Supreme Court on PFI: पीएफआई को सुप्रीम कोर्ट का झटका, प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका खारिज, हाईकोर्ट जाने की सलाह

Supreme Court on PFI: केंद्र ने आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठनों के साथ कथित संबंधों और देश में सांप्रदायिक घृणा फैलाने की कोशिश के लिए पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था। इसी प्रतिबंध को पीएफआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जहां शीर्ष कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।;

Update:2023-11-06 16:55 IST
PFIs petition challenging the ban rejected, advised to go to High Court

प्रतिबंध को चुनौती देने वाली पीएफआई की याचिका खारिज, हाईकोर्ट जाने की सलाह: Photo- Social Media

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Supreme Court on PFI: पीएफआई को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सोमवार को देश विरोधी गतिविधियों के लिए यूएपीए के तहत प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने पीएफआई की याचिका सुनने से मना कर दिया है। पीएफआई ने अपने याचिका में प्रतिबंध को चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने दी ये सलाह-

सुप्रीम कोर्ट ने पीएफआई की याचिका को सुनने से इनकार करते हुए कहा कि ये मामला पहले हाईकोर्ट में जाना चाहिए था। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि आपको हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता है। केंद्र के प्रतिबंध की पुष्टि करने वाले यूएपीए ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ पीएफआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे खारिज कर दिया गया।

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पीएफआई के वकील ने भी जताई सहमति

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि पीएफआई के लिए सही होगा कि वह न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ पहले हाईकोर्ट का रुख करे। वहीं, पीएफआई की ओर से पेश सीनियर वकील श्याम दीवान ने कोर्ट के इस विचार से सहमति जताई कि संगठन को पहले हाईकोर्ट का रुख करना चाहिए था और फिर सुप्रीम कोर्ट में आना चाहिए था।

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क्या है पूरा मामला-

पीएफआई ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में यूएपीए ट्रिब्यूनल के 21 मार्च के आदेश को चुनौती दी थी। इसके तहत केंद्र के 27 सितंबर 2022 के फैसले की पुष्टि की गई थी। केंद्र ने आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठनों के साथ कथित संबंधों और देश में सांप्रदायिक घृणा फैलाने की कोशिश के लिए पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था।

अब सुप्रीम कोर्ट से अब पीएफआई को बड़ा झटका लगा है। अब उसे हाई कोर्ट जाने को कहा गया है।

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