Baba Ramdev: रामदेव ने खेला कोरोनिल का खेल, देखें Y-Factor...

पतंजलि आयुर्वेद ने 23 जून 2020 को कोरोनिल टैबलेट और स्वासारि वटी दवा लॉन्च की थी, जिसमें दावा किया गया था कि ये दवा कोविड-19 को सात दिनों के भीतर ठीक कर सकती है। हालांकि दवा लॉन्च होते ही आयुष मंत्रालय ने कहा कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2021-02-24 11:07 IST

Baba Ramdev नई दिल्ली। रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद ने फिर से कोरोना की अपनी विवादित 'दवाई' कोरोनिल का खेल खेला है। पहली लांचिंग के आठ महीने बाद कोरोनिल नए अवतार में सामने आई है। पतंजलि आयुर्वेद ने 23 जून 2020 को कोरोनिल टैबलेट और स्वासारि वटी दवा लॉन्च की थी, जिसमें दावा किया गया था कि ये दवा कोविड-19 को सात दिनों के भीतर ठीक कर सकती है। हालांकि दवा लॉन्च होते ही आयुष मंत्रालय ने कहा कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। इसके बाद मंत्रालय ने पतंजलि को दवा का विज्ञापन करने से भी रोक दिया था। सरकार ने साफ़ किया था कि कोरोनिल कोरोना की दवाई नहीं बल्कि इम्यूनिटी बूस्टर है।

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कोरोनिल फिर सुर्ख़ियों में

इससे पतंजलि आयुर्वेद को काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी। कई एफआईआर दर्ज हुईं थीं और सरकार ने जांच भी शुरू की थी लेकिन उसका क्या नतीजा हुआ, अब तक पता नहीं चला है। इस फजीहत के बावजूद पतंजलि आयुर्वेद ने जून से अक्टूबर 2020 तक मात्र 4 महीने में ही 25 लाख किट बेच कर 250 करोड़ रुपये बना लिए थे।

बहरहाल, अब कोरोनिल फिर सुर्ख़ियों में है। पतंजलि आयुर्वेद ने उसी दवा की फिर से लॉन्चिंग कर दी है और इस बार तो भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने इस दवा की बैकिंग की है। लेकिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस पर सवाल उठाये हैं और पूछा है कि इस विवादित दवा की लांचिंग में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री क्यों गए थे?

फोटो-सोशल मीडिया

आईएमए ने कोरोनिल के कथित क्लिनिकल ट्रायल पर सवाल उठाये हैं। अब महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में कोरोनिल की बिक्री को तब तक मंजूरी नहीं देने की बात कही है जबतक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और अन्य सक्षम संगठन इस दवा को प्रमाणित नहीं कर देते हैं।

पतंजलि का दावा

19 फरवरी को रामदेव ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि कोरोनिल को आयुष मंत्रालय से प्रमाणपत्र मिला है और इस दवा को कोविड-19 के इलाज में सहायक उपाय के तौर पर तथा इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। रामदेव की प्रेस कांफ्रेंस में केन्द्रीय रडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन भी मौजूद थे।

डॉ हर्षवर्धन स्वयं एक क्वालिफाइड चिकित्सक हैं और विश्व स्वस्थ्य संगठन के एग्जीक्यूटिव बोर्ड में हैं। रामदेव के इस इवेंट में डॉ हर्षवर्धन ने कहा – ब्रिटिश हुकूमत के दौरान आयुर्वेद को मान्यता मिलनी चाहिए थी, इसकी जानकारी का प्रचार होना चाहिए था।

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दुर्भाग्य से हमें ऐसा करने के लिए आज़ादी तक इन्तजार करना पड़ा। आयुर्वेदिक उत्पादों का उद्योग 30 हजार करोड़ का है जो 15 से 20 फीसदी प्रतिवर्ष की रफ़्तार से बढ़ रहा था लेकिन कोरोना के बाद ये 50 से 90 फीसदी की रफ़्तार से बढ़ रहा है।

