फूलन हत्याकांड की CBI जांच की मांग, जानिए नरसंहार और एक सीएम का रिजाइन

फूलन देवी के पति उम्मेद कश्यप ने फूलन की हत्या की सीबीआई जांच की मांग उठाई है। उनका कहना है, हम माननीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री से मांग करते हैं कि वीरांगना फूलन देवी की हत्या की निष्पक्ष जांच करवाकर सभी षड्यंत्रकारियों को कानून के तहत फांसी की सजा दी जाए।

Update:2019-01-08 12:26 IST

नई दिल्ली : फूलन देवी के पति उम्मेद कश्यप ने फूलन की हत्या की सीबीआई जांच की मांग उठाई है। उनका कहना है, हम माननीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री से मांग करते हैं कि वीरांगना फूलन देवी की हत्या की निष्पक्ष जांच करवाकर सभी षड्यंत्रकारियों को कानून के तहत फांसी की सजा दी जाए।

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उम्मेद ने कहा, भारत में आज भी दो तरह के कानून लागू होते हैं। काले हिरण को मारने पर सलमान खान व दूसरे लोगों की सीबीआई जांच होती है। लेकिन एक सिटिंग मेम्बर ऑफ़ पार्लियामेंट फूलन की संसद चलते हुए देश की सबसे सुरक्षित जगह संसद भवन के निकट 44 -अशोका रोड के सामने 25 जुलाई 2001 को गोलियों से छलनी कर दिया गया। आज तक इसकी कोई जांच नहीं हुई।

उन्होंने कहा, अगर इस मामले में सीबीआई जांच नहीं हुई तो आज से 8 जनवरी के बाद पूरे देश में जनाक्रोश यात्रा निकालेंगे और दिल्ली के रामलीला मैदान में लाखों की तादाद में लोगों को इकट्ठा कर जनाक्रोश-सभा की जाएगी।

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जानिए फूलन की कहानी

10 अगस्त 1963 को यूपी में जालौन के घूरा का पुरवा में फूलन का जन्म हुआ था।

फूलन ने दस साल की उम्र में अपने बागी तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे। उसकी पहली भिडंत अपने धोखेबाज चाचा से हुई। जिसने उसके बाप के हिस्से की जमीन पर कब्ज़ा कर लिया था।

इसके बाद फूलन की शादी लगभग 50 साल के अधेड़ के साथ कर दी गई।

ससुराल में फूलन बीमार रहने लगी तो मायके लौट आई। लेकिन भाई ने उसे कुछ समय बाद ससुराल भेज दिया। जब फूलन ससुराल पहुंची तो पता चला कि पति ने शादी कर ली है।

फूलन ने पति का घर छोड़ दिया।

फूलन जवान हो रही थी तो गांव में उसका साथ डाकुओं के गैंग से जुड़े कुछ लोगों से हो गया। कुछ समय बाद फूलन ने डाकू बाबू गुज्जर का गैंग ज्वाइन कर लिया।

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बाबू को फूलन भा गई। लेकिन गैंग के एक और सदस्य विक्रम मल्लाह को ये रास नहीं आया और उसने बाबू की हत्या कर दी और सरदार बन बैठा।

फूलन अब विक्रम के साथ थी। इसके बाद फूलन ने सबसे पहले अपने पति से हिसाब बराबर करने की सोची और उसके गांव में जमकर पिटाई कर दी।

कुछ दिन सब ठीक रहा। लेकिन इसके बाद विक्रम के गिरोह की भिड़ंत श्रीराम ठाकुर और लाला ठाकुर के गैंग से होने लगी।

विक्रम मल्लाह इस गैंगवार में मारा गया। कहते हैं ठाकुरों के इस गिरोह ने बेहमई में 3 हफ्ते तक फूलन का रेप किया।

1981 में फूलन बेहमई गांव लौटी और उसने 22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा कर गोली मार दी।

इस हत्याकांड के बाद पुलिस फूलन को सरगर्मी से तलाश करने लगी। सिर पर बड़ा इनाम रखा गया।

इस हत्याकांड का असर ये रहा कि यूपी के तत्कालीन सीएम वीपी सिंह को अपना पद छोड़ना पड़ा।

दो साल बाद फूलन ने मध्य प्रदेश के सीएम अर्जुन सिंह के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

फूलन पर 22 हत्या, 30 डकैती और 18 अपहरण के मामले बने।

फूलन 11 साल जेल में रही।

इस दौरन यूपी में मुलायम सिंह सीएम बने और उनकी सरकार ने 1993 में फूलन पर लगे सारे मामले वापस लेने का फैसला किया।

1994 में फूलन जेल से बाहर आती है और उम्मेद सिंह से शादी करती है।

1996 में फूलन ने सपा के टिकट पर मिर्जापुर से चुनाव लड़ा और सांसद बनी।

फूलन 1998 में चुनाव हार गई।

1999 में फूलन फिर मिर्जापुर से जीत गई।

25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा फूलन से मिलने आया। उसने घर के गेट पर फूलन को गोली मार दी।

राणा ने बाद में कहा कि मैंने बेहमई हत्याकांड का बदला लिया है।

14 अगस्त 2014 को शेर सिंह राणा को आजीवन जेल की सजा सुनाई गई।

फूलन की मौत के बाद से उसे वोट पाने का जरिया बना दिया गया। अब हर साल 25 जुलाई को बड़े आयोजन होते हैं। नेता बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। लेकिन कोई उस समाज को नहीं बदलना चाहता जो एक बच्ची को फूलन बनाने में कोई कोताही नहीं बरतता।

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