Online Fraud in India: ये ठगी का दरिया है...
Online Fraud Cases in India: कहीं ज्यादा तेज रफ्तार से ठग और ठगी के तरीके बढ़ रहे हैं और हर बार इनका एक नया चेहरा सामने आता जा रहा है। इसका नवीनतम हथकंडा है ‘डिजिटल अरेस्ट’ और ‘सेक्सटॉर्शन।’
Online Fraud Cases in India: नाम भले कुछ रख दीजिए, काम वही कम से कम 700 साल पुराना है - ठगी का। ठगी यानी धोखे से लूटना। ये शब्द तक अंग्रेज़ी भाषा में शुमार है जबकि इसकी उत्पत्ति भारत में और संस्कृत से हुई मानी जाती है। बहरहाल, ठग और ठगी का चेहरा अब वो नहीं रहा जिसका जिक्र सन 1356 में उस वक्त के नामचीन विचारक जियाउद्दीन बरनी ने अपने लेखन में किया था या जिसे 1830 के दशक में लॉर्ड विलियम बेंटिक और कैप्टन विलियम स्लीमन ने इस देश की सरजमीं से खत्म कर दिया था।
स्लीमन ने भले ही अपनी समझ से ठग गिरोहों को खत्म कर दिया था। लेकिन ठग और ठगी आज भी जारी है, सिर्फ तरीके बदल गए हैं। उस ज़माने की ठगी रक्तरंजित और नृशंस होती थी जबकि आज ये सैकड़ों हजारों मील दूर से हमारे आपके मोबाइल फोन या कंप्यूटर के जरिये हो रही है।
आज ज़माना सिर्फ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी का ही नहीं बल्कि सुपर एडवांस्ड ठगी का भी है। सुपर एडवांस्ड इसलिए कि जिस रफ्तार से टेक्नोलॉजी बढ़ती जा रही है, उससे कहीं ज्यादा तेज रफ्तार से ठग और ठगी के तरीके बढ़ रहे हैं और हर बार इनका एक नया चेहरा सामने आता जा रहा है। इसका नवीनतम हथकंडा है ‘डिजिटल अरेस्ट’ और ‘सेक्सटॉर्शन।’
ये भी जान लीजिए कि अगर आप ऑनलाइन फ्रॉड या स्कैम के शिकार हुए हैं और रुपया पैसा गंवा चुके हैं तो आप कोई अकेले या अनोखे नहीं हैं। दुनिया भर में सिर्फ 2022 - 2023 में ही 1.02 ट्रिलियन डॉलर की रकम इस तरह ठगी जा चुकी है। आंकड़ा रुपये में जानना हो तो इस संख्या को 84 से गुणा कर लीजिए।यह आंकड़ा 2021 में 55.3 बिलियन डॉलर और 2020 में 47.8 बिलियन डॉलर था। यानी ठगी गई रकम जबर्दस्त तरीके से बढ़ रही है।
तमाम डिजिटल जागरूकता, साइबर निगरानी और सुरक्षा उपायों के बावजूद इतनी बड़ी रकम का लूटा जाना हैरतअंगेज होने के साथ साथ परेशान करने वाली बात है। एक तुलना के लिए बता दें कि तेल रईस देश सऊदी अरब की इकॉनमी ही 1.04 ट्रिलियन डॉलर की है। बहुत से देश तो ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी से बहुत पीछे हैं, सो आज के ठग या स्कैमर्स अपने आप में ही एक बहुत बड़ी इकॉनमी बन चुके हैं। स्कैम से ठगा गया पैसा कहां और किस काम में लगता है, किसी को नहीं पता।
मॉडर्न ठगी का एक स्वरूप जो धड़ाधड़ लोगों को लूट रहा है वह है डिजिटल अरेस्ट का। इस गोरखधंधे को चला रहे ठगों ने इसी साल अक्टूबर तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ के पीड़ितों से करीब 2,140 करोड़ रुपये लूट लिए हैं।
औसतन हर महीने 214 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है। आज के ठग ईडी, सीबीआई, पुलिस, कस्टम और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के जज के भेस में लोगों को धोखा देकर उनसे अपने विदेशी खातों में पैसा ट्रांसफर करवा रहे हैं। और तो और, ऐसे ऐसे लोग शिकार बन रहे हैं जिन्हें जागरूक और समझदार माना जाता है।
बड़े उद्योगपति, पत्रकार, डॉक्टर, रिटायर्ड अफसर, लेखक - कौन शिकार नहीं बना है?भारत सरकार की ही एक रिपोर्ट बताती है कि जनवरी 2024 से अक्टूबर तक भारत में डिजिटल अरेस्ट की 92,334 से अधिक घटनाएँ हुई हैं। ये आंकड़ा तो दर्ज शिकायतों के हैं।जो नहीं दर्ज हुईं या जिनके बारे में पीड़ितों ने बताया नहीं वो आंकड़ा तो कई गुना बड़ा होगा। ये तो सिर्फ डिजिटल अरेस्ट की कहानी है, सेक्सटॉर्शन के शिकार लोगों का तो कोई हिसाब ही नहीं है क्योंकि उसमें सेक्स जो जुड़ा हुआ है।सेक्स ही हमारे यहाँ लुकाने छिपाने वाली चीज है।फिर सेक्स के चलते आप ठगी के शिकार हो उठें हों तो यह तो और दबाने की ज़रूरत है।