डब्लूएचओ ने किया किनारा

कोरोनिल लॉन्चिंग वाले दिन पतंजलि आयुर्वेद ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया था कि कोरोनिल को सेन्ट्रल ड्रग्स स्टैण्डर्ड कण्ट्रोल आर्गेनाईजेशन के आयुष विभाग से सर्टिफिकेट ऑफ़ फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट मिला है। ये सर्टिफिकेट डब्लूएचओ की प्रमाणीकरण स्कीम के तहत दिया गया है।

लेकिन डब्लूएचओ ने उसी दिन इस मामले से किनारा कर लिया और बिना कोई नाम लिए ट्विटर पर पोस्ट किया कि – डब्लूएचओ ने कोविड-19 के इलाज के लिए किसी भी पारंपरिक औषधि की असरदारिता की न तो समीक्षा की है और न ही प्रमाणित किया है।

डब्लूएचओ की टिप्पणी के बाद पतंजलि के ग्रुप सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने सफाई दी कि उनको प्रमाणपत्र डब्लूएचओ से नहीं बल्कि भारत सरकार से मिला है।

फोटो-सोशल मीडिया

क्या है डब्लूएचओ की स्कीम

डब्लूएचओ किसी भी दवा को न तो मंजूरी देता है न किसी को ख़ारिज करता है। डब्लूएचओ के अनुसार, वह मानकों और दिशानिर्देशों को विकसित करता है जो कि अंतर्राष्ट्रीय रूप से स्वीकार्य हों। इसके अलावा वह मार्गदर्शन करता है, तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण देता है ताकि देश ग्लोबल गाइडलाइन्स को अपने यहाँ के नियमन जरूरतों के अनुरूप लागू कर सकें।

डब्लूएचओ की प्रमाणीकरण स्कीम फार्मा प्रोडक्ट्स के लिए होती है और ये विभिन्न देशों के लिए एक वोलंटरी अग्रीमंट के तहत होता है। यानी प्रमाणीकरण किसी तरह की बाध्यता नहीं है। ये प्रमाणीकरण भी सरकारों के जरिये किया जाता है।

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आईएमए की आपत्ति

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने डब्लूएचओ के प्रमाणपत्र के बारे में पतंजलि आयुर्वेद के 'झूठ' की भर्त्सना की है और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से सफाई मांगी है उन्होंने इस प्रोडक्ट को किस हैसियत से मंजूरी दी है।

आईएमए ने कहा है कि मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया के नियमों के अनुसार कोई भी डाक्टर किसी औषधि को किसी भी तरह से प्रोमोट नहीं कर सकता है। आईएमए ने हैरानी जताई है कि कैसे एक मंत्री किसी दवा को खुद ही प्रमोट कर सकता है?

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पतंजलि का दावा

रामदेव ने इस दवा की रिलॉन्चिंग पर कोराना और कोरोनिल से जुड़े कुछ रिसर्च पेपर्स दिखाए थे और बताया कि आने वाले समय में वे लोग और भी रिसर्च पेपर्स जारी करेंगे। अपने पुराने दावे को दोहराते हुए पतंजलि ने अब ये भी बताया है कि कोरोना मरीज़ों पर उनकी स्वेच्छा से ट्रायल किया गया था।

कोरोनिल को पहले जून 2020 में लांच किया गया था और उस समय रामदेव ने दावा किया था कि कोरोनिल कोविड-19 मरीजों को ठीक कर सकता है। हालांकि, आयुष मंत्रालय ने तुरंत इसे बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था और बाद में केंद्रीय मंत्रालय ने कहा था कि पतंजलि इस प्रोडक्ट को केवल प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवा के बेच सकती है और कोविड-19 के इलाज के रूप में इसे नहीं बेचा जा सकता।

इसके बाद पिछले साल नवम्बर में ही रामदेव ने एक बार फिर कोरोनिल के बारे में दावा किया था कि कोरोनिल एक मेडिसिन है, जो कोरोना वायरस का इलाज करने में सक्षम है।

उन्होंने एक टीवी चैनल पर कहा था कि अगर कोरोनिल दवा को कोरोना होने से पहले लेंगे तो कोरोना वायरस से बच जाएंगे। कोरोना होने के बाद लेंगे, तो 7 से 10 दिन के भीतर कोरोना का उपचार हो जाएगा। बहरहाल अब देखना है कि कोरोनिल का विवाद किस दिशा में जाता है।

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