Budget 2021: संसद में भी मचेगा संग्राम, इन मुद्दों पर सरकार को घेरेगा विपक्ष

किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बहिष्कार करने का फैसला किया है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने यह जानकारी दी।

Update: 2021-01-29 04:21 GMT
संसद सत्र रहेगा हंगामेदार, विपक्ष की कृषि कानूनों समेत कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी

नई दिल्ली शुक्रवार से शुरू हो रहे बजट सत्र का हंगामेदार होगा ऐसा माना जा रहा है। विपक्षी दलों ने तीन नये कृषि कानूनों,पूर्वी लद्दाख गतिरोध, अर्थव्यवस्था की स्थिति और महंगाई के मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।बजट सत्र की शुरुआत शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ होगी और 1 फरवरी को बजट पेश किया जायेगा।

कांग्रेस समेत देश के 19 विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बहिष्कार करने का फैसला किया है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने यह जानकारी दी।

यह पढ़ें....विदुर नीति: जिन पुरुषों में होते हैं ये 7 गुण, उन्हें पति बनाना चाहती हैं महिलाएं

अभिभाषण के बहिष्कार संबंधी फैसले पर पुनर्विचार

प्रह्लाद जोशी ने कहा कि राष्ट्रपति दलगत राजनीति से ऊपर होते हैं। उन्होंने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार संबंधी फैसले पर पुनर्विचार करने का विपक्ष से आग्रह किया। उन्होंने कहा कि संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति द्वारा दिए गए अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष मुद्दे उठा सकता है। विपक्षी दलों के नेताओं के बयान में कहा गया है कि कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, सपा, राजद, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस(एम) और एआईयूडीएफ ने संयुक्त रूप से यह फैसला किया है। इसके अलावा बाद में अकाली दल, आप और बीएसपी ने भी बहिष्कार करने का फैसला किया है।

 

 

हिंसा की जांच कराने की भी मांग

विपक्षी दलों ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की जांच कराने की भी मांग की है। राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने की घोषणा करके विपक्षी दलों ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिये हैं। विपक्षी दलों ने तीन नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों के आंदोलन एवं उससे जुड़े घटनाक्रम पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने पूर्वी लद्दाख के मुद्दे पर भी सरकार को घेरते हुए इससे ठीक ढंग ने नहीं निपटने के आरोप लगाए हैं।

वहीं, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी ने कृषि कानूनों का विरोध किया है और आगे भी करेगी। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने हाल ही में कहा है कि सरकार संसद में एक और विधेयक लेकर आए जिसमें तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का प्रावधान किया जाए।

 

यह पढ़ें....सपा विधायक नाहिद हसन का बड़ा बयान, किसानों के साथ अत्याचार कर रही बीजेपी

प्रोटोकॉल का पालन

पिछली बार मानसून सत्र की तरह ही इस सत्र में भी कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा और लोकसभा एवं राज्यसभा की कार्यवाही पांच-पांच घंटे की पालियों में संचालित होगी। राज्यसभा की कार्यवाही सुबह की पाली में और लोकसभा की कार्यवाही शाम की पाली में चलेगी।

बता दें कि कोविड-19 महामारी के कारण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया जा सका था। बजट सत्र में प्रश्नकाल आयोजित होगा। समय की कमी के कारण पिछले सत्र में प्रश्नकाल नहीं हो सका। हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अध्यादेश 2020, मध्यस्थता एवं सुलह संशोधन अध्यादेश 2020 तथा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन अध्यादेश 2021 जारी किया गया था।

Tags:    

Similar News