Parliament Monsoon Session: संसद में मणिपुर पर कोहराम, सरकार ने सदन चलाने के लिए बनाई रणनीति, विपक्ष घेरने को तैयार

Parliament Monsoon Session: संसद में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए विपक्ष प्रधानमंत्री के बयान की मांग पर अड़ा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस मसले पर पहले पीएम मोदी बयान दें, फिर आगे चर्चा शुरू होगी। वहीं, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि मणिपुर मुद्दे पर गृहमंत्री अमित शाह ही बोलेंगे।

Update:2023-07-24 23:02 IST
अमित शाह (Social Media)

Parliament Monsoon Session: मणिपुर मसले पर संसद में गतिरोध बढ़ता ही जा रहा है। मानसून सत्र में संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही प्रतिदिन कुछ समय चलने के बाद हंगामे की भेंट चढ़ जाता है। अंततः संसद की कार्यवाही स्थगित हो जाती है। हंगामे की मुख्य वजह मणिपुर का मुद्दा है। हालांकि, केंद्र इस मसले पर चर्चा को तैयार है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सोमवार को लोकसभा में कहा, 'सरकार मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है। पता नहीं क्यों विपक्ष नहीं मान रहा।'

मणिपुर मामले को लेकर दोनों ही पक्ष का एक-दूसरे पर यही आरोप है कि वो सदन की कार्यवाही चलने नहीं दे रहे। मगर, ताजा जानकारी के अनुसार दोनों ही पक्ष यानी सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं।

राजनाथ-पीएम मोदी जुटे हैं प्रयासों में

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) इस कोशिश में जुटे हैं कि संसद की कार्यवाही जल्द से जल्द सुचारू रूप से चल सके। राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge), तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद सुदीप बंदोपाध्याय और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के टीआर बालू (TR BAALU) सहित विपक्ष के शीर्ष नेताओं से फोन पर बात की। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस मुद्दे को लेकर कुछ वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की।

विपक्ष का पीएम पर दबाव, लेकिन गृहमंत्री ही देंगे जवाब

दूसरी तरफ, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी (Prahlad Joshi) और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) ने मिलकर स्पष्ट किया कि, सरकार मणिपुर की घटना पर चर्चा को तैयार है। इस मामले में विपक्ष प्रधानमंत्री के बयान पर अड़ा है। विपक्षी नेताओं ने मीडिया से बात करते हुए कहा, कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी पहले बयान दें, फिर हम सदन में चर्चा शुरू करेंगे। लेकिन, सरकार की तरफ से स्पष्ट कर दिया गया है कि, मणिपुर मुद्दे पर गृहमंत्री अमित शाह ही सदन में बोलेंगे। जानकार बताते हैं कि, मणिपुर में हिंसा आज कोई नई बात नहीं है। अभी से पहले भी और इससे भयानक हिंसा मणिपुर देख चुका है। वर्ष 1993 और साल 1997 में मणिपुर इसी तरह हिंसा की आग में जला था। एक बार तो पार्लियामेंट में चर्चा ही नहीं हुई, जबकि एक बार गृह राज्य मंत्री ने बयान दिया था। तो केंद्र सरकार इसी आधार पर आगे बढ़ने की रणनीति पर काम कर रही है।

क्या विपक्ष चुनावी मजबूरी में फंसा है?

मौजूदा केंद्र सरकार का मानना है इससे पहले जब मणिपुर में भीषण हिंसा हुई थी तब किसी गृह मंत्री ने राज्य का दौरा तक नहीं किया था। संसद में चर्चा और प्रधानमंत्री का बोलना तो दूर की बात। हालांकि, तब पीएम ने हस्तक्षेप किया था। राजनीतिक मामलों की समझ रखने वाले मानते हैं कि, सरकार संसद में अपने जवाब को सिर्फ मणिपुर तक सीमित रखना चाहेगी। ये अलग बात है कि विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित राज्यों में हो रही हिंसा का जिक्र होगा, कि नहीं ये देखने वाली बात होगी। सरकार को भी ये लगता है कि विपक्ष अपनी मांग से पीछे नहीं हटेगा, क्योंकि इसके पीछे विपक्ष की चुनावी मजबूरी है।

खाली नहीं जाएगा मानसून सत्र

संसद का मानसून सत्र अब तक हंगामे की भेंट चढ़ा है। वहीं, जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव के दिन करीब आ रहे हैं केंद्र सरकार का ये मानना है कि वो इस मानसून सत्र को हंगामे की भेंट चढ़ने नहीं देगा। सरकार अब अपने विधायी कार्य (Legislative Work) को निपटाने पर जोर देगी। सूत्र बताते हैं, अगर हंगामे के बीच ही बिल पारित (bill passed) कराने पड़े तो वो भी कराए जाएंगे। वहीं, हिंसाग्रस्त मणिपुर में फिलहाल हालात नियंत्रण में हैं। बीते दो हफ़्तों में हिंसा में किसी की मौत नहीं हुई है।

कल क्या रहेगा विपक्ष का कदम?

संसद में कार्यवाही जब मंगलवार को शुरू होगी उसे पहले 'INDIA' गठबंधन से जुड़े सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात करेंगे। इस दौरान विपक्षी नेता अपनी अगली रणनीति पर चर्चा करेंगे। विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री मोदी के बयान की मांग पर अड़ा है। ऐसे में अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी बयान नहीं देंगे। तब ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी दल अगला कदम क्या उठाता है।

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