क्या आपको पता है पीएफ, ईपीएफ और पीपीएफ में क्या अंतर है?
किसी भी कंपनी में काम करने वाली कर्मचारी की सैलरी कई हिस्सों में बंटी होती है जैसे बेसिक सैलरी, ट्रैवल अलाउंस, स्पेशल अलाउंस वगैरह। पीएफ में हर महीने कर्मचारी की बेसिक सैलरी से 12% पैसा काटकर पीएफ के खाते में डाल दिया जाता है।
नई दिल्ली: चाहें आप नौकरी करते हो या फिर बिजनेस, ये खबर आपके लिए बेहद ही महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। आपने अक्सर लोगों से पीएफ और ईपीएफ के बारें में बातें करते हुआ सुना होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि इनके बीच क्या अंतर है? आइये आज हम आपको विस्तार से पीएफ और ईपीएफ के बारें में बता रहें है।
पीएफ को एम्प्लॉई प्रॉविडेंट फंड (Employee Provident Fund) यानी ईपीएफ भी कहते हैं। दोनों एक ही चीज के नाम हैं। यह सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक फायदा देने वाली स्कीम है, जो एम्प्लॉईज़ प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (Employees' Provident Fund Organisation) यानी ईपीएफओ द्वारा चलाई जाती है।
कई हिस्सों में बंटी होती है कर्मचारियों की सैलरी
किसी भी कंपनी में काम करने वाली कर्मचारी की सैलरी कई हिस्सों में बंटी होती है जैसे बेसिक सैलरी, ट्रैवल अलाउंस, स्पेशल अलाउंस वगैरह। पीएफ में हर महीने कर्मचारी की बेसिक सैलरी से 12% पैसा काटकर पीएफ के खाते में डाल दिया जाता है। कर्मचारी के अलावा कंपनी भी अपनी तरफ से इतना ही यानी 12% पैसा उस कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में डालती है।
न्यूनतम 12% पैसों की यह लिमिट सरकार ने तय कर रखी है। कर्मचारी PF के लिए अपनी सैलरी से 12% से ज़्यादा पैसे भी कटवा सकता है, लेकिन ऐसे में कंपनी अपनी योगदान 12% से ज़्यादा देने के लिए बाध्य नहीं होगी।
पीएफ या ईपीएफ आपको तब मिलता है, जब आप किसी कंपनी से रिटायर होते हैं या रिज़ाइन करते हैं। रिज़ाइन करने के दो से तीन महीने के बाद आप अपने पीएफ खाते में जमा सारा पैसा निकाल सकते हैं।
अगर आप एक कंपनी छोड़कर किसी और कंपनी में नौकरी करने जा रहे हैं, तो आप पिछली कंपनी का पीएफ अगली कंपनी में ट्रांसफर भी करा सकते हैं। अगर किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है, तो उसके PF खाते में जमा पैसा उन लोगों को दे दिया जाएगा, जिन्हें उस कर्मचारी ने नॉमिनेट किया होगा।
अगर आपको कभी एकमुश्त पैसों की ज़रूरत पड़ती है, तो आप अपने PF के आधार पर लोन भी ले सकते हैं। किसी अर्जेंट ज़रूरत पर आप कुछ नियमों का पालन करते हुए समय से पहले भी PF निकाल सकते हैं। इसके लिए आपको अपनी कंपनी से बात करनी होगी, जो PF ऑफिस से जुड़े कामों में आपकी मदद करेगी।
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (Public Provident Fund) यानी PPF क्या है
यह केंद्र सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजना है, जो ऐच्छिक है। आप चाहें, तो किसी भी राष्ट्रीय बैंक या पोस्ट ऑफिस में PPF अकाउंट खोल सकते हैं। इसके लिए आपको किसी कंपनी का कर्मचारी होना भी ज़रूरी नहीं है।
आप कोई निजी पेशा कर रहे हैं, फ्रीलांसर हैं या किसी कॉन्ट्रैक्ट के तहत काम कर रहे हैं, तब भी आप PPF अकाउंट खुलवा सकते हैं। यहां तक कि अगर आपकी कोई भी कमाई नहीं है, तब भी आप PPF अकाउंट खोल सकते हैं। PPF अकाउंट खुलने पर आपको इसमें हर साल कम से कम 500 रुपए डालने ही होंगे। ज़्यादा से ज़्यादा पैसे जमा करने की लिमिट 70 हज़ार रुपए है।
PPF खाते में जमा रकम आपको खाता खुलाने के 15 साल बाद मिलती है। आपने जिस वित्तीय वर्ष में PPF खाता खुलाया है, उसके 15 साल बाद का वित्तीय वर्ष पूरा होने पर आप अपना सारा पैसा निकाल सकते हैं। आप चाहें, तो इसे पांच साल के लिए बढ़ा भी सकते हैं। इन पांच वर्षों में आप ब्याज कमा सकते हैं और नई रकम भी जोड़ सकते हैं।
आप अपने PPF खाते में जमा रकम पर लोन भी ले सकते हैं। साथ ही, बीच में अगर कुछ पैसा निकालना चाहें, तो निकाल भी सकते हैं। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका खाता खुले कितना वक्त हो चुका है।
मैच्योरिटी यानी 15 साल से पहले आप पूरा पैसा नहीं निकाल सकते, लेकिन जैसे-जैसे खाते की उम्र बढ़ती जाती है, आपकी पैसे निकालने की लिमिट बढ़ती जाती है जैसे 6 साल के बाद आप 60% तक पैसा निकाल सकते हैं।
कुछ और बातें:
फायदे की बात करें, तो PF में PPF से ज़्यादा फायदा है, क्योंकि PF में आपके साथ-साथ आपकी कंपनी भी पैसे डालती है, जबकि PPF में सिर्फ आप ही पैसे जमा करते हैं। दूसरा फायदा यह है कि आमतौर पर PF पर ब्याज दर PPF के मुकाबले ज़्यादा होती है।
PF की ब्याज दर हर साल रीवाइज़ की जाती है। 2017-18 के वित्तीय वर्ष में इसकी ब्याज दर 8.55% थी। 2018-19 के वित्तीय वर्ष की ब्याज दर फरवरी-मार्च 2019 में घोषित की जाएगी।
PPF में ब्याज दर हर क्वॉर्टर में निर्धारित की जाती है। जून 2018 में खत्म हो रहे क्वॉर्टर में ब्याज दर 7.6% थी।