अब युद्ध होगा शुरू: चीन हमले के लिए है तैयार, दे दी इस देश को धमकी

चीन की दुनिया में आज ऐसी छवि है कि दुनियाभर के ज्यादातर देश चीन को अपना दुश्मन मान रहे हैं। पहले चीन से फैले कोरोना वायरस की वजह से और अब संकट की इस घड़ी में युध्द के मिल रहे संकेतों को लेकर।

Update: 2020-05-30 07:22 GMT

नई दिल्ली। चीन की दुनिया में आज ऐसी छवि है कि दुनियाभर के ज्यादातर देश चीन को अपना दुश्मन मान रहे हैं। पहले चीन से फैले कोरोना वायरस की वजह से और अब संकट की इस घड़ी में युध्द के मिल रहे संकेतों को लेकर। ऐसे में चीन ने अब धमकी दी है कि यदि ताइवान एकीकरण के लिए तैयार नहीं हुआ, तो उस पर हमला किया जाएगा। जोकि ताइवान के लिए बहुत ही घातक साबित हो सकता है।

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आजाद होने से रोकने का कोई और रास्ता

इसी सिलसिले में चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमिशन के सदस्य और जॉइंट स्टाफ डिपार्टमेंट के सीनियर अधिकारी ली झुओचेंग ने कहा है कि ताइवान को आजाद होने से रोकने का अगर कोई और रास्ता नहीं बचेगा तो चीन पर उस पर हमला करेगा।

चीन के सीनियर अधिकारा ली झुओचेंग चीन में काफी सीनियर जनरल हैं। चीन में ऊंचे पद पर रहने वाले व्यक्ति की ओर से ऐसा बयान देना काफी रेयर है। बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पब्लिक में बीते शुक्रवार को ली ने ये बातें कही।

आगे जॉइंट स्टाफ डिपार्टमेंट के प्रमुख ली झुओचेंग ने कहा- 'अगर शांति से एकीकरण के रास्ते खत्म हो जाते हैं तो चीन की सेना पूरे देश को साथ लेकर (ताइवान के लोगों को भी) अलगाववादियों पर जरूरी कार्रवाई करेगी।

चीनी अधिकारी ली झुओचेंग ने कहा कि हम सुरक्षा बलों का इस्तेमाल नहीं करने का वादा नहीं कर रहे हैं। ताइवान में स्थिति पर काबू करने के लिए हम इस विकल्प को रिजर्व रख रहे हैं।

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सैन्य कार्रवाई

इसके साथ ही जॉइंट स्टाफ डिपार्टमेंट के सीनियर अधिकारी ली चीन के एंटी सेशन (Anti-Secession) कानून के 15वीं एनिवर्सरी पर बोल रहे थे कि यह कानून चीन को कानूनी अधिकार देता है कि जब ताइवान अलग होने की कोशिश करे तो उस पर सैन्य कार्रवाई की जा सकती है।

चीन के इस बर्ताव पर ताइवान के सीनियर जनरल का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब चीन हॉन्ग कॉन्ग पर पूरा कंट्रोल हासिल करने के लिए नेशनल सिक्योरिटी कानून लागू कर रहा है।

बता दें, चीन सालों से ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। लेकिन ताइवान में खुद की चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार है। हालांकि, चीन के विरोध की वजह से ही कई इंटरनेशनल संस्थाओं में ताइवान को स्थान नहीं मिल पाया है।

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