Parliament Special Session: संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र आज से, इन विधेयकों को पेश करने की तैयारी, चौंका सकती है मोदी सरकार
Parliament Special Session 2023: संसद के विशेष सत्र को लेकर कांग्रेस ने अपना रुख साफ कर दिया है। पार्टी का कहना है कि वह विशेष सत्र के दौरान महंगाई,बेरोजगारी, सामाजिक संघर्ष और मणिपुर के हालात से जुड़े मुद्दों को उठाकर सरकार से जवाब मांगेगी।
Parliament Special Session 2023: संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र की आज शुरुआत होने वाली है। इस सत्र के हंगामेदार होने की उम्मीद जताई जा रही है। इस विशेष सत्र के सिलसिले में रविवार को सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया जिसमें विपक्षी दलों की ओर से महिला आरक्षण विधेयक लाने की मांग की गई। हालांकि इस बाबत सरकार की ओर से अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया गया है। वैसे संघ की ओर से भी मोदी सरकार पर महिला आरक्षण विधेयक पारित करने का दबाव बढ़ने लगा है।
संसद के विशेष सत्र को लेकर कांग्रेस ने अपना रुख साफ कर दिया है। पार्टी का कहना है कि वह विशेष सत्र के दौरान महंगाई,बेरोजगारी, सामाजिक संघर्ष और मणिपुर के हालात से जुड़े मुद्दों को उठाकर सरकार से जवाब मांगेगी। दूसरी और विशेष सत्र को लेकर सरकार ने अपना एजेंडा जाहिर कर दिया है। सरकार का कहना है कि विशेष सत्र के दौरान संसद के 75 वर्ष पूरे होने पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही सरकार की ओर से चार विधेयक भी पेश किया जाएगा। वैसे यह भी माना जा रहा है कि मोदी सरकार कोई विधेयक अचानक लाकर देश को चौंका सकती है। इसे लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
Parliament Special Session 2023 Live: संसद का विशेष सत्र आज से, क्या कोई सरप्राइज देगी मोदी सरकार?
कल से नए संसद भवन में होगा कामकाज
संसद के विशेष सत्र की शुरुआत आज पुराने संसद भवन में होगी मगर अगले दिन 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के मौके पर नए संसद भवन में काम शुरू हो जाएगा। नए संसद भवन में जाते समय संसद के कर्मचारियों की ड्रेस में भी बदलाव होगा। कमल की आकृति वाले इस ड्रेस को लेकर भी विपक्ष की ओर से सवाल उठाए गए हैं। संसद का यह विशेष सत्र 22 सितंबर तक चलेगा।
विशेष सत्र की शुरुआत से पहले सरकार की ओर से परंपरा का निर्वाह करते हुए रविवार को सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक के दौरान सभी विपक्षी दलों ने विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करने की मांग की। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि सभी दलों ने इस बात को पूरी मजबूती के साथ सरकार के सामने रखा है।
एनसीपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि उनकी पार्टी ने भी केंद्र सरकार के सामने यह मांग रखी है। हालांकि सरकार ने अभी तक के संबंध में अपने पत्ते नहीं खोले हैं। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सरकार से ही समय पर इस संबंध में फैसला लेगी। इस बैठक में केंद्र सरकार की ओर से रक्षा मंत्री व लोकसभा में उपनेता राजनाथ सिंह, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और राज्यसभा में सदन के नेता केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे।
कांग्रेस ने साफ कर दिया अपना रुख
वैसे संसद के विशेष सत्र के हंगामेदार होने की आशंका जताई जा रही है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सत्र की शुरुआत से पहले ही अपने तेवर साफ कर दिए हैं। सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि उनकी पार्टी महंगाई, बेरोजगारी, देश के विभिन्न हिस्सों में चल रहे सामाजिक संघर्ष और मणिपुर के मुद्दे को प्रमुखता से उठाएगी।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी पिछले दिनों प्रधानमंत्री को नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर नौ प्रमुख मुद्दों का जिक्र किया था। उन्होंने सरकार से विशेष सत्र बुलाने का एजेंडा साफ करने और देश के सामने मौजूद नौ प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने की मांग भी की थी। सोनिया गांधी के इस पत्र से साफ हो गया था कि कांग्रेस की ओर से जनता से जुड़े मुद्दों को उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश की जाएगी।
इन विधेयकों को पेश करने की तैयारी
विशेष सत्र से पहले सरकार ने इसका एजेंडा स्पष्ट कर दिया है। सरकार का कहना है कि विशेष सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में 75 सालों में संसद की यात्रा पर चर्चा होगी। इस दौरान संसदीय सभा से लेकर आज तक की संसदीय यात्रा पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही विशेष सत्र में सरकार की ओर से चार विधायक भी पेश किए जाएंगे।
दरअसल अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2023 और प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023 को राज्यसभा में तीन अगस्त को पारित किया गया था। इन्हें अब लोकसभा में पेश किया जाएगा।
वहीं राज्यसभा में 10 अगस्त को डाकघर विधेयक, 2023 व मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 पेश किए गए थे, जिन पर अब विशेष सत्र के दौरान चर्चा होगी।
इस विधेयक पर हो सकता है हंगामा
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित विधेयक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और इसे लेकर हंगामा हो सकता है। सरकार का जो प्रस्तावित विधेयक है, उसमें चीफ जस्टिस को नियुक्ति कमेटी से हटाकर प्रधानमंत्री, विधि मंत्री और नेता प्रतिपक्ष को जगह दी गयी है। इसे लेकर काफी विवाद पैदा हो गया है। विपक्ष की ओर से सरकार की मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया था, उसमें पीएम, नेता प्रतिपक्ष और सीजेआई को रखा था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था तभी तक के लिए दी थी, जब तक सरकार कोई नया कानून न बना दे। अब सरकारी इसमें बदलाव ला रही है जिसे लेकर विपक्ष नाराज है। विपक्ष का कहना है कि इस बदलाव के जरिए सरकार अपने मनमाफिक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की कोशिश में जुटी हुई है। इस कारण इस विधेयक को लेकर विपक्ष की ओर से हंगामा होना तय माना जा रहा है।
चौंका सकती है मोदी सरकार
वैसे सियासी जानकारी का यह भी मानना है कि मोदी सरकार कोई विधेयक अचानक लाकर पूरे देश को चौंका भी सकती है। एक देश-एक चुनाव का मुद्दा हाल के दिनों में काफी चर्चा में रहा है और सरकार ने इस बाबत कमेटी का भी गठन कर दिया है। इस कमेटी की पहली बैठक 23 सितंबर को होने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने पर जोर देते रहे हैं। अब ऐसे में देखने वाली बात होगी कि सरकार इस दिशा में कोई कदम उठाती है या नहीं।
इसके साथ ही यह भी चर्चा है कि सरकार देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने का प्रस्ताव की ला सकती है। हाल में मोदी सरकार की ओर से जी 20 की बैठक के दौरान इंडिया की जगह भारत शब्द का ज्यादा इस्तेमाल किया गया था।
अब सरकार इस दिशा में बड़ा कदम उठा सकती है मगर सरकार की ओर से जारी एजेंडे में इसका उल्लेख नहीं किया गया है। वैसे पीएम मोदी अपने फैसलों से कई बार देश को चौंका चुके हैं और इस बार भी वे कोई बड़ा कदम उठाएं तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए।