्षेत्र में किसी भी प्रकार के आक्रमण को रोकने और जवाबी कार्रवाई करने के लिए हमने रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में नई चुनौतियां बढ़ रही हैं और हमें क्षेत्र में बढ़ रही गतिविधियों को रोकने के लिए नया तरीका अपनाना होगा ताकि हम अपने हितों की रक्षा कर सकें। मॉरिसन ने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र रणनीतिक स्पर्धा और तनाव का केंद्र बन चुका है। इस क्षेत्र में चीन का सैन्य दबाव लगातार बढ़ रहा है और इसके प्रति सचेत होना होगा।

क्षेत्रीय विवाद पैदा करने में जुटा है चीन

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा कि दक्षिण और पूर्व चीन सागर में भी चीन क्षेत्रीय विवाद पैदा करने में जुटा हुआ है। चीन ने इन क्षेत्रों में अपने नियंत्रण वाले कई द्वीपों पर नए सैन्य अड्डों का विकास किया है। दोनों ही क्षेत्रों में खनिज, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के भंडार हैं और वैश्विक व्यापार के लिए ये काफी अहम हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना से जंग लड़ने के साथ ही हमें कोरोना से बाद की दुनिया के लिए भी तैयार होना होगा। कोरोना से बाद की दुनिया में गरीबी, खतरा और अनिश्चितता और बढ़ेगी और इसके लिए हम सभी को तैयार रहना होगा।

270 अरब डॉलर का निवेश

मॉरिसन ने कहा कि चीन और अमेरिका के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ रही है और इसका मतलब है अत्यधिक तनाव। इसलिए हमें अभी से ही संभावित खतरों को लेकर तैयार हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के हितों और संसाधनों की रक्षा के लिए ऑस्ट्रेलियाई सशस्त्र सेनाओं की क्षमता में और बढ़ोतरी की जाएगी। हमने इसके लिए 270 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का निवेश करने का फैसला किया है।

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चीन पर लगातार हमलावर है आस्ट्रेलिया

हाल के दिनों में अमेरिका के साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन के खिलाफ आक्रामक नीति अपना रखी है। कोरोना संक्रमण के लिए भी ऑस्ट्रेलिया ने खुलकर चीन को दोषी ठहराया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मॉरिसन ने भी कहा था कि चीन की लापरवाही के कारण ही दुनिया इस गहरी मुसीबत में फंसी है। अब ऑस्ट्रेलिया ने सैन्य मोर्चे पर भी चीन के खिलाफ आक्रामक नीति अपनाने का संकेत दिया है।

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