Nupur Sharma Remarks on Prophet: अरब देशों के आक्रामक तेवर, भारत ने OIC के बयान को 'गैर जरूरी और छोटी सोच' वाला बताया

Nupur Sharma Controversy: भारत ने दो भाजपा प्रवक्ताओं द्वारा पैगंबर मुहम्मद के बारे में भड़काऊ टिप्पणियों से उपजे विवाद को लेकर इस्लामिक सहयोग संगठन पर पलटवार किया है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-06-06 14:53 IST

नूपुर शर्मा की पैगंबर पर टिप्पणी। 

Nupur Sharma Case: भारत ने दो भाजपा प्रवक्ताओं द्वारा पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) के बारे में भड़काऊ टिप्पणियों से उपजे विवाद को लेकर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) पर पलटवार किया है। ओआईसी सचिवालय (OIC Secretariat) ने इस विवाद पर एक बयान जारी किया था, जिसमें इसे हिजाब विवाद और भारत में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं से जोड़ा गया था। ओआईसी सचिवालय (OIC Secretariat) ने संयुक्त राष्ट्र (United Nation) और अंतरराष्ट्रीय समुदाय (International community) से हस्तक्षेप करने का आह्वान किया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने दी तीखी प्रतिक्रियाएं

57 देशों का संगठन ओआईसी खुद को "मुस्लिम दुनिया की सामूहिक आवाज" के रूप में वर्णित करता है और कई मामलों पर भारत पर बयान जारी करता है। इसके पहले भी कई मौकों पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने तीखी प्रतिक्रियाएं की दी हैं। ओआईआई के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Foreign Ministry spokesperson Arindam Bagchi) ने ओआईसी के विचारों को "अनुचित और संकीर्ण सोच" के रूप में खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार (Indian Government) सभी धर्मों को सर्वोच्च सम्मान देती है। एक धार्मिक व्यक्तित्व को बदनाम करने वाले आपत्तिजनक ट्वीट और टिप्पणियां कुछ व्यक्तियों द्वारा की गई थीं। वे किसी भी रूप में भारत सरकार के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। इन व्यक्तियों के खिलाफ संबंधित निकायों द्वारा पहले ही कड़ी कार्रवाई की जा चुकी है। यह खेदजनक है कि ओआईसी सचिवालय ने फिर से प्रेरित, भ्रामक और शरारती टिप्पणी करने का रास्ता चुना है। यह केवल निहित स्वार्थों के इशारे पर अपनाए जा रहे विभाजनकारी एजेंडे को उजागर करता है।

पैगंबर पर टिप्पणियों पर अरब जगत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की

विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) ने ओआईसी सचिवालय (OIC Secretariat) से "अपने सांप्रदायिक दृष्टिकोण का पालन करना बंद करने और सभी धर्मों और धर्मों के लिए उचित सम्मान दिखाने" का आग्रह किया है। दरअसल भारतीय जनता पार्टी (BJP) प्रवक्ताओं द्वारा पैगंबर के बारे में की गई टिप्पणियों पर अरब जगत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान करते हुए एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया है। अब पाकिस्तान भी इस विवाद में भारत के खिलाफ कूद गया है।

अरब देश और भारत

भारत के अरब देशों के साथ गहरे सम्बन्ध हैं और बड़ी संख्या में भारतीय कामगार इन देशों में काम करते हैं। अरब देशों की कई मामलों में भारत पर निर्भरता भी है। ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि आपसी रिश्ते अच्छे बने रहें। कुवैत, कतर, सऊदी अरब, बहरीन, ओमान और संयुक्त अरब अमीरात से मिल कर बने खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के साथ 2020-21 में भारत का व्यापार 87 अरब डॉलर का था। इन देशों में लाखों भारतीय रहते हैं और काम करते हैं और लाखों डॉलर घर वापस भेजते हैं। यह क्षेत्र भारत के ऊर्जा आयात का शीर्ष स्रोत भी है। भारत की प्राकृतिक गैस की 80 फीसदी सप्लाई कतर से होती है।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय

विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) के अनुसार खाड़ी देशों में रहने वाले 76 लाख भारतीयों के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। 2017 में, भारत को अरब देशों से रेमिटेंस के रूप में 38 अरब डॉलर मिले। भारत अपने शीर्ष पांच निर्यातकों में सऊदी अरब, इराक, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात के साथ अपनी तेल आवश्यकताओं के लिए अरब देशों पर बहुत अधिक निर्भर करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 2014 में सत्ता में आने के बाद से इस क्षेत्र के नियमित आगंतुक रहे हैं। देश ने पहले ही संयुक्त अरब अमीरात के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और व्यापक सौदे के लिए जीसीसी के साथ बातचीत कर रहा है। मोदी ने 2018 में अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर के शिलान्यास समारोह में भाग लिया था और इसे भारत और क्षेत्र के बीच बढ़ते संबंधों का एक उदाहरण कहा गया।

हालांकि ईरान (Iran) के साथ दिल्ली के संबंध पिछले कुछ वर्षों में कमजोर रहे हैं, वर्तमान विवाद ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन (Iranian Foreign Minister Hossein Amir Abdullahian) की आगामी भारत यात्रा पर भारी पड़ सकता है। जानकारों का कहना है कि वर्तमान मसले में भारत एक मुश्किल स्थिति में है और नेतृत्व के स्तर पर केवल ईमानदार प्रयास ही नकारात्मक नतीजों को रोक सकते हैं।विश्लेषकों का कहना है कि इस विवाद से राजनयिक क्षेत्र में भारत के हितों को काफी नुकसान पहुंच सकता है।

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