जान लीजिए कि ये आंकड़े आम तौर पर सभी ठगी या स्कैम का सिर्फ करीब 7 फीसदी ही होते हैं। यानी 93 फीसदी आंकड़ा छुपा हुआ है। ‘डिजिटल अरेस्ट’ ठगी इतनी व्यापक हो चली है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 अक्टूबर को ‘मन की बात’ के अपने प्रोग्राम के दौरान इस मुद्दे पर बात की। इससे निपटने की उन्होंने युक्ति भी बताई- रोको, सोचो, एक्शन लो। उन्होंने यहाँ तक कहा कि कोई भी सरकारी एजेंसी ऐसा नहीं करती है। ऐसा नहीं कर सकती है। अब तो अखबारों में सरकार बड़े बड़े इश्तेहार छाप कर जनता को सावधान कर रही है।
ये ठग आमतौर पर संभावित पीड़ित से फोन पर संपर्क करते हैं और कहते हैं कि वे किसी अवैध गतिविधि में शामिल पाए गए हैं। मसलन, उन्होंने कोई पार्सल भेजा है या हासिल किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित चीज है। या फिर वे मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में संदिग्ध हैं।
ऐसे कथित मामले में समझौता करने के लिए पैसे की मांग की जाती है। कुछ मामलों में पीड़ितों को डिजिटल अरेस्ट का सामना करना पड़ता है। कई मामलों में मांग पूरी न होने तक पीड़ित को स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन मौजूद रहने पर मजबूर किया जाता है।
मौजूदा ऑनलाइन ठगी का फलक है सेक्सटॉर्शन। जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है, इसमें ठग अपने शिकार को ‘ऑनलाइन सेक्सुअल एक्टिविटी’ के जाल में फंसाते हैं, सिर्फ एक वीडियो कॉल के जरिये। अनजान नम्बर से व्हाट्सएप या फेसबुक मैसेंजर पर वीडियो कॉल आएगी, कॉल रिसीव करते ही लड़की नज़र आएगी जो बातों में फंसा कर वीडियो कॉल में ही कपड़े उतार देगी और उतरवा देगी। बस। कुछ सेकेंडों की वीडियो कॉल के बाद शुरू होता है ब्लैकमेलिंग वाली ठगी। उसी कॉल की रिकॉर्डिंग वायरल करने की धमकियां। लोग डर और शर्म के मारे न पुलिस में जाते हैं, न किसी को बताते हैं। कौन कितना लूटा गया, पता भी नहीं चलता। इसका कोई आंकड़ा नहीं।
डेटा से पता चलता है कि लोग हर साल ठगी के चलते अरबों डॉलर गंवा रहे हैं, फिर भी तमाम लोग अभी भी मानते हैं कि वे कभी भी किसी ठगी के झांसे में नहीं आएंगे। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ठग इंसानों के मनोविज्ञान से खेलते हैं। इस तरह से माइंड कंट्रोल करते हैं। हर कोई कहता है, कि मेरे साथ ऐसा कभी नहीं होगा। यही एक जाना माना पूर्वाग्रह है, जो हमें ज्यादा ही असुरक्षित बनाता है। यही वजह है कि 2022 में अमेरिका ने कहा था कि भारतीय ठगों ने अमेरिकी नागरिकों से आठ खरब रुपये ठगे थे। वहां तो कंप्यूटर हैक करने से लेकर,नकली रोमांस, नकली इनकम टैक्स, नकली निवेश, नकली फिरौती तक के कई किसम की ठगी हुई है।
दरअसल, ऑनलाइन ठग हाई प्रेशर वाला भावनात्मक तानाबाना बुनते हैं। हम हिंदुस्तानी तो इसके एक्सपर्ट हैं। शिकारी के रूप में भी और शिकार के रूप में भी। तभी तो सैकड़ों बरस से सिलसिला जारी है। सिलसिला जागरूकता का भी जारी है। हम दिल पर हाथ रख कर ये भी नहीं कह सकते कि इस गेम में हमारे तथाकथित ‘रक्षक’ भी शामिल नहीं हैं। जब वो खुल्लमखुल्ला डरा धमका कर वसूली रूपी ठगी कर सकते हैं तो भला अरबों रुपये के डिजिटल अरेस्ट और बेहिसाब रकम वाले सेक्सटॉर्शन में उन वर्दीधारी ठगों को हिस्सा नहीं मिल रहा होगा इसकी कोई रत्ती भर गारंटी नहीं ले सकता।
खैर, आज डिजिटल अरेस्ट है, कल कुछ और होगा। हम स्लीमन के जमाने की राहगीर ठगी से लेकर टप्पेबाजी और जहरखुरानी से लेकर पैसा डबल करने की कहानी तक सबसे गुजर चुके हैं। आज हम ऑनलाइन और डिजिटल यूनिवर्स में जी रहे हैं। वॉयस - इमेज क्लोनिंग और आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस से भी आगे बात जा रही है। चक्रव्यूह कई हैं। सरकार तो इश्तेहार छाप रही है। आगे भी छापेगी। लेकिन इस यूनिवर्स में हमें खुद ही बचने के तरीके ढूंढने होंगे। ये ठगी का दरिया है, जहां जाल बहुतेरे पड़े हैं, इनसे बचते बचाते निकलने के रास्ते तलाशिये।
( लेखक पत्रकार हैं।)