Kargil Vijay Diwas 2024: ‘बच्चों को पढ़ाई जाए....’, शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता ने की ये मांग
Kargil Vijay Diwas 2024: आज का दिन बड़े गर्व का दिन है। 25 वर्ष पहले आज ही के दिन हमारे जवानों ने पाक को मुंह तोड़ जवाब दिया था। उनकी शहादत को हम सलाम करते हैं।
Kargil Vijay Diwas 2024: देश आज, 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की रजत यानी 25वीं वर्षगांठ बना रहा है। देश भर की छावनी और अन्य जगहों पर आयोजित कार्यक्रमों के जरिये मातृ भूमि के लिए अपने प्राणों की न्योछावर करने वाले वीर योद्धा को याद किया जा रहा है और उनकी गाथाएं बनाई जा रही हैं। इस कड़ी में हरियाणा में आयोजित एक कार्यक्रम में कारगिल युद्ध के मैदान में पाकिस्तान सेना के छक्के छुड़ा देने वाले मरणोपरांत परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता जीएल बत्रा का एक बयान सामने आया है। इस बयान में उन्होंने ऐसी मांग रखी है, जिसको अगर सरकार मान लेती है तो आने वाले दिनों बच्चों की वीर सैनिकों की शौर्य गाथा से परिचित हो सकेंगे, जिससे अभी तक अधिकांश बच्चे अभी तक अपरिचित होते हैं।
बच्चों को पढ़ाई जाए शहीदों की वीरगाथा
कारगिल बलिदानी कैप्टन विक्रम बत्रा (शेरशाह) के पिता जीएल बत्रा ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज का दिन बड़े गर्व का दिन है। 25 वर्ष पहले आज ही के दिन हमारे जवानों ने पाक को मुंह तोड़ जवाब दिया था। उनकी शहादत को हम सलाम करते हैं। उन्होंने मीडिया से माध्य से मांग की कि, कारगिल या फिर अन्य युद्धों पर शहीद हुए वीर सैनिकों की गाथाएं माध्यमिक स्कूलों के सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि छात्र इससे प्रेरणा ले सकें। कारगिल युद्ध सबसे कठिन वॉर में शामिल थी। सिलेबस में उनका यह चैप्टर शामिल होना चाहिए।
'हम अपने आपको भाग्यशाली समझते हैं'
उन्होनें कहा कि मैं समझता हूं कि यह एक अच्छी परंपरा है, जिससे हम बलिदानी जवानों को याद करते हैं और इससे हमारे युवाओं में प्रेरणा जाती है। उन्होंने कहा कि 25 वर्ष का जो समय गुजरा है, उसे हमारे बेटे ने एलिवेट किया है। हम अपने आपको सौभाग्यशाली समझते हैं कि उन्होंने बलिदानी कैप्टन विक्रम बत्रा साहब ने हमारे घर जन्म लिया।
उन्होंने आगे कहा कि मैं श्रीमद्भागवद गीता मैं बहुत विश्वास करता हूं। श्रीकृष्ण भगवान ने अर्जुन को उपदेश देते हैं, कि तुम शहीद होगे तो स्वर्ग में आओगे और यदि वापस आओगे तो राजयोग मिलेगा। उनके उपदेश से हमें काई ऊर्जा प्राप्त हुई उर्जा प्राप्त हुई। ये 25 साल का समय हमने अच्छे तरीके से समय व्यतीत किया है। आगे भी ऐसे ही व्यतीत करेंगे।
उन्होंने कहा कि मैं सभी देशवासियों को इस अवसर पर बधाई देता हूं। साथ ही देश के युवाओं से उम्मीद करता हूं कि वे चरितमान बने और अच्छे नागरिक बनते हुए अपने देश को आगे ले जाए।
कौन हैं विक्रम बत्रा, प्वाइंट से क्या था उनका नाता
कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था। पिता गिरधारी लाल (जीएल) बत्रा सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल थे. मां कमलकांता बत्रा भी अध्यापक थीं। दो बेटियों के बाद जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ था, जिसमें विक्रम बत्रा शामिल थे। करगिल जंग के समय विक्रम बत्रा जम्मू-कश्मीर राइफ़ल्स की 13वीं बटालियन में अधिकारी थे। बत्रा को चोटी प्वाइंट 5140 को फ़तह करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसको उन्होंने फतह भी किया। जीत पर सेना ने उन्हें लेफ्टिनेंट से कैप्टन बना दिया था।
अब बत्रा को अगला टारगेट प्वाइंट 4875 था। इस चोटी के दोनों ओर खड़ी ढलान थी। इस चोटी में पाकिस्तान सेना ने नाकाबंदी कर रखी थी। दोनों की ओर से खूब गोलियां और बम चले। बत्रा टीम को आगे लीड कर रहे थे। आमने-सामने की लड़ाई में उन्होंने पांच दुश्मन सैनिकों को मार गिराया। गोलीबारी में बत्रा गंभीर रूप से घायल हो गए और वीरगीत को प्राप्त हो गए, लेकिन हिमाचल के इस लाल ने सांस टूटने से पहले प्वाइंट 4875 पर तिरंगा लहरा दिया था।