NCF 2023: बच्चों के साथ अब स्कूलों में माता-पिता की भी लगेगी क्लास, एनसीएफ में तय की गई अभिवावकों की भूमिका

NCF 2023: बच्चों के पढ़ने-पढ़ाने को लेकर एनसीएफ ने एक रोडमैप तैयार किया है। नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क में बच्चों के समग्र विकास पर जोर दिया जाएगा।

Update:2023-08-28 11:46 IST
NCF 2023 (photo: social media )

NCF 2023: अब माता-पिता और अभिभावकों को बच्चों का केवल स्कूल में एडमिशन करा देने भर से ही जिम्मेदारी पूरी नहीं होगी बल्कि उन्हें अब बच्चों के समग्र विकास के लिए स्कूलों के साथ जुड़कर काम भी करना होगा। स्कूलों के लिए तैयार किए गए नए नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) ने बकायदा बच्चों के पढ़ने-पढ़ाने को लेकर एक रोडमैप तैयार किया है, जिसमें बच्चों के स्कूल में एडमिशन देते समय माता-पिता और अभिभावकों की ओरिएंटेशन क्लास भी आयोजित की जाएगी। जहां उन्हें घरों में बच्चों को पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल देने के साथ ही स्कूलों के साथ जुड़कर बच्चों के विकास पर कैसे नजर रखना है आदि से जुड़ी जानकारियां भी दी जाएगी।

बच्चों के समग्र विकास पर दिया है जोर

स्कूलों के लिए तैयार किए गए एनसीएफ में पहली बार पाठ्यक्रम के साथ बच्चों से जुड़े उन पहलुओं पर भी ध्यान दिया गया है, जो बच्चों के समग्र विकास के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इनमें स्कूल के साथ ही घर-परिवार और आस-पास के माहौल को भी पढ़ने-पढ़ाने लायक बनाने की जरूरत बताई गई है। यह जानकारी एनसीएफ के तहत इसलिए जरूरी है, क्योंकि बच्चे स्कूल के बाद यदि कहीं सबसे ज्यादा समय रहते है, तो उनका घर, परिवार और मोहल्ला ही होता है। यदि ऐसे में वहां का माहौल अच्छा नहीं होता है तो स्कूल चाहकर भी उसके प्रदर्शन को बेहतर नहीं बना पाएगा।

इन अहम कदमों की सिफारिश

अभी इसे लेकर जिन अहम कदमों की सिफारिश की गई है, उनमें ओरिएंटेशन क्लास, पैरेंट-टीचर मीटिंग, माता-पिता के संवाद, स्कूल मैनेजमेंट कमेटी गठित करने, बाल मेला, प्रदर्शनी, स्वच्छता और स्वास्थ्य कैंप जैसी गतिविधियों को चलाने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही स्कूलों में आयोजित होने प्रत्येक कार्यक्रमों में अभिभावकों के साथ ही समाज के जुड़े लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है।

माता-पिता की भागीदारी सुनिश्चित हो

एनसीएफ के अनुसार अभी स्कूलों में माता-पिता या अभिभावक केवल दाखिला दिलाने या बच्चों का रिजल्ट लेने के लिए ही आते हैं। बाकी के दिनों में वह बच्चों की कोई खोज खबर नहीं लेते कि स्कूल में वह क्या कर रहा है। ऐसे में स्कूलों से कहा गया है कि वह माता-पिता और अभिभावक को इसके लिए प्रेरित करें और यह सुनिश्चित करें कि वह नियमित रूप से स्कूल आएं। अपने बच्चों की पढ़ाई का आंकलन करें और जरूरी सुझाव भी स्कूल और टीचर को दें। इसके साथ ही स्कूलों में आयोजित होने वाले प्रत्येक कार्यक्रमों में भी माता-पिता व समाज के प्रबुद्ध लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करने की भी सलाह दी है।

बता दें कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क जारी किया है। जिसके तहत स्कूलों के लिए कक्षा तीन से बारहवीं तक की पाठ्यपुस्तकें तैयार की जाएंगी। माना जा रहा है कि यह पाठ्यपुस्तकें अगले शैक्षणिक सत्र तक तैयार हो जाएंगी। इसके साथ ही फ्रेमवर्क के तहत प्रस्तावित की गई सभी सिफारिशें भी स्कूलों में लागू की जाएंगी।

नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क के क्रियान्वित होने के बाद निश्चित तौर पर बच्चों का समग्र विकास देखने को जरूर मिलेगा। वहीं बच्चों को पढ़ाई के साथ काफी कुछ सिखने को भी मिलेगा।

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